एक किसान बेहद ही गरीब था। ये किसान अन्य लोगों के खेतों पर काम कर पैसे कमाया करता था। ये अपनी गरीबी से काफी दुखी था। वहीं एक दिन इस किसान के गांव में एक संत आया और ये संत रोज गांव के लोगों को प्रवचन दिया करता था। संत के प्रवचन गांव वालों को काफी पसंद आते थे। गरीब किसान को भी इस संत के बारे में पता चला। किसान ने सोचा की क्यों न मैं संत के पास अपनी गरीबी की समस्या लेकर जाओं। संत के पास इस समस्या का हल जरूर होगा। फिर क्या था अगले दिन किसान भी संत के प्रवचन सुनने पहुंच गया। प्रवचन खत्म होने के बाद किसान संत के पास गया। संत के पास पहुंचकर किसान ने कहा कि, मैं बेहद ही गरीब हूं। मेरे पास पैसे नहीं है, अपनी गरीबी से में परेशान हूं। कृपा कर आप मेरी इस समस्या का हल निकालें।

संत ने किसान की पूरी बात सुनकर कहा कि वो भगवान से पूछेंगे कि तुम गरीब क्यों हो। तुम जवाब लेने के लिए मेरे पास कल आना। किसान अगले दिन फिर संत के पास गया। संत ने किसान से कहा कि भगवान ने उन्हें बताया है कि तुम्हारी किस्मत में सिर्फ पांच बोरी अनाज ही है। इसीलिए भगवान तुम्हें थोड़ा-थोड़ा अन्न दे रहे हैं, ताकि जीवनभर तुम्हें खाना मिल सके।

संत की बात सुनकर किसान अपने घर वापस चले गया। घर जाकर किसान ने संत की बात पर काफी विचार किया और अगले दिन फिर संत से मिलने पहुंच गया। संत से मिलकर किसान ने कहा कि आप भगवान से कहो कि मुझे मेरी किस्मत का सारा अनाज एक साथ दे दे। कम से कम एक दिन मैं भरपेट भोजन तो कर लू। संत ने किसान की बात को मान लिया और कहा भगवान जरूर तुम्हारी ये इच्छा पूरी कर दें।
अगले दिन किसान के घर के बाहर उसे पांच बोरी अनाज मिला। किसान ने खुश होकर ये बोरियां उठा ली और भर पेट खाना खाया। पेट भरने के बाद किसान ने सोचा की क्यों न मैं बचा हुआ खाना गरीब लोगों में बांट दूं। ऐसा करने से मेरे साथ-साथ ओर लोगों का पेट भी भर जाएगा। किसान ने बचा हुआ सारा अनाज गांव के गरीब लोगों में बांट दिए। ऐसा करने से गांव के सभी गरीब लोगों ने एक दिन पेट भरकर खाना खा लिया।

अगले दिन किसान ने सोचा की फिर से उसे मेहनत करनी होगी, तभी उसे खाने को अनाज मिलेगा। लेकिन किसान जैसे ही अपने घर से बाहर निकला तो उसने अपने घर के बाहर फिर से पांच अनाज की बोरी देखी। किसान ने पहले अपना पेट भरा, फिर दूसरों को खाना खिला दिया। काफी दिनों तक ऐसा ही चलता रहा।

किसान ने सोचा की क्यों ने वो संत के पास जाएं और उनसे ये होने की वजह पूछे। संत से मिलकर किसान ने कहा कि आपने तो कहा था मेरी किस्मत में केवल पांच बोरी हैं। लेकिन कई दिनों से मुझे रोज पांच अनाज की बोरी मिल रही है। ऐसा मेरे साथ क्यों हो रहा है? संत ने मुस्कुरात हुए कहा कि क्या तुम ये सारा अनाज खुद खाते हो? किसान ने कहा कि नहीं, मैं अपना पेट भरने के बाद जो अनाज बच जाता था। उसे अन्य गरीब लोगों को बांट देता हूं। ताकि उनका भी पेट भर सके। ऐसा करने से मेरे साथ साथ गांव के अन्य लोगों का भी पेट भर जाता था।
संत ने किसान की बात सुनने के बाद कहा कि तुम्हारा दिल साफ है और तुमने अपने बारे में सोचने की जगह ओर लोगों के बारे में भी सोचा। भगवान को तुम्हारी ये भावना पंसद आई। जिसकी वजह से तुमें भगवान रोज पांच बोरी अनाज दे रहे हैं। तुम्हारे इस नेक काम से भगवान बहुत प्रसन्न हुए हैं। इसलिए वे तुम्हें अन्य जरूरतमंद लोगों की किस्मत का अनाज भी दे रहे हैं। ताकि तुम उनका भी पेट भर सको। संत की बात किसान को समझ आ गई और इसने दूसरों को खाना खिलाने का सिलसिला जारी रखा।
कथा से मिली सीख- जो लोग दूसरों का दुख समझते हैं और उनकी मदद करते हैं, उनपर भगवान की सदा कृपा बनीं रहती है। नेक दिल वाले लोगों की मदद भगवान जरूर करते हैं। इसलिए आप हमेशा अपना दिल साफ रखें और जितना हो सकता है उतना दान जरूर करें। दान-पुण्य करने से भगवान की कृपा जीवन पर बनीं रहती है। सदा अपना मन साफ रखें।