दिल्ली में सर्दियों के दौरान वायु प्रदूषण एक गंभीर समस्या बन जाती है, जो न केवल स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डालती है, बल्कि जीवन की गुणवत्ता को भी प्रभावित करती है। इस लेख में हम जानेंगे कि सर्दी आते-आते दिल्ली की हवा क्यों ‘जहरीली’ हो जाती है और इसके पीछे के कारण क्या हैं।
वायु प्रदूषण के कारण
स्थानीय और बाहरी कारक
दिल्ली में सर्दियों में वायु प्रदूषण के लिए मुख्य रूप से स्थानीय कारक जिम्मेदार होते हैं। आईआईटी दिल्ली के एक अध्ययन के अनुसार, सर्दियों में प्रदूषण का लगभग 65-75 प्रतिशत हिस्सा बाहरी स्रोतों से आता है, जबकि जून और अक्टूबर में यह बाहरी कारकों से अधिक प्रभावित होता है। इस समय फसल जलाने के कारण भी प्रदूषण की स्थिति गंभीर हो जाती है।
फसल जलाने का प्रभाव
हर साल, पंजाब और हरियाणा में किसानों द्वारा फसल जलाने की प्रक्रिया से निकलने वाला धुआं दिल्ली की हवा को और भी जहरीला बना देता है। अक्टूबर में, फसल जलाने के कारण प्रदूषण का योगदान 42 से 59 प्रतिशत तक पहुंच जाता है, जो बाद में सर्दियों में बढ़ता है।
वायुमंडलीय स्थितियां
सर्दियों में ठंडे तापमान और कम हवा की गति भी प्रदूषण को बढ़ाती है। जब हवा की गति कम होती है, तो प्रदूषक कणों का फैलाव नहीं हो पाता और वे एकत्रित होकर हवा को जहरीला बना देते हैं। इस समय, कई इलाकों में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 400 के पार पहुंच जाता है, जो ‘गंभीर’ श्रेणी में आता है।
स्वास्थ्य पर प्रभाव
दिल्ली के नागरिकों को इस जहरीली हवा का सामना करना पड़ता है, जिससे उनकी स्वास्थ्य स्थिति पर गंभीर प्रभाव पड़ता है। विशेष रूप से बच्चे और बुजुर्ग अधिक प्रभावित होते हैं। सांस लेने में कठिनाई, आंखों में जलन और अन्य श्वसन संबंधी समस्याएं आम हो जाती हैं।
समाधान की आवश्यकता
समग्र योजना
प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए एक समग्र योजना बनाने की आवश्यकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि ग्रेप (ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान) जैसे नियमों को केवल दिल्ली तक सीमित नहीं रखना चाहिए, बल्कि इसे पूरे इंडो-गैंजेटिक प्लेन में लागू किया जाना चाहिए।
सरकारी प्रयास
सरकार ने कुछ कदम उठाए हैं, लेकिन अभी भी प्रभावी नीतियों की कमी महसूस होती है। यदि सभी क्षेत्रों के लिए समान नीतियां बनाई जाएं, तो प्रदूषण को नियंत्रित करने में मदद मिल सकती है।
दिल्ली की सर्दियों में जहरीली हवा एक जटिल समस्या है, जिसका समाधान स्थानीय और बाहरी कारकों को समझने और प्रभावी नीतियों को लागू करने से ही संभव है। नागरिकों को सुरक्षित रखने के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।