Sarson ki Kheti: उत्तर प्रदेश में सरसों की खेती एक बड़ा व्यवसाय है। यह रबी सीजन की प्रमुख तिलहन फसल न केवल कम लागत में अच्छा मुनाफा देती है, बल्कि किसानों को आर्थिक स्थिरता भी प्रदान करती है। काली और पीली दोनों प्रकार की सरसों यहां उगाई जाती है। रबी सीजन शुरू होते ही अगेती बुवाई का समय आ जाता है। कृषि वैज्ञानिक प्रदीप बिसेन बताते हैं कि सितंबर और अक्टूबर सरसों की खेती के लिए सबसे अनुकूल महीने हैं। लेकिन सफलता के लिए खेत में नमी बनाए रखना और सही किस्म चुनना जरूरी है।
सही समय पर बुवाई का महत्व
सरसों की फसल को अच्छी पैदावार के लिए खेत में पर्याप्त नमी चाहिए। अगर बुवाई सितंबर में हो जाए, तो पीली सरसों की किस्में तेजी से बढ़ती हैं। अक्टूबर में भी मौसम अनुकूल रहता है, लेकिन देरी से बुवाई करने पर पैदावार प्रभावित हो सकती है। खेत की तैयारी में पुरानी फसल के अवशेष हटाएं और मिट्टी को अच्छे से जोतें। इससे जड़ें मजबूत बनेंगी और फसल स्वस्थ रहेगी। कम सिंचाई वाली किस्में चुनकर पानी की बचत भी की जा सकती है।
RH-761
RH-761 सरसों की एक लोकप्रिय किस्म है, जो कम सिंचाई की जरूरत के कारण किसानों की पहली पसंद बन रही है। यह पाला सहन करने में सक्षम है, जिससे ठंडे इलाकों में भी अच्छी पैदावार होती है। प्रति हेक्टेयर 25-27 क्विंटल तक उत्पादन संभव है। बुवाई के 45-55 दिनों में फूल आने लगते हैं और पूरी फसल 136-145 दिनों में तैयार हो जाती है। इसकी मजबूत कलियां और एकसमान विकास इसे बाजार में आकर्षक बनाते हैं।
गिरिराज
गिरिराज किस्म सरसों की खेती के लिए एक शानदार विकल्प है। यह प्रति हेक्टेयर 25-30 क्विंटल तक पैदावार देती है, जिससे कम लागत में अच्छा मुनाफा मिलता है। बुवाई से 130-150 दिनों में यह फसल कटाई के लिए तैयार हो जाती है। इसकी खासियत है कि यह रोग प्रतिरोधी है और मिट्टी की विभिन्न स्थितियों में उगाई जा सकती है। किसान इसे चुनकर न केवल तिलहन का उत्पादन बढ़ा सकते हैं, बल्कि तेल उद्योग को भी मजबूत योगदान दे सकते हैं।
पूसा-25
तराई इलाकों में पूसा सरसों-25 सबसे बेहतरीन साबित हो रही है। यह कम समय में पकने वाली किस्म है, जो बुवाई के 107 दिनों बाद ही तैयार हो जाती है। प्रति हेक्टेयर 20-25 क्विंटल पैदावार से किसानों को अच्छी कमाई होती है। इसकी मजबूत जड़ें और तेज विकास दर इसे नम मिट्टी वाले क्षेत्रों के लिए उपयुक्त बनाती है। बाजार में इसकी मांग हमेशा बनी रहती है।
सफल खेती के लिए सलाह
इन किस्मों की बुवाई से पहले मिट्टी परीक्षण करवाएं और जैविक खाद का उपयोग करें। समय पर खरपतवार नियंत्रण और आवश्यक सिंचाई से पैदावार बढ़ेगी। सरकारी योजनाओं का लाभ उठाकर बीज सब्सिडी लें। सरसों की खेती न केवल आय का स्रोत है, बल्कि खेत की उर्वरता भी बनाए रखती है। सही योजना से इस सीजन में अच्छे नतीजे पाएं।