नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जापान दौरे के दौरान अमेरिका और जापान के बीच होने वाला 550 अरब डॉलर का मेगा निवेश समझौता अचानक रोक दिया गया। यह फैसला ऐसे समय में आया है जब पीएम मोदी का जापान में जोरदार स्वागत हो रहा था और अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की “अमेरिका फर्स्ट” नीति पर सवाल उठ रहे हैं।
45 लाख करोड़ रुपए की मेगा डील पर रोक
रिपोर्ट्स के मुताबिक, जापान के कारोबार सलाहकार रयोसेई अमेरिका जाने वाले थे ताकि इस निवेश समझौते को फाइनल किया जा सके। लेकिन आखिरी वक्त पर उन्होंने अपना दौरा रद्द कर दिया। इस डील की कुल वैल्यू करीब 550 अरब डॉलर यानी लगभग 45 लाख 92 हजार 500 करोड़ रुपए थी। डील के रुकने से अमेरिका की योजनाओं को बड़ा झटका माना जा रहा है।
टैरिफ पॉलिसी बनी टकराव की वजह
दरअसल, अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप ने अपनी “अमेरिका फर्स्ट” नीति के तहत कई देशों पर आयात टैरिफ बढ़ाए थे। इनमें जापान भी शामिल था। पहले जापान से आने वाले ऑटोमोबाइल और ऑटोपार्ट्स पर 25% का टैरिफ लगाया गया था, जिससे जापान के निर्यात पर सीधा असर पड़ा।
जुलाई 2025 में दोनों देशों ने एक ट्रेड एग्रीमेंट पर सहमति जताई थी कि टैरिफ को घटाकर 15% किया जाएगा और इसके बदले जापान अमेरिका में 550 अरब डॉलर का निवेश करेगा। लेकिन इस समझौते पर मतभेद लगातार गहराते गए।
चावल बना सबसे बड़ा विवाद
इस डील पर रोक की एक बड़ी वजह “जापानी चावल” भी है। ट्रंप प्रशासन चाहता था कि जापान अपने कृषि क्षेत्र, खासकर चावल के बाजार को अमेरिकी उत्पादों के लिए खोले। लेकिन जापानी किसान दशकों से अमेरिकी चावल का विरोध करते आ रहे हैं। उनका मानना है कि अमेरिकी चावल सस्ता है और जापानी किसानों के बाजार को नुकसान पहुंचा सकता है।
जापानी लोग पारंपरिक रूप से “स्टिकी राइस” खाते हैं, जिसे वे अधिक पौष्टिक और बेहतर मानते हैं। यही कारण है कि किसान संगठनों ने अमेरिकी चावल को बाजार में प्रवेश देने का कड़ा विरोध किया।
भारत के लिए कूटनीतिक बढ़त
जापान का यह कदम भारत के लिए कूटनीतिक दृष्टि से अहम माना जा रहा है। पीएम मोदी के दौरे के बीच इस डील का रुकना भारत की बढ़ती अंतरराष्ट्रीय भूमिका को दर्शाता है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह फैसला एशियाई राजनीति और वैश्विक व्यापार समीकरणों में भारत की अहमियत को और मजबूत करता है।
नतीजा क्या निकलेगा?
फिलहाल यह कहना मुश्किल है कि यह डील हमेशा के लिए रद्द हो जाएगी या आगे किसी नए फार्मेट में सामने आएगी। लेकिन इतना साफ है कि जापान अब अमेरिका की शर्तों पर समझौता करने के मूड में नहीं है।
भारत और जापान के बीच बढ़ते रिश्ते और पीएम मोदी की सक्रिय कूटनीति इस क्षेत्रीय समीकरण में अहम भूमिका निभा सकती है।
