नई दिल्ली की गर्म दोपहर में, एक खबर ने लोगों के बीच हलचल मचा दी। सरकार ने 30 माह बाद पेट्रोल-डीजल पर से अप्रत्याशित कर को समाप्त करने का निर्णय लिया। यह खबर उन कंपनियों के लिए खासकर राहत भरी साबित हुई है जो कि घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजार में ईंधन का व्यापार करती हैं।
सोमवार को वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने राज्यसभा में इस अहम अधिसूचना को पेश किया। इसके साथ ही, पेट्रोल-डीजल के निर्यात पर लगाए गए सड़क और बुनियादी ढांचा उपकर को भी वापस ले लिया गया, जिससे कंपनियों के लिए एक नई व्यापारिक संभावना खुल गई है।
गौरतलब है कि जुलाई 2022 में सरकार ने पहली बार अप्रत्याशित लाभ कर लगाया था। इसका प्रमुख उद्देश्य, विशेष रूप से ऊंचे मुनाफे को संतुलित करना था जो कि तेल की कीमतों में उछाल की वजह से हो रहा था।
एचडीएफसी में करंसी और कमोडिटी विभाग के प्रमुख अनुज गुप्ता के अनुसार, यह कर वसूला तो कंपनियों से जाता था, इसलिए इसका सीधा असर उपभोक्ताओं पर नहीं पड़ा। हालांकि, ऐसा माना जा रहा है कि लंबे समय में कम लागत के साथ उत्पादन और निर्यात से मिलने वाला लाभ, शेयरधारकों और वितरकों के पास पहुंच सकता है। IOCL समेत अन्य तेल कंपनियों के शेयर पर इसका सीधा असर देखने को मिलेगा.
इससे पहले पेट्रोल पर छह रुपये और डीजल पर 13 रुपये प्रति लीटर का निर्यात शुल्क लागू था। इस शुल्क में कमी से कंपनियों को आर्थिक संरचना में सुधार और विदेशी बाजार में प्रतिस्पर्धा करने का एक नया अवसर मिलेगा।
सरकार के इस कदम ने तेल कंपनियों में एक नया उत्साह भर दिया है, जो कि लंबे समय से इन अतिरिक्त करों के बोझ से जूझ रही थीं। इस बदलाव ने व्यापार जगत में नई संभावनाओं और रणनीतियों की दिशा में एक नई राह खोल दी है।