ॐ शं शनैश्चराय नम:
शनि मंदिर के लिए विश्व प्रसिद्ध शिंगणापुर गाँव महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले में शिर्डी और औरंगाबाद के पास स्थित है। न्याय के देवता और शनि ग्रह के प्रतीक श्री शनिदेव, शिगनापुर के मंदिर में एक दिव्य काली पाषण प्रतिमा के रूप में विराजते है। शनि भक्तों के जीवन को यह आध्यत्मिक आभा बिखेरती स्वयंभू प्रतिमा खुशियों से भर देती है। शनि मंदिर में महिलाएँ का प्रवेश वर्जित होने के कारण, वे दूर से ही शनिदेव के दर्शन करती हैं। शनि देव के विश्वास के कारण शिंगणापुर के लोग घरों में खिड़की, दरवाजों की जगह केवल परदे लगाते है। शनि देव की कृपा से यहाँ कभी चोरी नहीं होती और अगर होती है तो शनि भगवान चोर को दण्डित करते है। पूरी दुनिया से साल भर भक्तों का आना लगा रहता है, विशेषकर शनिवार, शनिश्चरी अमावस्या और शनि जयंती पर अधिक श्रधालुओं आना होता है। जिन लोगों की कुंडली में शनि दोष, शनि ढैय्या या साढ़ेसाती है। उन्हें यहाँ विशेष रूप से आकर पूजा करनी चाहिए।
शनि शिंगणापुर कैसे पहुंचे?
भारत के प्रमुख तीर्थस्थलों में से एक शनि शिंगनापुर महाराष्ट्र के तीर्थ स्थल शिरडी से 70 किमी दूरी पर स्थित है। शिरडी से शनि शिंगनापुर जाना सबसे आसान हैं। साईं आश्रम के सामने शनि शिंगणापुर जाने के लिए सुबह 4 बजे से ट्रेवल और टैक्सी वालों की लाइन लग जाती है। शेयर गाड़ी में 120 रूपये प्रति सवारी, ऑटो में 250 रूपये प्रति सवारी, टेम्पो ट्रेवलर 100 रूपये प्रति व्यक्ति और पर्सनल गाड़ी नॉन एसी 1200 और एसी 1500 रूपये में मिलती है।
वायु मार्ग से शनि शिंगनापुर कैसे पहुंचे?
शनि शिंगनापुर से 82 किमी की दूरी पर शिर्डी इंटरनेशनल एयरपोर्ट स्थित है। भारत के सभी प्रमुख शहरों से शिर्डी के लिए फ्लाइट उपलब्ध है। यदि आपके शहर से शिर्डी के लिए डायरेक्ट फ्लाइट नहीं है तो आप शनि शिंगनापुर से 90 किलोमीटर दूर औरंगाबाद एयरपोर्ट, 144 किलोमीटर दूर नासिक एयरपोर्ट या 161 किलोमीटर दूर पुणे एयरपोर्ट आ सकते है। यहाँ से आप बस या टैक्सी के जरिये शनि शिंगनापुर पहुँच सकते है।
ट्रेन से शनि शिंगनापुर कैसे पहुचे?
शनि शिंगनापुर में रेलवे स्टेशन नहीं है। शनि शिंगनापुर से राहुरी 32 किमी, अहमदनगर 35 किमी दूर, श्रीरामपुर 54 किमी दूर और शिरडी रेलवे स्टेशन 85 किमी की दूरी पर हैं। देश के कई शहरों से इन रेलवे स्टेशन के लिए ट्रेन उपलब्ध हैं। यहाँ से बस, टैक्सी या ऑटो से शनि शिंगनापुर पहुँचा जा सकता है।
सड़क मार्ग से शनि शिंगणापुर कैसे पहुंचे?
शनि शिंगणापुर देश के सभी शहरों से सड़क मार्ग के द्वारा अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। शिर्डी और शनि शिंगणापुर के दर्शन के लिए महाराष्ट्र और आस पास के अन्य राज्यों से एसी और नॉन एसी बसें चलती है। आप इन बसों से शनि शिंगणापुर पहुचकर सुबह शनि शिंगणापुर और शाम तक साईं बाबा के दर्शन करके रात को अपने शहर के लिए वापस बस पकड़ सकते है। शनि शिंगनापुर पहुचने से पहले मार्ग में कई गन्ने के रस वाले मिलते है, उनका बैल जोतकर निकला गन्ने का रस जरुर पीजियेगा।
शनि शिंगणापुर कब जाना चाहिए?
शनि शिंगनापुर में शनि भगवान के दर्शन के लिए आप पूरे वर्ष में कभी जा सकते हैं। मौसम के हिसाब से शनि शिंगनापुर जाने के लिए सबसे अच्छा समय से सितम्बर से मार्च के मध्य होता है। गर्मी में यहाँ का तापमान 40 से 44 डिग्री में मध्य होता है। बरसात के समय सड़कों पर नदी-नाले उफान पर रहने के कारण समस्या हो सकती है। छुट्टी के दिन और शनिवार को अन्य दिनों की अपेक्षा यहाँ भीड़ होती है।
शनि शिंगणापुर में कहां ठहरें?
शनि शिंगनापुर में देवस्थान की तरफ से रहने की व्यवस्था है। रहने के साथ साथ यहाँ प्रसादालय भी बना है, जहाँ भोजन की उत्तम व्यवस्था है। भोजन करने के लिए टोकन लेना पड़ता है।
पौराणिक कथा शनि शिंगणापुर की
लगभग 400 साल पहले शिंगणापुर में मूसलधार बारिश का प्रकोप छाया था। पानी इतनी तेजी के साथ गिर रहा था कि कुछ समय में बाढ़ आ गई। इसी भारी बारिश ले दौरान एक श्याम वर्णीय पाषण प्रतिमा बेर के पेड़ में फंस कर रुक गई। बारिश थमने के बाद एक चरवाहे ने पाषण शिला को देखा, और अपने 4-5 लड़कों को एकत्रित किया। उस चरवाहे ने शिला को लाठी से कुरेदने की कोशिश की। कुरेदते ही उस शिला में एक घाव हो गया और खून बहने लगा। यह देख लड़के घबरा कर गाँव पहुचे और अपने माता पिता व अन्य गाँव वालों को सारा व्रतान्त सुनाया। गाँव के सारे लोग पाषण शिला के पास पहुँच गये और चमत्कार देख कर हैरान हो गये। रात होते देख लोग दुखी मन अपने घर पर वापस आ गये। रात्रि में एक व्यक्ति के स्वप्न में शनि देव आये और कहा ‘कल तुमने, गांव वालों ने, गोपालों ने जो कुछ देखा है, वह सब सच है। भक्त, मैं साक्षात शनिदेव बोल रहा हूं। मुझे वहां से उठाइए और मेरी प्राण प्रतिष्ठा कीजिए- इति शनि भगवान।’
अगले दिन उसने गांव के लोगों के समक्ष अपने सपने का वर्णन किया, जिसे सुनकर सभी आश्चर्य में पड़ गये और एक बैलगाड़ी लेकर बेर के पेड़ में अटकी शनि देव की पाषण प्रतिमा को लेने पहुचे। सभी लोगों के प्रतिमा को को उठाकर बैलगाड़ी में चढ़ाने का प्रयास किया पर वह प्रतिमा टस से मस नहीं हुई। अंत में मायूस गाँव वाले अपने-अपने घर लौट आए।
उस रात्रि पुन: शनि भगवान ने उसी भक्त के स्वप्न में आकर कहा भक्त मेरी प्रतिमा को केवल वही लोग उठा पाएंगे जो रिश्ते में सगे मामा-भांजा हों और जो बैल जोतेंगे, वे भी काले वर्ण के होने के साथ-साथ रिश्ते में सगे मामा-भांजा लगते हो। भक्त ने अगले दिन पुन: रात्रि का स्वप्न गाँव वालों को सुना कर अमल करने को कहा। अभी तक जो प्रतिमा एक साथ कई लोगों से नहीं उठी, उसे मात्र दो सगे मामा-भांजे के उठाने से सफलता प्राप्त हुई।
उस भक्त ने मन में प्रतिमा को अपने खेत में स्थापित करने का सोचा पर प्रतिमा स्थिर ही रही। गाँव में एक स्थान पर हलचल हुई तब शनि देव की प्रतिमा को हलचल वाले स्थान पर स्थपित किया गया। तब से शनिदेव की प्रतिमा उसी हलचल वाले स्थान पर आज तक स्थित है। एक भक्त ने शनि देव की कृपा से पुत्र रत्न प्राप्त होने पर सुंदर-सा चबूतरा बनाने का संकल्प किया। जब चबूतरे का निर्माण आरंभ हुआ, तब भक्तों ने प्रतिमा को हटा कर स्थान्तरित करने का प्रयास किया, तब भी प्रतिमा तस से मस नही हुई। रात्रि में शनिदेव ने भक्त के स्वप्न में आकर समझाया कि मुझे उठाए और हिलाये बिना चबूतरे का निर्माण करें। भक्तों ने उसी अवस्था में प्रतिमा के चारों तरफ तीन फिट का चबूतरा बनवाया। आज हमें न्याय के देवता श्री शनिदेव देव की प्रतिमा जितनी ऊपर दिखाई देती है, उतनी ही नीचे भी स्थित है।
Shani Shingnapur Temple Timings
शनि शिंगणापुर मंदिर सभी दिन के 24 घंटे खुला रहता है।
Shani Shingnapur Temple Aarti Timings
04.00 am and 05.00 pm.
शनि शिंगणापुर के दर्शन
शनि शिंगणापुर मंदिर सातों दिन 24 घंटे खुला रहता है। आप कभी भी शनि शिंगणापुर मंदिर में शनिदेव दर्शन कर सकते हैं। शनि शिंगणापुर मंदिर के बाहर बहुत सी प्रसाद की दुकाने बनी है। जब आप प्रसाद लेने जायेंगे तो ये दुकानदार प्रसाद की टोकरी हाथ में देकर मन्त्र पढने लग जायेंगे और 500 रूपये में प्रसाद देने की कोशिश करेंगे, इसके साथ ही साथ ये दुकानदार थोड़ा सा तेल बहुत अधिक दाम में देते है, इसलिए हो सके तो तिल, प्रसाद और तेल शनि शिंगणापुर के पहले ही खरीद लें।
अब आप दर्शन लाइन में लग जाइये। लाइन के साथ धीरे धीरे आगे बढ़ते रहे और मन में ॐ शं शनैश्चराय नम: का जाप करते रहें। थोडा आगे चलने पर तेल चढाने का स्थान दिखेगा, वहाँ तिल और तेल चढ़ा दीजिये। कुछ कदम आगे चलने पर आपको खुले आकाश के नीचे, एक संगमरमर के चबूतरे पर विराजित भगवान श्री शनिदेव के पाषण प्रतिमा के रूप में दर्शन होंगे। यह शनिदेव की प्रतिमा लगभग 5 फीट 9 इंच ऊंची व 1 फीट 6 इंच चौड़ी है। शनिदेव के दूसरे मंदिरों से अलग इस मंदिर में कोई छत, दीवार या दरवाजे नहीं है। हमने जो सरसों तेल चढ़ाया था, वही तेल वहाँ से रिफाइन होकर भगवान शनिदेव की प्रतिमा के ठीक ऊपर एक ताबें के पात्र से प्रतिमा पर लगातार टपकता रहता है। इस मंदिर में भगवान शनिदेव के साथ भगवान शिव, नंदी और हनुमानजी की भी प्रतिमाएं हैं। पहले शनि भगवान का दर्शन करें और उनसे प्रार्थना करें कि हे शनि भगवान काल हरो, कष्ट हरो, दुख हरो, हम पर आपकी साढ़े साती का कहर न बरसे, आपकी अच्छी कृपा दृष्टि हम पर हमेशा बनी रहे। इसके बाद हनुमान जी से परिवार की सुख शांति और समृद्धि के प्रार्थना भी जरूर करें। ध्यान रखे कि शनिदेव और हनुमान जी की एक साथ पूजा करने से व्यक्ति को पुण्य की प्राप्ति होती है। मंदिर में चरण पादुका भी है वहाँ स्पर्श कर शनिदेव का आशीर्वाद ले लीजिये।
शनि मंदिर के सामने अभिषेक मंदिर है, जहाँ अभिषेक किया जाता है। इस मंदिर में देवी और देवताओं की प्रतिमा विराजमान है। यहाँ सभी के दर्शन कर लीजिये। इस मंदिर से सामने बने शनिदेव भगवान के मंदिर द्रश्य बहुत सुन्दर दिखाई देता है। एक बार पुन: दर्शन कर लीजिये। मंदिर के निकट शिंगणापुर संसथान द्वारा शनिदेव जी के प्रसाद के रूप में प्रसादी पेड़ा मिलता है, जिसे टोकन प्राप्त करके काउंटर से ख़रीदा जा सकता है। मंदिर परिसर में ही एक रक्तदान शिविर भी है, जहाँ अगर आपकी इच्छा हो तो आप रक्तदान कर पुण्य कमा सकते है।
शनि शिंगणापुर मंदिर में महिलाओं के लिए प्रवेश का नियम
पिछले 400 से अधिक वर्षों से महिलाओं का मंदिर में प्रवेश वर्जित था। लेकिन 8 अप्रैल 2016 में महिलाओं द्वारा इस परंपरा के खिलाफ विरोध किये जाने के बाद कोर्ट के आदेश पर शनि शिंगणापुर मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को अनुमति मिली है।
शनि शिंगणापुर मंदिर के प्रमुख त्यौहार
आप साल भर में कभी भी शनि शिंगणापुर मंदिर में पूजा, अभिषेक और अन्य धार्मिक अनुष्ठान कर सकते हैं। पर शनैश्चर जयंती और शनि अमावस्या के शुभ दिनों में लगभग डेढ़ लाख लोग यहाँ आते है। शनि अमावस्या के हजारों भक्त शनिदेव की पूजा करने के लिए मंदिर की परिक्रमा करते हैं। शनि अमावस्या के अवसर पर शनि देव को पानी, तेल और फूलों से नहलाया जाता है और भगवान शनिदेव का जुलूस भी निकाला जाता है। श्री शनैश्चर जयंती के त्यौहार की भी बहुत ही धूम-धाम के साथ मनाया जाता है। शनि जयंती के दिन मंदिर की रोनक देखते ही बनती हैं।