आज सफलता की कहानी में हम बिहार के किसान विष्णु चित के बारे में जानेंगे, जो बेबी कॉर्न की खेती से कम लागत में ज्यादा मुनाफा कमा रहे है।
विष्णु चित जी का परिचय
विष्णु चित बिहार के गया जिले के रहने वाले हैं। वे पारंपरिक फसलों की खेती करते थे, पर कुछ साल पहले वे दिल्ली गए तो वहां उन्होंने देखा कि बेबी कॉर्न का बहुत इस्तेमाल हो रहा है और इसकी डिमांड भी काफी अच्छी थी मार्केट में। वहां से उन्होंने सोचा कि क्यों न मार्केट में जिस चीज की ज्यादा डिमांड है, उसकी खेती की जाए, क्योंकि पारंपरिक फसलों का मार्केट में ज्यादा मात्रा में उत्पादन होने के वजह से डिमांड ज्यादा नही थी और इसे बेचने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता था और मनमुताबिक भाव भी नहीं मिलते थे। आइए जानते हैं उनकी बेबी कॉर्न की खेती से जुड़ी पूरी कहानी।
बेबी कॉर्न की खेती कैसे करते हैं
विष्णु जी ने बेबी कॉर्न की खेती के बारे में मार्केट रिसर्च की और इसके फायदे के बारे में जाना तो उन्हें पता चला कि बेबी कॉर्न कम लागत में ज्यादा मुनाफा देने वाली फसल है, क्योंकि इसकी फसल एक बार लगाने के बाद ये साल में 5 बार फसल देते है। इसकी खेती में पारंपरिक खेती से मेहनत कम लगता है और साथ ही पानी भी कम लगता है, और देखभाल भी ज्यादा नहीं करनी पड़ती है । इसे किसी भी मौसम में लगाया जा सकता है।

बता दें कि बेबी कॉर्न कच्ची और छोटी मकई होती है, जिसको परागण से पहले ही तोड़ लिया जाता है। पिछले कुछ सालों में भारत में इसका उपयोग काफी बढ़ गया है। इसे बहुत तरह की व्यंजन में इस्तेमाल किया जाता है। इसमें फाइबर,प्रोटीन,विटामिन जैसे A,B और C भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं, साथ ही इसमें आयरन,मैग्नीशियम और पोटेशियम भी पाए जाते हैं, जो कि स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद हैं।
विष्णु जी अपने 2 एकड़ जमीन में बेबी कॉर्न की खेती करते हैं। एक एकड़ में 350 ग्राम बीज लगता है और उन्हें साल में 1000 रुपए की लागत आती है। इसमें सन आने के एक या दो दिन के अंदर ही इसे सूझबूझ से तोड़ना पड़ता है। इसकी फसल को बहुत ध्यान से एक ऊंचाई तक बढ़ने दिया जाता है, उस ऊंचाई तक आने पर पता चल जाता है कि फसल तैयार है। इसको समय से तोड़ना परता जो कि इसकी खेती का सबसे महत्वपूर्ण चरण होता है।
मार्केट में डिमांड ज्यादा होने के वजह से आमदनी दोगुनी होती है
उन्होंने अपने खेती को बढ़ाने का मन बनाया है क्योंकि इसकी डिमांड मार्केट में ज्यादा है,और सप्लाई कम है। उनके एक एकड़ से 200 किलोग्राम तक का बेबी कॉर्न का उत्पादन होता है जो कि मार्केट में 150 से 200 रूपए तक बिकती है। और शादी के समय इसके भाव 300 रूपए तक पहुंच जाती है। इसकी ऑर्डर पहले से ही रहती है जिसके वजह से उनकी सालाना आमदनी अभी लाखों में हो रही है,जो कि आने वाले समय में और बढ़ने वाली है।
बेबी कॉर्न की खेती में ज्यादा मेहनत नहीं है ,हर मौसम में हो जाती है और कम लागत में ज्यादा मुनाफा देती है और रेस्टोरेंट और शादी में मार्केट में डिमांड भी बहुत ज्यादा है। इसकी खेती में फायदे ही फायदे हैं।
विष्णु जी की सफलता उनके नई सोच,मार्केट रिसर्च और नए फसल को लेकर खेती करने के तरीके का अंजाम है। उनकी सफलता देखकर उनके जिले के किसान भी अब पारंपरिक खेती छोड़कर बेबी कॉर्न की खेती करना शुरु कर दिए हैं।
