हरियाणा सरकार ने कन्या भ्रूण हत्या रोकने के लिए सख्त कदम उठाए हैं। नए नियम के तहत गर्भवती महिलाओं को तीन महीने तक नियमित स्वास्थ्य जांच करानी होगी और अपनी गर्भावस्था की पूरी जानकारी सरकारी अस्पताल में दर्ज करानी होगी। इसका उद्देश्य भ्रूण लिंग जांच पर रोक लगाना और बेटी बचाओ अभियान को मजबूत बनाना है। जानें इस सख्त कानून के नियम और पालन न करने पर क्या होगी सजा।
हरियाणा में गिरते लिंगानुपात (SRB) को लेकर मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की सरकार सतर्क हो गई है। सरकार ने आदेश जारी किया है कि प्रदेश में सभी गर्भवती महिलाओं का गर्भधारण के तीसरे महीने में पंजीकरण अनिवार्य रूप से किया जाएगा। स्वास्थ्य विभाग ने अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए हैं कि यदि किसी क्षेत्र में रजिस्ट्रेशन दर कम पाई गई, तो संबंधित अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस जारी किया जाएगा।
गर्भवती महिलाओं के लिए अनिवार्य रजिस्ट्रेशन क्यों जरूरी?
हरियाणा सरकार का यह फैसला गर्भवती महिलाओं को समय पर चिकित्सीय सुविधाएं उपलब्ध कराने और जन्म के समय लिंगानुपात (SRB) में सुधार लाने के लिए लिया गया है। यह प्रक्रिया पहले से ही ग्रामीण इलाकों में लागू थी, जहां ग्राउंड-लेवल हेल्थ कर्मचारी गर्भवती महिलाओं का पंजीकरण करते थे ताकि वे प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना जैसी सरकारी योजनाओं का लाभ उठा सकें। लेकिन अब पूरे राज्य में यह नियम अनिवार्य कर दिया गया है ताकि गर्भ में पल रहे शिशु को एनीमिया, कुपोषण और कम वजन जैसी समस्याओं से बचाया जा सके।
कन्या भ्रूण हत्या पर लगेगा अंकुश
हरियाणा सरकार के आंकड़ों के अनुसार, प्रदेश का लिंगानुपात 2023 में 916 से घटकर 2024 में 910 पर आ गया है। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने बताया कि कई महिलाएं गर्भावस्था के बाद के महीनों में रजिस्ट्रेशन कराती हैं, जिससे उन्हें समय पर उचित चिकित्सा सुविधाएं नहीं मिल पातीं। इसके अलावा, बेटियों की कोख में हत्या रोकने और जन्म पूर्व लिंग परीक्षण को नियंत्रित करने के लिए शुरुआती पंजीकरण को एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
अधिकारियों की जिम्मेदारी तय, लापरवाही पर कार्रवाई
स्वास्थ्य सेवाओं के निदेशक मनीष बंसल ने स्पष्ट किया कि प्रसव पूर्व देखभाल (ANC) रजिस्ट्रेशन की दर 100% होनी चाहिए, लेकिन वर्तमान में यह केवल 50-80% तक है। उन्होंने निर्देश दिया कि पहली तिमाही में 100% रजिस्ट्रेशन सुनिश्चित किया जाए।
सरकार ने यह भी स्पष्ट किया कि जिन स्वास्थ्य कर्मचारियों (चिकित्सा अधिकारी, MPHW, आशा कार्यकर्ता) के क्षेत्र में ANC पंजीकरण दर कम होगी, उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया जाएगा।
इसके अलावा, यदि कोई अल्ट्रासाउंड केंद्र बिना प्रसव पूर्व पंजीकरण के किसी भी गर्भवती महिला की जांच करता है, तो उस केंद्र को नोटिस जारी कर कार्रवाई की जाएगी।
गर्भपात और भ्रूण हत्या पर रोक लगाने की पहल
स्वास्थ्य विभाग के वरिष्ठ डॉक्टरों ने बताया कि अधिकांश गर्भपात पहले तीन महीनों में ही होते हैं, जो अक्सर गर्भ में लिंग परीक्षण के बाद कन्या भ्रूण हत्या के कारण होते हैं। ऐसे में, जल्दी पंजीकरण कराने से कन्या भ्रूण हत्या को रोका जा सकता है और लिंगानुपात में सुधार किया जा सकता है।
हरियाणा सरकार की प्रतिबद्धता
हरियाणा सरकार का यह निर्णय राज्य में बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ योजना को मजबूत करने के साथ-साथ गर्भवती महिलाओं और उनके बच्चों के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद करेगा। इसके अलावा, गर्भपात और अवैध लिंग परीक्षण पर रोक लगाकर बेटियों की संख्या बढ़ाने के लिए यह एक प्रभावी रणनीति साबित हो सकती है।