क्या आप जानते हैं कि यजीदी समुदाय के रीति-रिवाज और आस्थाएँ हिंदू धर्म से काफी मिलती-जुलती हैं? जानिए इस समुदाय की पौराणिक मान्यताओं और उत्पीड़न की दर्दनाक कहानी, जो आपको हैरान कर देगी
दुनिया भर में जब भी अल्पसंख्यकों की बात होती है, तो यजीदी समुदाय (Yazidi Community) का नाम जरूर सामने आता है। मुस्लिम बहुल इलाकों में रहने वाला यह समुदाय अपनी विशिष्ट पहचान और परंपराओं के कारण जाना जाता है। खास बात यह है कि यजीदियों की कई मान्यताएँ हिंदू परंपराओं से मेल खाती हैं, जो इस समुदाय को और भी दिलचस्प बनाती हैं।
यजीदी कौन हैं और कहाँ रहते हैं?
यजीदी मूल रूप से उत्तरी इराक (Northern Iraq) में निवास करते हैं। इनके प्रमुख इलाके शेखान, सिंजार (Sinjar) और मोसुल (Mosul) के आसपास स्थित हैं। इसके अलावा ये तुर्की, सीरिया, ईरान और जॉर्जिया में भी बसे हुए हैं। अनुमान के मुताबिक, यजीदियों की वैश्विक आबादी करीब 10 लाख है।
यजीदियों की धार्मिक मान्यताएँ और परंपराएँ
यजीदी धर्म की जड़ें प्राचीन मेसोपोटामिया (Mesopotamia) की धार्मिक परंपराओं में हैं। यह धर्म ईश्वर के एक रूप ‘मलाक ताउस’ (Melek Taus) को मानता है, जो एक पवित्र मोर (Peacock Angel) के रूप में पूजनीय है। यह मान्यता हिंदू धर्म में गरुड़ और कार्तिकेय जैसे देवताओं की पूजा से मिलती-जुलती है।
यजीदियों का विश्वास है कि मलाक ताउस ही ईश्वर का प्रतिनिधि है, जो सृष्टि का संचालन करता है। इनके धार्मिक स्थल ‘लालेश’ (Lalish) नामक एक घाटी में स्थित है, जो यजीदियों का सबसे बड़ा तीर्थ स्थल है।
हिंदू परंपराओं से समानता
यजीदियों की धार्मिक मान्यताओं में कई ऐसी बातें हैं, जो हिंदू परंपराओं से मेल खाती हैं। जैसे कि:
- यजीदी पवित्र किताब ‘किताबे जाल्वा’ (Kitabe Cilwe) और ‘मशाफे रेश’ (Meshaf Resh) में पुनर्जन्म और कर्म (Karma) के सिद्धांत का उल्लेख मिलता है, जो हिंदू धर्म में भी महत्वपूर्ण हैं।
- यजीदियों में विवाह को पवित्र बंधन माना जाता है और जाति व्यवस्था जैसी मान्यताएँ भी मिलती हैं, जो हिंदू समाज से मिलती-जुलती हैं।
- लालेश घाटी में स्थित पवित्र स्थलों पर जल का विशेष महत्व है, जैसा कि हिंदू धर्म में पवित्र नदियों को माना जाता है।
यजीदियों पर हमले और उत्पीड़न
यजीदी समुदाय ने हाल के वर्षों में भीषण उत्पीड़न झेला है। 2014 में ISIS ने उत्तरी इराक के सिंजार इलाके में यजीदियों पर बड़ा हमला किया था। हजारों यजीदियों की हत्या कर दी गई और हजारों महिलाओं को अपहरण कर यौन दासता में धकेल दिया गया। इस नरसंहार को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यजीदियों के खिलाफ जनसंहार (Genocide) माना गया।
यजीदियों की मौजूदा स्थिति
आज यजीदी समुदाय का बड़ा हिस्सा इराक और सीरिया के शरणार्थी शिविरों में जीवन व्यतीत कर रहा है। कई यजीदी परिवार यूरोप और अमेरिका में शरण लेने के लिए पलायन कर चुके हैं। इनके धार्मिक स्थल और पहचान की रक्षा के प्रयास लगातार जारी हैं।
भारत में यजीदियों के प्रति रुचि
भारत में यजीदी धर्म और उनकी मान्यताओं में लोगों की रुचि बढ़ी है, खासकर क्योंकि इनकी परंपराएँ हिंदू धर्म से काफी मेल खाती हैं। यजीदियों के धर्म, संस्कृति और उत्पीड़न की कहानियों ने भारतीय समाज में इनकी ओर ध्यान आकर्षित किया है।
यजीदियों की संस्कृति और भाषा
यजीदी लोग मुख्य रूप से कुर्दिश भाषा (Kurdish Language) बोलते हैं। इनके नृत्य, संगीत और धार्मिक गीतों में प्राचीन मेसोपोटामिया की झलक मिलती है। यजीदी पुरुष और महिलाएँ पारंपरिक पोशाकें पहनते हैं और धार्मिक अनुष्ठानों के दौरान खास तरह के गीत और नृत्य करते हैं।
यजीदी समुदाय की चुनौतियाँ और भविष्य
यजीदियों को अपनी धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान बनाए रखने के लिए कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। हालांकि, विश्व भर में मानवाधिकार संगठनों और अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं के प्रयासों से यजीदियों की स्थिति में सुधार की उम्मीद है।