बिहार सरकार ने भूमि सर्वे प्रक्रिया को तीन महीने के लिए रोकने का फैसला लिया है, ताकि लोग अपने ज़मीन से जुड़े दस्तावेज़ तैयार कर सकें। राजस्व मंत्री दिलीप जायसवाल ने कहा कि यह निर्णय लोगों को आ रही दस्तावेज़ संबंधी समस्याओं को देखते हुए लिया गया है। इसके बाद सर्वे फिर से शुरू होगा, जिससे भूमि विवादों में कमी आएगी और डिजिटल रिकॉर्ड तैयार होंगे।
बिहार में भूमि सर्वे प्रक्रिया को लेकर राज्य सरकार ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। राज्य के राजस्व और भूमि सुधार मंत्री दिलीप जायसवाल ने घोषणा की है कि राज्य में चल रहे भूमि सर्वे को फिलहाल तीन महीने के लिए रोका जाएगा, ताकि लोग अपने ज़मीन के कागजात दुरुस्त कर सकें। इस फैसले से उन लोगों को बड़ी राहत मिली है, जिनके पास ज़मीन से जुड़े आवश्यक दस्तावेज़ नहीं थे या वे इन्हें सही समय पर प्रस्तुत करने में असमर्थ रहे।
सर्वे के दौरान सामने आईं समस्याएं
मंत्री दिलीप जायसवाल ने बताया कि सर्वे प्रक्रिया के दौरान कई लोग दस्तावेज़ों की कमी या उनके गुम हो जाने जैसी परेशानियों से जूझ रहे थे। ख़ासतौर पर 38% लोगों को खतियान और वंशावली जैसे कागजातों की आवश्यकता थी, जिन्हें प्रस्तुत करने में उन्हें कठिनाई हो रही थी। इन चुनौतियों को देखते हुए सरकार ने सर्वे को तीन महीने के लिए रोकने का निर्णय लिया है। इस अवधि में लोगों को पर्याप्त समय मिलेगा ताकि वे अपने दस्तावेज़ों को व्यवस्थित कर सकें और सर्वे के अगले चरण के लिए तैयार हो सकें।
सर्वे क्यों है जरूरी?
भूमि सर्वे प्रक्रिया की आवश्यकता पर जोर देते हुए मंत्री ने कहा कि राज्य में 60% से अधिक आपराधिक मामले भूमि विवाद से जुड़े होते हैं। सर्वे पूरा हो जाने के बाद भूमि से जुड़े अधिकतर विवादों को हल करने में मदद मिलेगी। यह सर्वे प्रक्रिया सरकार द्वारा राज्य की जमीनों का डिजिटल रिकॉर्ड तैयार करने के उद्देश्य से शुरू की गई है। इस रिकॉर्ड के माध्यम से भविष्य में होने वाले भूमि विवादों को कम किया जा सकेगा और नागरिकों को अपनी जमीन का सही अधिकार मिलने में आसानी होगी।
सरकारी अधिकारियों को सख्त निर्देश
सरकार ने साथ ही सभी राजस्व अधिकारियों को यह भी सख्त निर्देश दिए हैं कि वे इस प्रक्रिया को ईमानदारी और पारदर्शिता के साथ पूरा करें। मंत्री ने जमीन माफियाओं और अतिक्रमणकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की भी चेतावनी दी है। सरकारी जमीनों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए विशेष ध्यान दिया जा रहा है।
कैथी लिपि के दस्तावेज़ों से जुड़ी समस्या
सर्वे के दौरान कैथी लिपि में बने पुराने दस्तावेज़ों को पढ़ने और समझने में आ रही कठिनाइयों के कारण भी प्रक्रिया में रुकावट आई है। इसके समाधान के लिए सरकार ने सर्वे में शामिल अधिकारियों को कैथी लिपि का विशेष प्रशिक्षण देने का निर्णय लिया है। इस प्रशिक्षण के लिए बनारस से विशेषज्ञ बुलाए जाएंगे ताकि अधिकारी इस लिपि को सही ढंग से समझ सकें और दस्तावेज़ों का सटीक सत्यापन कर सकें।
नागरिकों के लिए राहत
इस तीन महीने की मोहलत से राज्य के नागरिकों को अपनी ज़मीन से जुड़े कागजातों को ठीक करने का समय मिलेगा। सरकार ने लोगों से अपील की है कि वे इस अवधि का सदुपयोग कर अपने ज़मीन से जुड़े सभी दस्तावेज़ों को सही करें ताकि सर्वे प्रक्रिया बिना किसी बाधा के फिर से शुरू हो सके।
बिहार सरकार का यह फैसला भूमि सुधार और विवादों के समाधान की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। इससे न केवल ज़मीन के रिकॉर्ड को अपडेट करने में मदद मिलेगी, बल्कि भविष्य में होने वाले भूमि विवादों को भी रोका जा सकेगा।