किसान भाइयों, भारत के कई राज्यों में सरसों की खेती किसानों की मुख्य आजीविका का हिस्सा है। सरसों की उन्नत कार्य शैली और अच्छी गुणवत्ता के बीजों ने खेती के उत्पादन को काफी अधिक बढ़ावा दिया है। श्रीराम सॉल्यूशंस 134 वर्ष पुरानी डीसीएम श्रीराम लिमिटेड का एक हिस्सा है। यह एक अग्रणी बिजनेस ग्रुप है जिसका टर्नओवर 11431 करोड़ है। श्रीराम फार्म सॉल्यूशंस कृषि इनपुट्स जैसे बीज, विशेष पोषण और फसल संरक्षण के कारोबार में सक्रिय है, जिससे भारतीय कृषि को मजबूत और किसानों की आय को बढ़ाने में सहायता मिल रही है। सरसों की वैरायटी श्रीराम 1666 ने विशेष रूप से उत्तर प्रदेश, राजस्थान, दिल्ली और हरियाणा के कृषि क्षेत्र को बेहतर परिणाम दिए हैं। यह वैरायटी किसानों को अधिक उत्पादन, ज्यादा तेल की मात्रा और रोग प्रतिरोधक क्षमता जैसे गुणों के कारण किसानों में अधिक आकर्षण का कारण बनी हुई है। अगर किसान भाई इसकी उत्पादन प्रक्रिया में सिंचाई की सही व्यवस्था, बुवाई का सही समय और सही तरीका तथा सही मिट्टी का चयन करते हैं, तो सरसों की यह वैरायटी किसानों के लिए अधिक से अधिक लाभ प्रदान करने वाली है। आज की इस रिपोर्ट में हम सरसों की वैरायटी श्रीराम 1666 के बुवाई के समय, मिट्टी का चयन, कटाई का समय, सिंचाई प्रबंधन, गुणवत्ता और गुणों पर विस्तार से चर्चा करेंगे। सरसों की यह वैरायटी किसानों के लिए कितनी लाभदायक सिद्ध हो सकती है, आइए जानते हैं विस्तारपूर्वक आज की इस रिपोर्ट में।
उत्पादन क्षमता
किसान भाइयों, सरसों की वैरायटी श्रीराम 1666 अन्य पारंपरिक सरसों की किस्मों की तुलना में 20 से 25% अधिक उत्पादन देती है। इस वैरायटी का सबसे बड़ा गुण यह है कि यह प्रति फली अधिक दाने उत्पन्न करती है, जो इसकी पैदावार को बढ़ाने में मदद करता है। अगर इसकी गुणवत्ता और क्वालिटी की बात की जाए, तो सरसों की इस वैरायटी में तेल की मात्रा भी अधिक होती है, जो इसके बाजार भाव को बढ़ाने में मददगार है। इसके अलावा, इस हाइब्रिड बीज की रोग प्रतिरोधक क्षमता इसे सरसों की उन्नत वैरायटी में शामिल करती है। किसान भाई अपनी फसल की सही देखरेख के साथ इस वैरायटी से 6 से 7 क्विंटल तक उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं। इससे प्राप्त अधिक उत्पादन के कारण किसानों को प्रति एकड़ ₹5000 से ₹8000 तक का अधिक मुनाफा हो सकता है।
पानी की व्यवस्था
किसान भाइयों, सरसों की फसल में समय पर पानी की व्यवस्था जरूरी होती है, जो इसके उत्पादन को प्रभावित करती है, लेकिन सरसों की वैरायटी श्रीराम 1666 से अधिक उत्पादन प्राप्त करने के लिए कम से कम सिंचाई की जरूरत पड़ती है। इस फसल के लिए सिंचाई का सही प्रबंधन जरूरी है, क्योंकि बहुत अधिक या कम पानी देने से उत्पादन पर विपरीत असर पड़ सकता है। अगर इसमें सिंचाई की बात करें, तो पहली सिंचाई आप बुवाई के 25 से 30 दिनों के बाद कर सकते हैं और दूसरी सिंचाई फूल आने से ठीक पहले करें। सरसों की वैरायटी में आप तीसरी सिंचाई उस समय करें जब आपके पौधों में फलियां बन रही हों। तीसरी सिंचाई फसल की गुणवत्ता और उत्पादन को बढ़ाने में सबसे अधिक महत्वपूर्ण होती है।
मिट्टी का चयन
किसान साथियों, सरसों की वैरायटी श्रीराम 1666 की बुवाई के लिए मिट्टी का चयन बहुत ही जरूरी है। यह वैरायटी कई प्रकार की मौसम परिस्थितियों के अनुकूल है, लेकिन इसके उत्पादन को बढ़ाने के लिए मिट्टी की कुछ विशेषताओं का ध्यान रखना भी जरूरी है। इसकी बुवाई के लिए दोमट मिट्टी सबसे उत्तम बताई गई है। मिट्टी में जल निकासी का प्रबंध सही ढंग से होना जरूरी है। मिट्टी का पीएच स्तर 6 से 7 के बीच होना चाहिए। अधिक अम्लीय या क्षारीय मिट्टी में फसल को मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। मिट्टी में कार्बनिक पदार्थ की मात्रा अच्छी होनी चाहिए, जिससे पौधों को आवश्यक पोषक तत्व प्राप्त हो सकें। अगर बुवाई से पहले आप मिट्टी की जांच करवा लेंगे, तो मिट्टी में जिन पोषक तत्वों की कमी होगी, उन्हें आप उर्वरकों द्वारा पूरी कर सकते हैं। अगर आप इस वैरायटी की बुवाई से पहले मिट्टी का सही चयन करते हैं और उसे उचित पोषण प्रदान करते हैं, तो फसल की गुणवत्ता और उत्पादन में अत्यधिक बढ़ोतरी हो सकती है।
बुवाई का तरीका और मात्रा
किसान साथियों, सरसों की वैरायटी श्रीराम 1666 की बुवाई सही तकनीक और सही समय पर करना बहुत जरूरी है, ताकि आपको इससे अधिक उत्पादन प्राप्त हो सके। किसान भाई इसकी बुवाई अक्टूबर के मध्य से नवंबर के पहले सप्ताह तक कर सकते हैं। इस समय का तापमान और मिट्टी की नमी फसल के विकास के लिए अनुकूल रहती है। अगर इसकी बुवाई की बात करें, तो आप इसके बीजों को दो से तीन सेंटीमीटर गहराई में बो सकते हैं। बुवाई की गहराई इससे ज्यादा न करें। अगर आप इससे ज्यादा गहराई में बुवाई करते हैं, तो इससे पौधों का अंकुरण प्रभावित हो सकता है। इसकी बुवाई के लिए आपको 2.5 किलोग्राम बीज प्रति एकड़ के हिसाब से लेना होगा। बुवाई के समय पौधों के बीच उचित दूरी का ध्यान रखें। किसान भाई पौधों के बीच की दूरी 30 सेंटीमीटर रखें, ताकि आगे चलकर पौधों के फैलाव में कोई समस्या न बने। बुवाई से पहले बीज का उपचार करना भी बहुत जरूरी है, ताकि आगे चलकर आपकी फसल रोगों और कीटों से सुरक्षित रह सके। इसके लिए आप जैविक विधि या रासायनिक कीटनाशकों का उपयोग कर सकते हैं। अगर आप इस वैरायटी की बुवाई विधिपूर्वक और सही समय पर करते हैं, तो आप इसके उत्पादन को अत्यधिक मात्रा में बढ़ा सकते हैं।
लाभ
सरसों की वैरायटी श्रीराम 1666 ने उत्तर भारत के किसानों के लिए फसल उत्पादन में एक क्रांति ला दी है। इसका बेहतर उत्पादन, उच्च तेल सामग्री और रोग प्रतिरोधक क्षमता ने इसे सरसों की खेती के लिए आदर्श बना दिया है। सिंचाई प्रबंधन, उपयुक्त मिट्टी का चयन और सही बुवाई तकनीक के साथ यह बीज किसानों को बेहतर मुनाफा प्रदान करता है।
नोट: दोस्तों, ऊपर दी गई सभी जानकारी सार्वजनिक स्रोतों और इंटरनेट के माध्यम से इकट्ठा की गई है। कृषि संबंधित किसी भी जानकारी के लिए कृषि विशेषज्ञों की सलाह अवश्य लें।