फ्रांस और इज़राइल से लगातार बढ़ती रक्षा ख़रीदारी के बावजूद, रूस अब भी भारत का प्रमुख रक्षा साझेदार बना हुआ है। स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) के आँकड़ों के अनुसार, वर्ष 2020 से 2024 के बीच भारत द्वारा किए गए कुल हथियार आयात का लगभग 36% हिस्सा रूस से आया।
दशकों पुरानी रणनीतिक साझेदारी
भारत और रूस की रक्षा भागीदारी कई दशकों से चली आ रही है। दोनों देशों ने मिलकर कई महत्वपूर्ण परियोजनाओं को अंजाम दिया है—
- टी-90 टैंकों और सुखोई-30 एमकेआई फाइटर जेट्स का लाइसेंस उत्पादन
- मिग-29 और कामोव हेलीकॉप्टरों की आपूर्ति
- एयरक्राफ्ट कैरियर INS विक्रमादित्य (पूर्व एडमिरल गोर्शकोव) का अधिग्रहण
- भारत में AK-203 राइफल्स का उत्पादन
- ब्रह्मोस मिसाइल कार्यक्रम का विकास
ऑपरेशन सिंदूर में S-400 की भूमिका
पाकिस्तान के खिलाफ भारतीय सेना की कार्रवाई के दौरान रूस निर्मित S-400 एयर डिफेंस सिस्टम ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस प्रणाली की मदद से कई दुश्मन मिसाइलों को रोकने और नष्ट करने का श्रेय मिला, जिससे भारत की सुरक्षा क्षमता और भी मजबूत हुई।
अमेरिका की नाराज़गी के बीच भारत-रूस की नज़दीकियाँ
हाल ही में अमेरिका और भारत के बीच व्यापारिक तनाव देखने को मिला है, लेकिन इसी दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने मुलाकात कर रणनीतिक रिश्तों को और मजबूत करने का संकल्प लिया। मोदी ने स्पष्ट कहा कि कठिन से कठिन समय में भी भारत और रूस “कंधे से कंधा मिलाकर” खड़े रहे हैं।
ऊर्जा क्षेत्र में गहराता सहयोग
भारत ने हाल ही में सस्ते दाम पर रूसी तेल की खरीदारी फिर से शुरू की है। अगस्त के आख़िरी हफ़्ते में भारतीय रिफाइनरियों ने करीब 11.4 मिलियन बैरल रूसी कच्चा तेल प्राप्त किया। अमेरिका और यूरोप की आलोचना के बावजूद, रूस से सस्ती आपूर्ति भारत की ऊर्जा सुरक्षा को मज़बूत कर रही है।
पुतिन को भारत आने का निमंत्रण
प्रधानमंत्री मोदी ने दिसंबर में राष्ट्रपति पुतिन को भारत यात्रा के लिए आमंत्रित किया। उन्होंने कहा कि 140 करोड़ भारतीय उनका स्वागत करने को उत्सुक हैं। दोनों नेताओं ने इस मुलाकात के दौरान न केवल औपचारिक वार्ता की, बल्कि अनौपचारिक बातचीत में भी काफी समय बिताया।
मोदी ने यह भी दोहराया कि भारत यूक्रेन युद्ध में शांति स्थापित करने के सभी प्रयासों का समर्थन करता है, और हिंसा समाप्त करने का रास्ता खोजने की जरूरत है।