सोयाबीन से ज्यादा मुनाफा देने वाली चिरायता की खेती किसानों को लाखों का मुनाफा दे सकती है। आइए जानते हैं इसके बारे में।
चिरायता की खेती में कितना उत्पादन मिलता है
चिरायता की खेती अगर किसान एक बीघा में करते हैं, तो अच्छे उत्पादन की स्थिति में 15 से 20 क्विंटल तक पैदावार मिल जाती है। अगर फसल बहुत अच्छी न भी रहे, तो भी कम से कम 8 से 10 क्विंटल तक उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है। इसमें 25 से 50 किलो तक बीज निकलता है, और भूसा भी मिलता है, जो नीमच मंडी में 7,000 से 8,000 रुपये प्रति क्विंटल के भाव से बिक जाता है।
चिरायता की खेती में खर्च और कमाई
चिरायता की खेती करने वाले किसानों का कहना है कि इसमें पानी का खर्च बहुत कम आता है। बरसात के मौसम में खेती करने पर, अगर बारिश अच्छी हो जाए तो पानी की जरूरत ही नहीं पड़ती। बिना सिंचाई के भी फसल हो जाती है। अगर बारिश न हो, तो दो बार पानी देने से यह फसल तैयार हो जाती है। इसमें खाद भी सामान्य ही दी जाती है, जैसी अन्य फसलों में दी जाती है। इसके अलावा कोई खास खर्च नहीं आता।
हाँ कटाई का खर्च आता है। जमीन से फसल की कटाई होती है, हार्वेस्टिंग मशीन से उत्पादन निकाला जाता है। किसानों के अनुसार, इसमें सोयाबीन की फसल से ज्यादा मुनाफा होता है। करीब 20,000 रुपये का खर्च करके किसान इससे एक लाख रुपये या उससे ज्यादा की कमाई कर सकते हैं। चिरायता की फसल में जड़, तना और पत्ती सब कुछ बिकता है। नीमच मंडी में चिरायता पंचांग 9,000 से 10,000 रुपये प्रति क्विंटल तक बिकता है।
चिरायता की खेती कब होती है
चिरायता जून से जुलाई के बीच बोई जाती है, और अक्टूबर-नवंबर तक फसल तैयार हो जाती है। लेकिन अगर किसान को बीज चाहिए, तो दिसंबर-जनवरी तक इंतजार किया जा सकता है। अगर बीज नहीं चाहिए तो अक्टूबर-नवंबर में ही फसल तैयार हो जाती है, भूसा भी मिल जाता है, यानी यह 4 से 6 महीने की फसल है।
