नागेश्वर ज्योतिर्लिंग के बारे
ॐ नमः शिवाय
गुजरात में दो ज्योतिर्लिंग है। एक सोमनाथ ज्योतिर्लिंग और दूसरा द्वारका के निकट नागेश्वर ज्योतिर्लिंग है। नागेश्वर ज्योतिर्लिंग गुजरात राज्य के जामनगर जिले के द्वारका धाम से लगभग 18 किमी दूर स्थापित है। भगवान महादेव के 12 ज्योतिर्लिंग में नागेश्वर ज्योतिर्लिंग 10 वे स्थान पर आता है। इस ज्योतिर्लिंग की महिमा अभूतपूर्व है। यहाँ श्री द्वारकाधीश भगवान शिव का रुद्राभिषेक करते थे। पुराणों के अनुसार भगवान महादेव को नागों का देवता भी कहा जाता है। भगवान शिव के सहस्र नामों में एक नाम नागेश्वर भी है, नागों के ईश्वर अर्थात नागेश्वर। नाग देवता हमेशा भगवान शिव के गले में हमेशा विराजमान रहते है। जो भक्त नागेश्वर ज्योतिर्लिंग का श्रद्धापूर्वक दर्शन करता है, वह जाने अनजाने पापों से मुक्त होकर दिव्य शिवलोक में स्थान पाता है।
नागेश्वर ज्योतिर्लिंग कैसे पहुंचे?
नागेश्वर ज्योतिर्लिंग जाने के लिए पहले आपको द्वारका आना होगा। नागेश्वर ज्योतिर्लिंग द्वारका धाम से लगभग 18 किमी की दूरी पर स्थित है। ऑटो रिक्शा द्वारका से नागेश्वर के लिए सबसे उचित साधन है। ऑटो रिक्शा का किराया द्वारका से नागेश्वर रूककर वापस द्वारका जाने का लगभग 350 रुपये है।
वायु मार्ग से नागेश्वर ज्योतिर्लिंग कैसे पहुंचे?
नागेश्वर से लगभग 145 किलोमीटर की दूरी पर जामनगर एयरपोर्ट और 125 किलोमीटर की दूरी पर पोरबंदर एयरपोर्ट स्थित है। यहाँ से आप टैक्सी या कैब के जरिये द्वारका या डायरेक्ट नागेश्वर ज्योतिर्लिंग पहुँच सकते हैं। अगर आपके शहर से इन एयरपोर्ट के लिए फ्लाइट नहीं है तो आप मुंबई इंटरनेशनल एयरपोर्ट आ जाइये, वहाँ से नियमित फ्लाइट उपलब्ध हैं।
रेल मार्ग से नागेश्वर ज्योतिर्लिंग कैसे पहुंचे?
नागेश्वर में रेलवे स्टेशन नहीं है। नागेश्वर जाने के लिए द्वारका या ओखा रेलवे स्टेशन पर उतरना होगा। अगर आपके शहर से द्वारका या ओखा के लिए डायरेक्ट ट्रेन उपलब्ध नही है, तो आप राजकोट, अहमदाबाद या जामनगर आ सकते है। यहाँ की रेलवे लाइनें पूरे देश में फैली हुई है।
सड़क मार्ग से नागेश्वर ज्योतिर्लिंग कैसे पहुंचे?
आप द्वारका आकर नागेश्वर पहुंच सकते है। द्वारका कई राज्य से सड़क मार्ग के जरिये जुड़ा हुआ है। देश के कई बड़े शहरों से द्वारका के लिए बस सेवाएँ उपलब्ध है। द्वारका और आसपास के शहरों से द्वारका के लिए कई गवर्नमेंट और प्राइवेट AC / NON AC बसें चलती हैं।
नागेश्वर में कहाँ ठहरें?
नागेश्वर में ठहरने के लिए कोई व्यव्स्था नहीं है। आपका द्वारका में ही ठरना उचित होगा। आप द्वारका में AC और Non AC होटलों में अपने बजट के अनुसार रूम बुक कर सकते है। इसके अलावा वहाँ धर्मशालाओं में कम कीमत में अच्छे कमरे मिल जाते है।
नागेश्वर ज्योतिर्लिंग की कथा
प्राचीन काल में एक धर्मात्मा और सदाचारी प्रकृति का सुप्रिय नामक वैश्य भगवान शिव का अनन्य भक्त था। वह प्रतिदिन भगवान शिव की आराधना, पूजन और ध्यान करता था तथा मन, वचन, कर्म से शिव भक्ति में ही तन्मय रहता था। उसी काल में एक दारुक नामक दुष्ट राक्षस रहता था। दारुक शिव भक्तों से चिड़ता था और उनके पूजन में निरंतर बाधा पहुचाया करता था। सुप्रिय के शिवजी के पूजापाठ के कारण कई अन्य लोग भी भगवान शिव की पूजा अर्चना करने लगे थे।
एक दिन दारुका राक्षस को पता चला कि सुप्रिय समुद्र में नाव पर सवार होकर अपने अन्य साथियो के साथ कहीं जा रहा है। तब उस अत्याचारी राक्षस से उन सभी पर आक्रमण कर दिया और सुप्रिय को पकड़ कर सभी अन्य भक्तों के साथ अपने राज्य के कारागृह में डाल दिया। सुप्रिय कारागृह में भी शरीर पर भस्म, गले में रुद्राक्ष की माला डालकर भगवान शिव की पूजन और आराधना में तन्मय रहने लगे। इस कारण उनके साथी एवं कारागृह के अन्य बंदी भी शिवजी की आराधना के प्रति जागरूक होकर शिवभक्ति करने लगे। पूरा कारागृह शिवमय हो गया।
जब इसकी भनक राक्षस दारूक को मिली, तो वह क्रोध में तिलमिलाता हुआ कारागृह पंहुचा। उसने देखा कि कारागृह में सुप्रिय नेत्र बंद करके ध्यान लगाए समाधी में बैठा है। उसने कठोर स्वर में कहा ‘अरे दुष्ट वैश्य! तू आँखें बंद कर इस समय यहां कौन से उपद्रव और षड्यंत्र करने की बातें सोच रहा है?’ इससे सुप्रिय जरा भी विचलित नहीं हुआ, तब दारुक ने क्रोध के वशीभूत होकर सुप्रिय तथा अन्य सभी बंदियों को मार डालने का आदेश दे दिया। सुप्रिय अपने मन को एकाग्र करके अपनी और अन्य बंदियों की मुक्ति के लिए भगवान शिव से प्रार्थना करने लगा। अपने सच्चे भक्त की पूर्ण विश्वास से भरी प्रार्थना सुनकर भगवान शंकरजी तत्क्षण उस कारागृह में एक ऊँचे स्थान में एक चमकते हुए सिंहासन पर स्थित होकर ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रकट हो गए। भगवान शिव ने पाशुपतास्त्र से दारुका और उसके सैनिकों के अस्त्र-शस्त्र को नष्ट कर उन सभी का वध कर दिया। वैश्य सुप्रिय ने उस ज्योतिर्लिंग का विधिवत पूजन किया और शिवजी से इसी स्थान पर स्थित होने का आग्रह किया। भगवान शिव अपने भक्त का आग्रह मान कर वहीं स्थित हो गये। इस प्रकार ज्योतिर्लिंग स्वरूप भगवान शिव ‘नागेश्वर’ कहलाये और माता पार्वती भी ‘नागेश्वरी’ के नाम से विख्यात हुईं।
नागेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर के खुलने का समय
Nageshwar Temple Timings – नागेश्वर मंदिर में सुबह पांच बजे आरती होती है। भक्तों के दर्शन लिए मंदिर 6.00 बजे से दोपहर 12:30 तक खुलता है। शाम चार बजे ज्योतिर्लिंग का श्रृंगार किया जाता है, जिसके बाद गर्भगृह में प्रवेश बंद हो जाता है। शाम को 5:00 बजे से रात 9:30 तक मंदिर श्रंगार दर्शन के लिए खुलता है। आरती का समय शाम 7 बजे है। शिवरात्रि, सावन सोमवार एवं अन्य विशेष त्यौहारों के समय यह मंदिर ज्यादा समय तक खुला रहता हैं।
नागेश्वर ज्योतिर्लिंग का दर्शन
आपको दो किलोमीटर दूर से ही भगवान शिव की ध्यान मुद्रा में एक बड़ी ही मनमोहक अति विशाल प्रतिमा दिखाई देने लगती है। यह 125 फीट ऊँची तथा 25 फीट चौड़ी प्रतिमा पद्मासन मुद्रा में बनी है और नागेश्वर ज्योतिर्लिंग के परिसर में स्थित है। मुख्य द्वार से अन्दर जाने पर पूजन सामग्री की छोटी-छोटी दुकानें लगी हुई हैं। जहाँ से आप पुष्प बेलपत्र और प्रसाद आदि ले सकते है। आप लाइन में लगकर मंदिर में प्रवेश करें, मन ही मन ॐ नम: शिवाय का जाप करते रहें, आगे बढ़ने पर पहले एक सभाग्रह आता है। गर्भगृह सभामंड़प से निचले स्तर पर स्थित है। यहाँ से आगे तलघर जैसे गर्भगृह में श्री नागेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन होते है। नागेश्वर शिवलिंग गोल और काली शिला से बने त्रि-मुखी रूद्राक्ष रूप में स्थापित है। शिवलिंग के ऊपर एक चांदी का आवरण चढ़ा हुआ है और एक चांदी के नाग की आकृति बनी हुई है। शिवलिंग के पीछे माता पार्वती की सुंदर मूर्ति स्थापित है। आप भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती की अनुपम छबि को अपने मन मंदिर में बसा लीजिये। गर्भगृह में प्रवेश करने के किये पुरुष भक्त का धोती पहन कर आना आवश्यक हैं।
नागेश्वर ज्योतिर्लिंग अभिषेक और अन्य पूजाएँ
नागेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर में भक्तों के लिए रु. 105 से लेकर रु. 2501 के मध्य विभिन्न प्रकार की पूजाएँ सम्पन्न कराई जाती हैं। अगर आपको पूजन अभिषेक आदि करवाना है, तो आप मंदिर के पूजा काउंटर पर शुल्क जमा करवाकर रसीद प्राप्त कर लीजिये, फिर आपको मंदिर समिति के एक पुरोहित के साथ मंदिर गर्भगृह में जाना है तथा शुल्क के अनुसार आप पूजा कर सकते है। यहाँ पर अभिषेक केवल गंगाजल से ही होता है, यह गंगाजल आपको मंदिर समिति की ओर से निशुल्क मिलता है।
नागेश्वर ज्योतिर्लिंग अन्य जानकारी
स्वर्गीय श्री गुलशन कुमार ने नागेश्वर के वर्तमान मंदिर का पुनर्निर्माण करवाया था। उन्होंने इस जीर्णोद्धार का कार्य 1996 में शुरू करवाया पर उनकी हत्या हो जाने के कारण उनके परिवार ने इस मंदिर का कार्य पूर्ण करवाया।
नागेश्वर ज्योतिर्लिंग के समीप रुक्मिणी मंदिर, गोपी तालाब और बेट द्वारका आदि रमणीय धार्मिक स्थल है, जिनका भ्रमण द्वारका से चलने वाली लोकल टूरिस्ट बस के माध्यम से कर सकते हैं।