कब मिलती है प्राइवेट कर्मचारी को ग्रेच्युटी, कैसे किया जाता है कैलकुलेशन, जानिए नियम : किसी भी कर्मचारी के सेवानिवृत होने पर उसके द्वारा की गई कई वर्षों की सेवाओं के बदले कंपनी के द्वारा कर्मचारियों को उपहार के तौर पर ग्रेच्युटी दी जाती है ! ग्रेच्युटी सेवानिवृत्त के समय पर मिलने वाली एक लाभकारी योजना है ! लेकिन किसी कर्मचारी ने अगर बीच में ही नौकरी को छोड़ दिया है !
तो उसे भी ग्रेच्युटी मिलती है लेकिन इसके लिए कर्मचारियों को कुछ पूर्व निर्धारित नियमों को पूरा करना होता है ! ग्रेच्युटी किसी कर्मचारी के रिटायर होने पर या नौकरी को छोड़ने पर कंपनियों के द्वारा दिया गया एक उपहार होता है ! इस का लाभ लेने के लिए कर्मचारियों को एक निश्चित समय तक कंपनी में काम करना होता है !
तभी कर्मचारी ग्रेच्युटी के लिए पात्र माना जाता है ! ग्रेच्युटी के लिए वही कर्मचारी पात्र माने जाते हैं जो एक कंपनी में कम से कम 5 साल तक काम करते हैं ! क्योंकि ग्रेच्युटी भुगतान अधिनियम 1972 में इसके लिए पात्रता, शर्तें और अन्य प्रावधान किए गए हैं ! इस अधिनियम के तहत कोई कर्मचारी कब ग्रेच्युटी का हकदार होता है !
और इसे सुनिश्चित करने के लिए कंपनी की क्या जिम्मेदारी होती है ! लेकिन यह अधिनियम सरकारी विभागों, रक्षा, स्थानीय शासी संस्थाओं और प्राइवेट सेक्टर सहित विभिन्न अन्य क्षेत्रों पर लागू होता है ! इसके लिए यह जरूरी होता है कि यह सभी संस्थाएं और कंपनियां पूर्व निर्धारित नियमों को पूरा करती है !
Private Employee Gratuity – ग्रेच्युटी के लिए पात्रता
किसी भी कर्मचारियों को ग्रेच्युटी पाने के लिए नौकरी छोड़ने या रिटायर्ड होने से पहले लगातार कंपनी में 5 साल की सेवा देना होता है ! या फिर सरल शब्दों में कहीं तो 4 साल 10 महीने 11 दिन की सेवा को पूरा करना होता है ! लेकिन कुछ परिस्थितियों में जैसे – तालाबंदी, दुर्घटना, आनधिकृत अनुपस्थित या बर्खास्तगी में कंपनी इसके लिए बाध्य नहीं है !
ग्रेच्युटी न सिर्फ रिटायर होने पर मिलती है ! बल्कि यह ग्रेच्युटी विभिन्न अन्य स्थितियों में भी मिलती है जैसे – इस्तीफा, मृत्यु या विकलांगता, छंटनी, अपनी इच्छा से सेवानिवृत्ति, सेवा समाप्ति आदि सभी पर ग्रेच्युटी मिलती है !
Retirement Employee Gratuity – कंपनियों के लिए पात्रता
कानून के मुताबिक अगर किसी कंपनी में पिछले 1 साल से 10 या उससे अधिक कर्मचारी कार्य कर रहे हैं ! तो ऐसी कंपनियां या संगठनों को ग्रेच्युटी का भुगतान करना जरूरी होता है ! गैर खनन क्षेत्र के लिए एक साल में 240 दिन कार्य होते हैं ! जबकि खनन क्षेत्र के लिए 190 दिन होते हैं ! वहीं कुछ निजी क्षेत्र की कंपनियां में 10 साल की सेवा के बाद ग्रेच्युटी का भुगतान किया जाता है !
Private Employee Gratuity – ग्रेच्युटी कैलकुलेशन करें
ग्रेच्युटी की राशि कर्मचारियों के अंतिम वेतन और उनके कार्यकाल वर्षों पर निर्भर करती है ! ग्रेच्युटी अधिनियम के तहत कर्मचारियों के लिए ग्रेच्युटी कैलकुलेट करने का फार्मूला दिया गया है !
- फॉर्मूला = ( 15 x अंतिम वेतन x कार्य वर्षों की संख्या ) / 26
- अंतिम वेतन में मूल वेतन और महंगाई भत्ता शामिल होता है !
- 1 साल में 6 महीने या उससे अधिक कार्य वर्ष पूरे होने पर एक कार्य वर्ष के रूप में माना जाता है !
- उदाहरण के लिए
- XYZ की सेवा अवधि = 14 साल और 8 महीने
- कार्य वर्षों की संख्या = 15 वर्ष
- अंतिम वेतन = ₹40000
- कुल ग्रेच्युटी राशि = 15 x 40,000 x 15 / 26 = 3,46,153
Employee Gratuity – ग्रेच्युटी की मुख्य बातें
- अधिकतम ग्रेच्युटी 20 लख रुपए से अधिक नहीं हो सकती है ! इससे अधिक की राशि को अनुग्रह राशि माना जाता है ! जो स्वैच्छिक है और कानूनी रूप से लागू नहीं है !
- ग्रेच्युटी गणना के लिए 6 महीने से अधिक की सेवा को अगले पूर्ण वर्ष तक पूर्ण अंकित किया जाता है !
- किसी कर्मचारी की मृत्यु की स्थिति में ग्रेच्युटी नियमों के अनुसार नॉमिनी व्यक्ति या उत्तराधिकारी को ग्रेच्युटी का भुगतान किया जाता है !
- कदाचार के लिए सेवा की समाप्ति पर कंपनी के पास ग्रेच्युटी जप्त करने का अधिकार होता है ! मतलब की कंपनी ग्रेच्युटी भुगतान करने से इनकार कर सकती है !
- अगर किसी कर्मचारी को रोजगार की समाप्ति के 30 दिनों के भीतर ग्रेच्युटी का भुगतान नहीं किया जाता है ! तो कंपनी को ब्याज के साथ भुगतान करना होता है !
- कंपनी के दिवालिया होने की स्थिति में भी वह ग्रेच्युटी प्रतिबध्दताओं को पूरा करने के लिए बाध्य है !