💥 प्रतियोगी परीक्षाओं में अब कोई भेदभाव नहीं! सुप्रीम कोर्ट ने दिया ऐतिहासिक निर्णय, जिससे लाखों दिव्यांग छात्रों का भविष्य बदल जाएगा। क्या आपको भी मिल सकती है यह सुविधा? जानिए पूरी डिटेल्स
भारत के सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में घोषणा की है कि अब सभी दिव्यांग उम्मीदवार, चाहे उनकी विकलांगता की प्रतिशतता कुछ भी हो, प्रतियोगी परीक्षाओं में स्क्राइब (लेखक) की सुविधा का लाभ उठा सकेंगे। पहले यह सुविधा केवल उन उम्मीदवारों तक सीमित थी, जिनकी विकलांगता 40% या उससे अधिक थी।
न्यायालय का निर्देश
न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति आर. महादेवन की खंडपीठ ने इस निर्णय में कहा कि विकलांग उम्मीदवारों और बेंचमार्क विकलांगता (40% या उससे अधिक) वाले उम्मीदवारों के बीच कृत्रिम भेदभाव को समाप्त करने की आवश्यकता है।
केंद्र सरकार की जिम्मेदारी
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया है कि वह 10 अगस्त 2022 के कार्यालय ज्ञापन की समीक्षा करे और आवश्यक संशोधन दो महीने के भीतर लागू करे। इसके साथ ही, सभी परीक्षा प्राधिकरणों (जैसे IBPS, SBI, SSC, BSSC, UPSC) को यह सुनिश्चित करने का आदेश दिया गया है कि वे इन दिशानिर्देशों का पालन करें।
जागरूकता और शिकायत निवारण
शिक्षण संस्थानों में जागरूकता अभियान चलाने के निर्देश दिए गए हैं, ताकि परीक्षा आयोजित करने वाली संस्थाएं इस सुविधा को प्रभावी रूप से लागू कर सकें। इसके अतिरिक्त, केंद्र सरकार को एक शिकायत निवारण पोर्टल स्थापित करने का निर्देश दिया गया है, जिससे उम्मीदवार अदालत जाने से पहले अपनी शिकायतें दर्ज करा सकें।
स्क्राइब प्रमाणपत्र की वैधता
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से कहा है कि वह स्क्राइब प्रमाणपत्र की वैधता बढ़ाए, जो वर्तमान में केवल छह महीने के लिए वैध है। इसका उद्देश्य विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में आवेदन करने के बाद लंबे इंतजार के समय को कम करना और उम्मीदवारों को परीक्षा से पहले अपने स्क्राइब के साथ तालमेल बिठाने के लिए पर्याप्त समय प्रदान करना है।
याचिका का विवरण
यह निर्देश एक अभ्यर्थी द्वारा दायर जनहित याचिका पर आया, जिसमें उसने बैंक परीक्षाओं के लिए अपनी 25% विकलांगता के आधार पर स्क्राइब की सुविधा, अतिरिक्त समय और अन्य सभी सुविधाओं की मांग की थी।
भविष्य में प्रभाव
इस फैसले से परीक्षा प्रणाली अधिक समावेशी बनेगी और दिव्यांगजनों के अधिकारों की रक्षा होगी। परीक्षा आयोजित करने वाली संस्थाओं को अब स्पष्ट दिशा-निर्देशों के तहत कार्य करना होगा, जिससे उम्मीदवारों को कानूनी लड़ाई नहीं लड़नी पड़ेगी।