नई दिल्ली: बिहार विधानसभा चुनाव सभी राजनीतिक दलों के लिए बेहद अहम होने वाला है। सभी दल अपनी राजनीतिक ज़मीन मज़बूत करना चाहते हैं। यहाँ मुख्य मुक़ाबला एनडीए और महागठबंधन के बीच माना जा रहा है। दोनों ही गठबंधनों में सीट शेयरिंग एक बड़ा मुद्दा बना हुआ है। एनडीए की ओर से अभी तक सीट शेयरिंग को लेकर कोई घोषणा नहीं की गई है।
लोक जनशक्ति पार्टी के प्रमुख और एनडीए सरकार में केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने सीट बंटवारे में पेच फंसा दिया है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, चिराग पासवान इस बार राज्य की राजनीति में अपनी पार्टी का कद बढ़ाना चाहते हैं। इसके लिए वह 50 सीटों की मांग कर रहे हैं, लेकिन जेडीयू और बीजेपी के पास इतनी जगह नहीं है। बाकी सहयोगी दलों ने भी एनडीए में तनाव बढ़ा दिया है।
भाजपा और जदयू कितनी सीटों पर चुनाव लड़ेंगे?
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, भाजपा और जदयू बराबर-बराबर सीटों पर चुनाव लड़ सकते हैं। उम्मीद है कि दोनों दलों को 101-101 सीटें मिल सकती हैं। ऐसी भी अटकलें हैं कि जदयू बिहार में बड़े भाई की भूमिका निभा सकता है। अगर ऐसा होता है, तो जदयू को 105 सीटें तक दी जा सकती हैं। इस बंटवारे का मतलब होगा कि दोनों राजनीतिक दलों के बीच अच्छा तालमेल है। वे एक-दूसरे के प्रभुत्व में भी विश्वास रखते हैं।
चिराग की पार्टी बंपर सीटों की मांग कर रही है।
चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी लगभग 50 सीटों की मांग कर रही है। हालाँकि, ऐसा होने की उम्मीद बिल्कुल नहीं है। एनडीए सूत्रों की मानें तो चिराग पासवान को केवल 20 से 25 सीटें ही मिल सकती हैं। इतना ही नहीं, चिराग के समर्थक मीडिया के सामने भी सीएम बनाने की मांग कर रहे हैं। फिलहाल, सीटों की उनकी मांग भाजपा और जेडीयू के लिए सिरदर्द बन गई है।
इन पार्टियों को कितनी सीटें मिलने की उम्मीद है?
अन्य सहयोगी दलों, हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा और राष्ट्रीय लोक मोर्चा को कुछ सीटें मिलने की उम्मीद है। इनकी संख्या सीमित हो सकती है। हम पार्टी को 5-8 सीटें मिलने की संभावना है। आवाम मोर्चा को 4 से 5 सीटें मिल सकती हैं। पटना से दिल्ली तक एनडीए में सीट शेयरिंग को लेकर मंथन चल रहा है, लेकिन अभी तक इस पर अंतिम मुहर नहीं लगी है।