हा का मतलब (why do we say swaha at the end of Mantra during Havan)

स्वाहा का अर्थ होता है ‘सही रीति से पहुंचाना (deliver the offerings correctly)ease ‘। मतलब किसी भी वस्तु को उसके प्रिय तक सुरक्षित और सही तरीके से पहुंचा देने की प्रक्रिया को ‘स्वाहा’ कहा जाता है।
अग्नि देव की पत्नी है ‘स्वाहा’

हिंदू धार्मिक मान्यताओं की माने तो ‘स्वाहा’ अग्नि देव की पत्नी का नाम है। यही वजह है कि हवन में प्रत्येक मंत्र के पश्चात इनके नाम का उच्चारण किया जाता है। मान्यता है कि स्वाहा प्रजापति दक्ष की पुत्री हैं, जिनका विवाह अग्नि देव संग हुआ था।
‘स्वाहा’ के बिना विफल है हवन

ऐसा कहा जाता है कि देवता हवन का ग्रहण सिर्फ तभी करते हैं जब यह अग्नि के द्वारा स्वाहा के माध्यम से अर्पित किया जाए। इसके बिना देवता आपकी दी गई आहुति को ग्रहण नहीं करते हैं। इसलिए स्वाहा के बिना ये हवन एक तरह से विफल ही रहता है। फिर इसका कोई मतलब नहीं रह जाता है। इसलिए हर मंत्र के बाद स्वाहा बोलना अनिवार्य होता है। दूसरी तरफ अग्नि देव भी अपनी पत्नी स्वाहा से ही हविष्य ग्रहण करना पसंद करते हैं।
एक मान्यता ये भी

एक अन्य मान्यता यह कहती है कि स्वाहा प्रकृति की एक कला थी। इनका विवाह अग्निदेव के साथ हुआ था। दरअसल भगवान कृष्ण ने स्वाहा को एक वरदान देकर कहा था कि सिर्फ उन्हीं के माध्यम से हविष्य को ग्रहण कर सकेंगे। बस तभी से हर हवन के दौरान मंत्रों के बाद स्वाहा बोलने का नियम आ गया।
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