भारत के लिए एक बड़ी खुशखबरी सामने आ रही है, और यह ऐसे समय में आई है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जापान से चीन की धरती पर पहुँच चुके हैं। ताज़ा रिपोर्ट्स के मुताबिक रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन दिसंबर में भारत का आधिकारिक दौरा करने वाले हैं। माना जा रहा है कि यह यात्रा अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ वॉर को झटका दे सकती है।
दरअसल, ट्रंप ने हाल ही में अलास्का में पुतिन को बुलाकर भारत पर दबाव बनाने की कोशिश की थी, लेकिन पुतिन ने ऐसा कोई संकेत नहीं दिया जिससे नई दिल्ली पर नकारात्मक असर पड़ता। इसके विपरीत, इस बैठक से साफ हो गया कि रूस भारत के साथ अपने रिश्तों को और गहराने के लिए तैयार है।
जानकारी के अनुसार, पुतिन और यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की के रुख ने ट्रंप की योजनाओं को ध्वस्त कर दिया है। रूस-यूक्रेन युद्ध लगातार तेज हो रहा है और इस बीच क्रेमलिन अधिकारियों ने एएफपी को पुष्टि की है कि पुतिन दिसंबर में भारत की आधिकारिक यात्रा पर आएंगे। यह घोषणा ऐसे समय में हुई है जब भारत को रूस से तेल खरीद जारी रखने के चलते अमेरिका के कड़े टैरिफ और प्रतिबंधों का सामना करना पड़ रहा है। पहले ही पुतिन मोदी का भारत आने का न्यौता स्वीकार कर चुके थे, अब तारीख भी लगभग तय हो गई है।
इस यात्रा का महत्व और बढ़ जाता है क्योंकि 1 सितंबर को प्रधानमंत्री मोदी चीन के तियानजिन शहर में होने वाले शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन के दौरान पुतिन से मुलाकात करने वाले हैं। 2022 में यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद से यह पुतिन की पहली भारत यात्रा होगी। मौजूदा भू-राजनीतिक हालात में यह यात्रा अहम मानी जा रही है, क्योंकि एक ओर भारत-अमेरिका संबंधों में तनाव है तो दूसरी ओर रूस और चीन के साथ भारत का सहयोग गहराता जा रहा है।
ट्रंप ने हाल ही में भारत-रूस व्यापार पर अतिरिक्त 25% शुल्क लगा दिया है, जिससे कुल टैक्स दर 50% तक पहुँच गई है। अमेरिकी अधिकारियों का आरोप है कि रूस से भारत का कच्चा तेल आयात यूक्रेन युद्ध की अप्रत्यक्ष फंडिंग है।
हालाँकि नई दिल्ली ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि उसका तेल आयात पूरी तरह बाज़ार की ज़रूरतों और राष्ट्रीय हितों पर आधारित है। भारत ने यह भी स्पष्ट किया कि जब यूरोप और अन्य बड़े देश रूस के साथ कारोबार जारी रख सकते हैं, तो सिर्फ भारत को निशाना बनाना अनुचित है। अमेरिकी दबाव के बावजूद भारत ने रूस से ऊर्जा आयात रोकने का कोई संकेत नहीं दिया है। पश्चिमी देशों द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों के बाद से रूस भारत का प्रमुख कच्चा तेल आपूर्तिकर्ता बन चुका है।