वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट सरकार की एक ऐसी योजना है जो कि किसानों,कारीगरों और स्थानीय उत्पादों से रोजगार और कमाई का नया रास्ता खोला है। आइए इस योजना के बारे में विस्तार से जानते हैं।
वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट योजना की शुरुआत कहाँ और कब हुई थी ?
वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट योजना की शुरुआत 2018 में सबसे पहले उत्तर प्रदेश सरकार ने शुरु की थी। इस योजना के तहत सरकार का मकसद ये था कि हर जिले के प्रमुख कृषि या पारंपरिक उत्पादों को पहचान मिले और बेहतर बाजार मिले। बाजार मिलने से रोजगार और आमदनी बढ़ेगी और जीवन स्तर में सुधार आएगा।
सरकार इन उत्पादों के लिए प्रशिक्षण,ब्रांडिंग,पैकजिंग में सहायता करती है ताकि स्थानीय उत्पादों को राष्ट्रिय और अंतरराष्ट्रीय पहचान मिले। ये योजना इतनी सफल रहीं कि पूरे देश में इसको लागू कर दिया गया।
मध्य प्रदेश में वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट योजना का प्रभाव

मध्य प्रदेश में ये योजना 2021 में शुरु की गई थी। इस योजना को मध्य प्रदेश सरकार ने आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत अपनाया था। मध्य प्रदेश के कुल 52 डिस्ट्रिक्ट के उत्पाद ODOP लिस्ट में शामिल हैं। जैसे नीमच का धनिया,मंदसौर का लहसुन,आगर मालवा का संतरा, पन्ना जिले का आंवला,उमरिया जिले का महुआ इत्यादि। सभी जिलों की लिस्ट आप इस वेबसाइट पर https://www.mofpi.gov.in/en/pmfme/one-district-one-product जाकर देख सकते हैं।
हाल ही में उमरिया जिले का महुआ और पन्ना जिले के आंवला को मिली प्रोत्साहन
सोशल मीडिया पर समय समय पर हर एक जिले के उत्पादन को प्रोत्साहित किया जाता है।जैसे अभी पन्ना जिले के आँवला जो कि औषधीय गुणों के लिए पूरे मध्य प्रदेश में प्रसिद्ध हो गया है। यहाँ लगभग 8986 मीट्रिक टन आँवला का उत्पादन किया जाता है जिससे बनते हैं मुरब्बा,जैम, कैंडी,जूस और औषधियां जो कि देशभर से लोग खरीद रहे हैं। इससे किसानों की आमदनी बहुत बढ़ गई है।

जैसे पन्ना का आँवला, वैसे ही उमरिया जिले का महुआ। महुआ का उत्पादन उमरिया जिले में बहुत होता है। इसके फूल और फल से लड्डू,तेल और परंपरागत दवाइयां बनाई जाती हैं। यह फसल किसानों और आदिवासी परिवारों के लिए आमदनी का एक बड़ा स्रोत बन चुकी है।

वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट से मध्य प्रदेश सरकार अपने स्थानीय उत्पादों को दुनिया के हर कोने तक पहुँचाकर किसानों और कारीगरों को आत्मनिर्भर बना रही है।
