“सोने और चांदी की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं। 22 नवंबर को सोना 78,000 रुपये और चांदी 92,100 रुपये तक पहुंच गई। रूस-यूक्रेन युद्ध, डॉलर की स्थिति, और घरेलू मांग इसके मुख्य कारण हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, 2025 तक सोने का भाव 90,000 रुपये तक जा सकता है। यह निवेश के लिए एक सुनहरा अवसर हो सकता है।”
Gold Price Today: शुक्रवार, 22 नवंबर को सोने की कीमत में एक बार फिर उछाल दर्ज किया गया। देश के प्रमुख शहरों में 24 कैरेट गोल्ड का भाव 78,000 रुपये प्रति 10 ग्राम के पार चला गया। वहीं, 22 कैरेट गोल्ड का दाम 71,500 रुपये के ऊपर ट्रेड कर रहा है। यह उछाल तब देखा जा रहा है जब बीते दस दिनों में सोने की कीमतों में 3,600 रुपये तक की गिरावट आई थी।
इस उछाल के पीछे घरेलू मांग और अंतरराष्ट्रीय बाजार में भू-राजनीतिक संकट जैसे कई कारण शामिल हैं। त्योहारी सीजन के बाद शादियों के मौसम में सोने की मांग बढ़ने लगी है। इसके साथ ही रूस-यूक्रेन युद्ध और वैश्विक आर्थिक संकट ने निवेशकों को सोने की ओर मोड़ दिया है। जानकारों के अनुसार, अगर मौजूदा ट्रेंड जारी रहा, तो आने वाले समय में सोना 80,000 रुपये का स्तर भी पार कर सकता है।
लंबे समय के अनुमान
विश्लेषकों का मानना है कि 2025 तक सोने की कीमत 90,000 रुपये प्रति 10 ग्राम तक जा सकती है। इसके पीछे प्रमुख कारण हैं बढ़ती अंतरराष्ट्रीय अस्थिरता, डॉलर की स्थिति, और सोने की मांग में लगातार वृद्धि।
चांदी की कीमतें
22 नवंबर को चांदी का दाम 92,100 रुपये प्रति किलोग्राम रहा। हालांकि, दिवाली के आसपास यह कीमत 1,00,000 रुपये के स्तर को भी पार कर चुकी थी। अंतरराष्ट्रीय बाजार में चांदी की कीमत $31.53 प्रति औंस पर रही, जिसमें 0.29% की बढ़ोतरी दर्ज की गई।
चांदी की कीमतों में वृद्धि का प्रमुख कारण इसका औद्योगिक उपयोग है। इलेक्ट्रॉनिक्स, सोलर एनर्जी, और अन्य तकनीकी उपकरणों में चांदी की मांग बढ़ रही है, जिससे इसकी कीमतें स्थिर बनी हुई हैं।
सोने-चांदी की कीमतों में बढ़ोतरी के कारण
1. भू-राजनीतिक तनाव
रूस-यूक्रेन युद्ध और उसके कारण बढ़ते वैश्विक तनाव ने निवेशकों को सोने की ओर आकर्षित किया है। सोने को हमेशा एक सुरक्षित निवेश विकल्प माना गया है, खासकर जब अन्य परिसंपत्तियां जैसे स्टॉक या बॉन्ड अस्थिर हों।
2. डॉलर की स्थिति
डॉलर के मूल्य में उतार-चढ़ाव भी सोने और चांदी की कीमतों को प्रभावित करता है। अगर डॉलर मजबूत होता है, तो सोने की कीमतें गिर सकती हैं, जबकि कमजोर डॉलर के कारण कीमतों में बढ़ोतरी होती है।
3. घरेलू मांग में बढ़ोतरी
भारत में सोने की मांग में हर साल त्योहारी और शादी के सीजन में इजाफा होता है। इस समय लोग गहनों की खरीदारी करते हैं, जिससे बाजार में सोने की कीमतें बढ़ जाती हैं।
4. सीमित आपूर्ति
सोने और चांदी की वैश्विक आपूर्ति सीमित है। जब मांग बढ़ती है और आपूर्ति स्थिर रहती है, तो कीमतों में बढ़ोतरी स्वाभाविक है।
भारत में सोने की कीमत कैसे तय होती है?
सोने की कीमत हर दिन बदलती है और इसे प्रभावित करने वाले कई कारक होते हैं। भारत में सोने के दाम मुख्य रूप से अंतरराष्ट्रीय बाजार पर आधारित होते हैं, लेकिन अन्य कारकों का भी इसमें अहम योगदान होता है:
- अंतरराष्ट्रीय कीमतें
लंदन बुलियन मार्केट और अन्य वैश्विक बाजारों में सोने की कीमतें तय होती हैं, जिनका असर भारत पर भी पड़ता है। - आयात शुल्क और टैक्स
भारत सोने का सबसे बड़ा आयातक है। आयात पर लगाए गए शुल्क और टैक्स सीधे-सीधे इसकी कीमतों को प्रभावित करते हैं। - रुपये-डॉलर विनिमय दर
रुपया अगर डॉलर के मुकाबले कमजोर होता है, तो सोने की कीमतें बढ़ जाती हैं। - डिमांड और सप्लाई
त्योहारों, शादी-ब्याह और निवेश की बढ़ती मांग के कारण कीमतों में तेजी आती है। - जियो-पॉलिटिकल फैक्टर्स
युद्ध, प्राकृतिक आपदाएं, और वैश्विक आर्थिक संकट जैसी घटनाएं सोने की कीमत को प्रभावित करती हैं।