धान के किसानों के लिए बड़ी खबर है। अगर नुकसान से बचना चाहते हैं तो ज़रूर जानिये कि वैज्ञानिकों ने क्या दावा किया है।
धान के खेत के पास जल रही लाइट से घट रहा उत्पादन
खरीफ सीजन में कई राज्यों में धान की खेती की जाती है। कुछ किसानों का कहना है कि पहले के मुकाबले अब पैदावार कम हो रही है। पहले जहां 35 बोरी धान मिलती थी, अब केवल 15 बोरी ही मिल पा रही है। जिसमें कृषि वैज्ञानिकों ने बताया है कि धान के खेत के पास जो लाइट जलती है, उसकी वजह से किसानों को नुकसान हो रहा है। आइए जानते हैं ऐसा क्यों होता है और वैज्ञानिकों का क्या कहना है।
धान की फसल को लाइट से क्यों हो रहा नुकसान
धान की फसल को रात में लाइट की वजह से नुकसान हो रहा है। दिन के समय तो सूर्य के प्रकाश से रोशनी रहती ही है, लेकिन रात को फसल को आराम मिलना चाहिए। वहां अंधेरा होना ज़रूरी है। मगर अब कई जगहों पर रात में भी लाइट लगी रहती है, जिसके कारण पौधे रात में आराम नहीं कर पाते। खेतों में दिन की तरह रोशनी बनी रहती है। इस कारण पौधों का संतुलन बिगड़ जाता है और वे दिन-रात प्रकाश संश्लेषण की क्रिया करते रहते हैं।
इससे पौधों का सामान्य विकास नहीं हो पाता। फूल कम खिलते हैं, परागण की क्रिया प्रभावित होती है। रात में तेज रोशनी की ओर कीट भी आकर्षित होकर आ जाते हैं, जिससे फसल को और नुकसान होता है। फूलों की संख्या कम हो जाती है, परागण सही से नहीं होता और अनाज बनने में बाधा आती है। कुल मिलाकर उत्पादन घट जाता है।
वैज्ञानिकों ने बताया हाई मास्ट लाइटों का नुकसान
वैज्ञानिकों का कहना है कि केरल में कई किसानों को यह समस्या देखने को मिल रही है। उनके खेतों के आसपास हाई मास्ट लाइटें लगी हुई हैं, जिससे धान की फसल का प्राकृतिक विकास चक्र बाधित हो रहा है।
फूल आने में देरी हो रही है और उत्पादन कम मिल रहा है। वैज्ञानिकों का कहना है कि धान की फसल को संतुलित विकास के लिए 12 घंटे दिन में धूप और 12 घंटे रात में अंधेरा मिलना चाहिए। यदि रात में कृत्रिम लाइट जलती रहती है तो किसानों को नुकसान उठाना पड़ सकता है।
दरअसल, कुझालमनम-कलपेट्टी-थोनिक्कड़-मूकाम्बिका मंदिर के रास्तों पर सांसद और विधायक की स्वीकृति के बाद हाई मास्ट लाइटें लगाई गईं। उनकी तेज रोशनी आसपास लगे धान की फसल को नुकसान पहुंचा रही है। हाई मास्ट लाइटें ऊँची होती है, जिससे दूर तक रौशनी रहती है।