भारत में डिजिटल पेमेंट के तेजी से बढ़ने के साथ UPI फ्रॉड के मामले भी बढ़े हैं। 2023 में UPI फ्रॉड से 1,087 करोड़ रुपये की ठगी की गई। हालांकि, सरकार और RBI ने फ्रॉड रोकने के लिए कई उपाय किए हैं, जिनमें AI और मशीन लर्निंग आधारित सिस्टम और फ्रॉड रिपोर्टिंग पोर्टल शामिल हैं।
देश में डिजिटल पेमेंट के इस्तेमाल में बेतहाशा वृद्धि के साथ-साथ उससे जुड़े धोखाधड़ी के मामलों में भी काफी बढ़ोतरी हो रही है। विशेष रूप से UPI (Unified Payments Interface) पेमेंट्स में हो रहे धोखाधड़ी ने लोगों के लिए चिंता का सबब बना दिया है। आजकल लोग राशन से लेकर महंगे रेस्टोरेंट में खाना खाने, बिल भुगतान, ट्रेन टिकट और होटल बुकिंग जैसी कई सेवाओं के लिए UPI के जरिए पेमेंट कर रहे हैं।
यह तेजी से बढ़ता डिजिटल पेमेंट सिस्टम साइबर ठगों के लिए एक सुनहरा मौका बन चुका है। हाल ही में सरकार ने UPI धोखाधड़ी के बढ़ते मामलों पर चिंता जताई है, और इसके रोकथाम के लिए कई कदम उठाए हैं।
UPI धोखाधड़ी के आंकड़े
आंकड़ों के अनुसार, 2023 में UPI फ्रॉड के मामलों में 85% की वृद्धि दर्ज की गई है। 2022-23 में कुल 8300 करोड़ रुपये से ज्यादा के UPI ट्रांजेक्शन किए गए, जिनमें 140 लाख करोड़ रुपये का लेनदेन हुआ। इस दौरान, लगभग 7.5 लाख धोखाधड़ी के मामले सामने आए, जिसमें लोगों से कुल 573 करोड़ रुपये की ठगी की गई।
2023-24 में UPI ट्रांजेक्शन का आंकड़ा बढ़कर 13,100 करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है और इससे जुड़े धोखाधड़ी मामलों की संख्या 13.4 लाख रही, जिसमें ठगी की राशि 1,087 करोड़ रुपये थी। अप्रैल से सितंबर 2023 तक UPI धोखाधड़ी के मामलों में 6.32 लाख मामले दर्ज किए गए, जिनमें कुल 485 करोड़ रुपये की ठगी की गई।
UPI धोखाधड़ी से निपटने के उपाय
UPI धोखाधड़ी के बढ़ते मामलों को रोकने के लिए सरकार और RBI (Reserve Bank of India) कई कदम उठा रहे हैं। मार्च 2020 में, RBI ने सेंट्रल पेमेंट धोखाधड़ी सूचना रजिस्ट्री (CPFIR) शुरू की, जो एक वेब-आधारित रजिस्ट्री है। यह रजिस्ट्री पेमेंट से जुड़े सभी धोखाधड़ी मामलों की जानकारी एकत्रित करती है और संबंधित नियामक संस्थाओं को अवगत कराती है।
इसके अलावा, UPI धोखाधड़ी से बचाव के लिए कुछ तकनीकी उपायों को भी लागू किया गया है, जैसे कि डिवाइस बाइंडिंग, टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन (PIN के जरिए), और डेली ट्रांजेक्शन लिमिट। इन कदमों का उद्देश्य UPI पेमेंट्स के इस्तेमाल को और सुरक्षित बनाना है।
धोखाधड़ी का पता लगाने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग का उपयोग
UPI धोखाधड़ी से निपटने के लिए NPCI (National Payments Corporation of India) ने बैंकों को एक विशेष धोखाधड़ी मॉनिटरिंग समाधान प्रदान किया है, जो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और मशीन लर्निंग (ML) तकनीकों का उपयोग करता है। यह प्रणाली संदिग्ध ट्रांजेक्शंस को पहचानने और उन्हें तुरंत रोकने में मदद करती है। इसके अलावा, RBI और बैंकों ने साइबर अपराधों के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए विभिन्न प्रचार अभियानों की शुरुआत की है, जिसमें शॉर्ट एसएमएस, रेडियो कैम्पेन और पब्लिसिटी अभियानों का समावेश है।
साइबर अपराध जागरूकता और शिकायत की प्रक्रिया
साइबर अपराधों से निपटने के लिए गृह मंत्रालय ने एक नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल (www.cybercrime.gov.in) और एक हेल्पलाइन नंबर (1930) शुरू किया है, जिससे लोग धोखाधड़ी से जुड़ी शिकायतें दर्ज कर सकते हैं।
इसके अतिरिक्त, टेलीकॉम डिपार्टमेंट ने संचार साथी पोर्टल (https://sancharsaathi.gov.in) पर एक डिजिटल इंटेलिजेंस प्लेटफॉर्म (DIP) और ‘चक्षृ’ सुविधा की शुरुआत की है, जिसके माध्यम से लोग संदिग्ध कॉल्स और मैसेज की रिपोर्ट कर सकते हैं। इन उपायों से धोखाधड़ी से बचने में मदद मिल सकती है और लोगों को अपनी मेहनत की कमाई को सुरक्षित रखने का अवसर मिलता है।