नई दिल्ली: लगभग 20 साल पहले चीन ने तिब्बत की राजधानी ल्हासा को अपने राष्ट्रीय रेल नेटवर्क से जोड़ा था। अब बीजिंग तिब्बत में रेल बुनियादी ढांचे को और गहरा करने की दिशा में कदम बढ़ा रहा है। नवीनतम रिपोर्टों के मुताबिक, चीन अक्साई चिन से होकर एक नई तिब्बत-शिनजियांग रेलवे लाइन बनाने की योजना पर काम कर रहा है, जो वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के बेहद करीब होगी।
अक्साई चिन पर रेलवे, भारत की रणनीतिक चिंता
अक्साई चिन भारत का अभिन्न हिस्सा है, लेकिन 1950 के दशक से यह चीन के कब्ज़े में है। इसी इलाके में बनी G219 हाईवे ने 1962 के भारत-चीन युद्ध की पृष्ठभूमि तैयार की थी। नई रेलवे लाइन के बन जाने से चीन को सीमा के पास सैनिकों और रक्षा सामग्री की तेज़ी से तैनाती में बड़ी सुविधा होगी, जिससे नई दिल्ली की रणनीतिक चिंता बढ़ना तय है।
रेलवे लाइन का प्रस्तावित रूट
यह नई रेलवे लाइन तिब्बत के शिगात्से से शुरू होगी, नेपाल सीमा के पास से गुज़रेगी, फिर अक्साई चिन होते हुए शिनजियांग के होतान तक जाएगी। लगभग 2,000 किमी लंबी इस परियोजना से चीन 2035 तक तिब्बत में 5,000 किमी का रेलवे फ्रेमवर्क तैयार करने की दिशा में आगे बढ़ेगा।
तिब्बत में चीन की रेल रणनीति
पिछले कुछ वर्षों में चीन ने तिब्बत में कई अहम रेलवे लाइनें शुरू की हैं:
- 2014: ल्हासा–शिगात्से लाइन
- 2021: ल्हासा–निंगची लाइन, जो अरुणाचल प्रदेश की सीमा के करीब है
इसके अलावा, चीन नेपाल-तिब्बत सीमा और सिक्किम-भूटान-चीन त्रिजंक्शन (डोकलाम) के पास भी रेल नेटवर्क का विस्तार कर रहा है।
भारत की प्रतिक्रिया और विशेषज्ञों की राय
भारत सरकार ने अब तक इस नई योजना पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है। हालांकि, रक्षा विशेषज्ञ मानते हैं कि यह परियोजना रणनीतिक रूप से आक्रामक है और इससे सीमा क्षेत्र में सुरक्षा संतुलन प्रभावित हो सकता है।
सीमा सुरक्षा मामलों के एक विश्लेषक के अनुसार,
“चीन का यह कदम केवल आर्थिक या इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास का हिस्सा नहीं है, बल्कि इसमें स्पष्ट रूप से सामरिक इरादे शामिल हैं।”
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