Delhi High Court :संपत्ति को लेकर देश में कई कानून बने हुए हैं। कानून के तहत बताया गया है कि किस स्थिति में किसको संपत्ति मिलेगी किसको नहीं मिलेगी। संपत्ति के अधिकार को लेकर अक्सर लोगों के मन में भ्रम की स्थिति भी रहती है। दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले ने यह स्पष्ट कर दिया है कि बेटी को संपत्ति में कब अधिकार नहीं मिलता है।
हमारे कानून में सभी को समान रूप से रखा जाता है। संपत्ति के कानून में भी समानता के अधिकार को ध्यान में रखा जाता है। परंतु अकसर देखने को मिलता है कि बेटियों की संपत्ति को लेकर लोगों के मन में कंफ्यूजन रह जाता है।
कई बार बेटियां खुद भी कानूनी जानकारी के अभाव में संपत्ति से वंचित रह जाती हैं। ऐसे मामले कोर्ट (Delhi High court verdict) में जाते हैं और कोर्ट के फैसले फिर एक नई नजीर पेश करते हैं। आईए जानते हैं बेटियों के संपत्ति के अधिकारों के बारे में-
बहुत सारी बेटियों को नहीं मिलते संपत्ति
सबसे पहले हम पारंपरिक रीति रिवाज की बात करते हैं। पारंपरिक रीति रिवाज के अनुसार अक्सर देखा जाता है कि बेटियों को पराया धन कहा जाता है और बेटियों को संपत्ति में अधिकार (property rights of daughters) नहीं दिया जाता। अक्सर बेटों को ही संपत्ति स्थानांतरित की जाती है।
बेटियां भी सामाजिक तानेबाने को मानते हुए या फिर कानूनी जानकारी के अभाव में इस फैसले में संतुष्ट रहती हैं। परंतु कानून तो कुछ और ही कहता है।
क्या कहता है कानून
देश में संपत्ति के बंटवारे के लिए कानून बना हुआ है। हिंदू उत्तराधिकार एक्ट 1956 (Hindu Succession Act 1956) के अनुसार संपत्ति का बंटवारा किया जाता है। जब यह एक्ट बना था तो इसमें बेटियों को संपत्ति का अधिकार नहीं दिया गया था।
विवाहित बेटी को पिता की संपत्ति में अधिकार नहीं था, परंतु इस कानून में 2005 में संशोधन किया गया और इसको संशोधन के बाद लागू किया गया तो बेटियों को संपत्ति में बेटों के बराबर का अधिकार दिया गया। ऐसे में अब बेटियां अपने पिता की संपत्ति में अपने भाइयों के बराबर का अधिकार रखती हैं।
कब नहीं मिलता बेटियों को अधिकार
संपत्ति में हर बार बेटियों को अधिकार मिले ऐसा भी जरूरी नहीं है। बेटियों को संपत्ति (Daughter’s property rights) में समान अधिकार को लेकर भी कुछ नियम हैं।
दरअसल अगर कोई पिता अपने देहांत से पहले अपनी पूरी प्रॉपर्टी को बेटे के नाम कर देता है तो ऐसे में बेटे के नाम वसीयत होने पर उस संपत्ति पर पूरा अधिकार बेटे को ही होता है। यह पूर्ण रूप से पिता पर निर्भर करता है कि वह वसीयत किसके नाम लिख जाता है।
विवादित संपत्ति पर नहीं मिलता अधिकार
वहीं अगर किसी संपत्ति पर कोई विवाद चल रहा है और मामला कोर्ट (Delhi High Court) में विचाराधीन है तो उस संपत्ति का भी बंटवारा नहीं हो सकता। ऐसी स्थिति में ना ही बेटे को और ना ही बेटी को संपत्ति मिलती है। तब तक केस फारिक नहीं होता तब तक संपत्ति का बंटवारा नहीं होता।
स्वयं अर्जित संपत्ति में भी नहीं मिलता बेटी को अधिकार
दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court News) का भी एक फैसला आया है। जिसमें हिंदू उत्तराधिकार कानून के बारे में बताया गया है कि अगर पिता की कोई स्वअर्जित संपत्ति (self acquired property) है और वह उसको किसी दूसरे के नाम कराना चाहता है तो इसमें पिता की मर्जी चलती है।
बेटी इस संपत्ति में अपना दावा नहीं ठोक सकती है। स्वअर्जित संपत्ति पर पूर्ण रूप से पिता का ही अधिकार होगा कि वह उसे किसी को गिफ्ट में दे या फिर किसी और के नाम कर दे।
क्या कहता है दिल्ली हाई कोर्ट
दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court News) का कहना है कि बेटियों को संपत्ति में अधिकार दिया गया है। परंतु अगर किसी पिता ने अपनी संपत्ति को जीवित रहते किसी और के नाम कर दिया है तो उस संपत्ति (property rights) पर बेटी दावा नहीं कर सकती।
वहीं कानून कहता है कि अगर किसी पिता का देहांत बगैर संपत्ति के बंटवारे के हो जाता है तो वह संपत्ति बेटे हो या बेटियां, सभी में समान रूप से बटेगी।