रतन टाटा का निधन भारतीय उद्योग जगत की एक बड़ी क्षति है। उनके अंतिम संस्कार में उनकी मां, सिमोन टाटा, की भावुकता ने सभी को प्रभावित किया। इस लेख में हम रतन टाटा के जीवन, उनके योगदान और उनके अंतिम संस्कार के भावुक क्षणों पर चर्चा करेंगे।
रतन टाटा का जीवन और योगदान
रतन टाटा का जन्म 28 दिसंबर 1937 को हुआ था। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत 1962 में पारिवारिक व्यवसाय में की थी। 1991 में, उन्होंने टाटा समूह के चेयरमैन का पद संभाला और इसके बाद उन्होंने समूह को वैश्विक स्तर पर स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। रतन टाटा ने न केवल व्यापार में उत्कृष्टता हासिल की, बल्कि सामाजिक कार्यों में भी अपनी भागीदारी के लिए जाने जाते थे।
उनकी नेतृत्व क्षमता ने टाटा समूह को नई ऊँचाइयों पर पहुँचाया। उन्होंने कई प्रमुख परियोजनाओं की शुरुआत की, जैसे कि टाटा नैनो, जो कि दुनिया की सबसे सस्ती कार थी। उनके कार्यों ने न केवल भारत में बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी टाटा समूह की पहचान को मजबूती दी।
अंतिम संस्कार का भावुक क्षण
9 अक्टूबर 2024 को रतन टाटा का निधन हुआ, जिसके बाद उनका अंतिम संस्कार वर्ली के श्मशान घाट में राजकीय सम्मान के साथ किया गया। इस दौरान उनकी मां, सिमोन टाटा, रोती-बिलखती हुई नजर आईं। उनका यह दृश्य दिल को छू लेने वाला था। सिमोन टाटा ने अपने बेटे को अंतिम विदाई देते समय अपने दुख को छिपा नहीं पाईं।
उनकी आंखों में आंसू थे और चेहरे पर गहरी उदासी थी। यह दृश्य न केवल परिवार के लिए, बल्कि वहां उपस्थित सभी लोगों के लिए भावुक था। रतन टाटा के प्रति उनके प्यार और सम्मान ने सभी को प्रभावित किया।
समाज पर रतन टाटा का प्रभाव
रतन टाटा का जीवन हमारे लिए प्रेरणा का स्रोत है। उन्होंने हमेशा समाज सेवा को प्राथमिकता दी और शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और स्वच्छता जैसे मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी उनके निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा कि रतन टाटा एक दूरदर्शी कारोबारी नेता थे जिन्होंने समाज के लिए बहुत कुछ किया।
रतन टाटा का निधन एक युग का अंत है। उनकी मां का दुखद दृश्य हमें यह याद दिलाता है कि जीवन कितना अनिश्चित है और हमें अपने प्रियजनों के साथ हर पल जीने की आवश्यकता है। रतन टाटा की विरासत हमेशा जीवित रहेगी और उनकी शिक्षाएं आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करेंगी।