काम बंद होने से परेशान मजदूरों के लिए बड़ी खुशखबरी, दिल्ली सरकार अब आर्थिक राहत के रूप में ₹10,000 दे रही है। जानें कौन-कौन ले सकता है यह फायदा और कैसे करें तुरंत आवेदन।
दिल्ली की हवा फिर से जहरीली हो चुकी है। सर्दियों का मौसम आते ही प्रदूषण का स्तर खतरनाक सीमा पार कर गया, जिससे शहर भर में निर्माण का सारा काम रुक गया। हजारों मजदूर परिवार अपनी दैनिक कमाई खोने के कगार पर पहुंच गए थे। ऐसे में दिल्ली सरकार ने एक बड़ा फैसला लेते हुए प्रभावित मजदूरों को सीधे उनके बैंक खातों में 10,000 रुपये भेजने का ऐलान किया है। यह कदम न सिर्फ मजदूरों की तत्काल आर्थिक जरूरतों को पूरा करेगा, बल्कि प्रदूषण नियंत्रण के प्रयासों को भी मजबूती देगा।
प्रदूषण क्यों बढ़ा और काम क्यों रुका?
दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में सर्द हवाओं और पराली जलाने की वजह से वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 400 से ऊपर चला गया। इससे ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (GRAP) के तहत निर्माण गतिविधियों पर पूर्ण प्रतिबंध लग गया। स्कूल बंद हो गए, दफ्तरों में आधी क्षमता से काम चल रहा है। मजदूरों का काम ठप होने से परिवारों का गुजारा मुश्किल हो गया। सरकार ने समझा कि अगर मजदूर भूखे रहेंगे तो प्रदूषण कम करने का कोई मतलब नहीं। इसलिए यह मुआवजा योजना तुरंत लागू की गई, जो GRAP के हर चरण के हिसाब से बनेगी।
कौन से मजदूर लाभान्वित होंगे?
यह मदद सिर्फ उन मजदूरों को मिलेगी जो दिल्ली लेबर डिपार्टमेंट में पहले से पंजीकृत हैं। निर्माण स्थलों पर काम करने वाले रजिस्टर्ड वर्कर्स, जिनके दस्तावेज सत्यापित हैं, वे प्राथमिक सूची में शामिल होंगे। अस्पतालों, अग्निशमन विभाग या प्रदूषण नियंत्रण से जुड़े जरूरी निर्माण इससे बाहर रहेंगे। योजना के तहत एकमुश्त 10,000 रुपये दिए जाएंगे, और अगर GRAP लंबा चला तो अतिरिक्त दिनों का हिसाब जोड़कर और राशि बढ़ाई जा सकती है। इससे मजदूरों को कम से कम एक महीने का राशन जुटाने में मदद मिलेगी।
पैसे कैसे और कब मिलेंगे?
सबसे सरल तरीका अपनाया गया है – डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT)। मजदूरों के आधार से लिंक्ड बैंक खाते में पैसे सीधे आ जाएंगे। जिन्होंने अभी तक रजिस्ट्रेशन नहीं कराया, वे जल्द से जल्द लेबर डिपार्टमेंट की वेबसाइट या नजदीकी कार्यालय में जाकर नाम दर्ज करा लें। प्रक्रिया डिजिटल है, इसलिए कागजों की झंझट कम। सरकार का लक्ष्य है कि अगले कुछ दिनों में लाखों मजदूरों तक यह राशि पहुंच जाए। यह न केवल आर्थिक राहत देगी, बल्कि मजदूरों का भरोसा भी बढ़ाएगी।
सरकार के अन्य कदम और भविष्य की योजना
प्रदूषण से निपटने के लिए दिल्ली सरकार ने कई मोर्चे खोले हैं। सरकारी और प्राइवेट दफ्तरों में 50 प्रतिशत कर्मचारियों को वर्क फ्रॉम होम करना अनिवार्य कर दिया गया। सड़कों पर वाहनों की संख्या घटाने के लिए ओड-ईवन जैसी व्यवस्था पर विचार चल रहा है। मजदूरों के लिए यह योजना एक मिसाल है कि पर्यावरण संरक्षण और जनकल्याण साथ-साथ चल सकते हैं। भविष्य में ऐसी योजनाओं को और मजबूत करने की जरूरत है, ताकि हर संकट में गरीब वर्ग प्रभावित न हो। कुल मिलाकर, यह फैसला दिल्ली की मजदूर बिरादरी के लिए वरदान साबित होगा।
