नई दिल्ली: पंजाब की युवा पीढ़ी ने अपने होश में ऐसी त्रासदी शायद ही देखी हो। जानकारों के मुताबिक, पंजाब कई दशक पहले भी प्राकृतिक आपदा से जूझ चुका है। पंजाब में बाढ़ का पानी तो उतर गया है, लेकिन वह भयावह मंजर आज भी आँखों के सामने दुख और दर्द के जख्म बयां कर रहा है। ज़्यादातर इलाकों में अभी भी पानी भरा हुआ दिखाई दे रहा है।
पंजाब में बाढ़ आपदा में अब तक 46 लोगों की जान जा चुकी है। इसके साथ ही, बाढ़ से 1.75 लाख हेक्टेयर खड़ी फसलें नष्ट हो गई हैं। इससे लोगों के सामने भोजन और चारे की समस्या पैदा हो गई है। आसपास के लोग बाढ़ पीड़ितों की मदद में लगे हुए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी पंजाब का दौरा करेंगे, जहाँ वह बाढ़ की त्रासदी देखने के साथ-साथ प्रभावित परिवारों से भी मिलेंगे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पंजाब कब जाएंगे?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद पंजाब में आई त्रासदी का जायज़ा लेने जाएँगे। वह 9 सितंबर को पंजाब के दौरे पर रहेंगे, जहाँ वह बाढ़ से हुए नुकसान का जायज़ा लेंगे और पीड़ितों से मिलकर अपना दुख भी साझा करेंगे। एक अधिकारी ने बताया कि पंजाब में बाढ़ के कारण 46 लोगों की मौत हो गई है। 1.75 लाख हेक्टेयर ज़मीन पर फ़सलें बर्बाद हो गई हैं, जो किसानों के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है।
हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर में भारी बारिश के कारण पंजाब में बहने वाली नदियाँ रावी, सतलुज और व्यास खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं। इससे एनडीआरएफ और एसडीआरएफ कर्मियों के लिए भी चुनौती बढ़ गई है। हालाँकि, राहत और बचाव कार्य युद्ध स्तर पर जारी है। अधिकारी के अनुसार, शनिवार को पोंग बांध का जलस्तर थोड़ा कम होकर 1,394.19 फीट हो गया है।
कितने गाँव पानी में डूबे हैं?
पंजाब में बाढ़ की चपेट में सिर्फ़ गाँव ही नहीं, बल्कि कुछ कस्बे भी आ गए हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक, पंजाब के लगभग 2000 गाँव पानी में डूब गए हैं। राज्य के वित्त मंत्री हरप्रीत सिंह चीम ने इसे पाँच दशकों की सबसे बड़ी आपदा बताया है।
ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार, 3.87 लाख से ज़्यादा नागरिक प्रभावित हुए हैं, जिनमें 46 मौतें भी शामिल हैं। पानी की तेज़ रफ़्तार के कारण फिरोज़पुर ज़िले के ताली गुलाम गाँव में एक 50 वर्षीय व्यक्ति की तेज़ धारा में बहकर मौत हो गई।