यह कहानी है एक ऐसे व्यक्ति की, जिसने 50 साल से हाथ उठाकर खड़ा रहने का अद्वितीय संकल्प लिया है। इस व्यक्ति का नाम है संतोष यादव, जो उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गाँव में रहते हैं। उनका यह अनोखा कार्य न केवल उनकी दृढ़ता को दर्शाता है, बल्कि समाज में एक महत्वपूर्ण संदेश भी भेजता है।
संतोष यादव का संकल्प
संतोष यादव ने 1974 में एक अनूठे संकल्प के तहत अपने हाथ को उठाकर खड़े रहने का निर्णय लिया। उनका मानना था कि यह क्रिया समाज में जागरूकता फैलाने का एक तरीका है। संतोष का कहना है कि उन्होंने यह कदम तब उठाया जब उन्होंने देखा कि लोग अपने अधिकारों के प्रति जागरूक नहीं हैं और समाज में कई समस्याएँ व्याप्त हैं।
उद्देश्य और प्रेरणा
संतोष यादव का मुख्य उद्देश्य लोगों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करना और सामाजिक समस्याओं पर ध्यान आकर्षित करना है। उन्होंने अपने जीवन के इस महत्वपूर्ण हिस्से को समाज सेवा के लिए समर्पित किया है। उनका मानना है कि अगर वे खुद को इस तरह प्रस्तुत करेंगे, तो लोग उनकी बातों को गंभीरता से लेंगे।
समाज पर प्रभाव
50 वर्षों तक हाथ उठाए रखने के कारण संतोष यादव ने गाँव और आसपास के क्षेत्रों में एक पहचान बनाई है। लोग उन्हें ‘हाथ वाले बाबा’ के नाम से जानते हैं। उनकी उपस्थिति ने कई लोगों को प्रेरित किया है और वे अक्सर गाँव में होने वाले सामाजिक कार्यक्रमों में भाग लेते हैं।
– जागरूकता: संतोष ने कई बार गाँव में जागरूकता शिविर आयोजित किए हैं, जहाँ वे लोगों को उनके अधिकारों और कर्तव्यों के बारे में बताते हैं।
– समर्थन: उन्होंने कई युवा लोगों को भी प्रेरित किया है कि वे अपने अधिकारों के लिए आवाज उठाएँ और समाज में बदलाव लाने का प्रयास करें।
चुनौतियाँ
हालांकि, संतोष यादव का यह संकल्प आसान नहीं रहा। उन्होंने कई कठिनाइयों का सामना किया है:
– शारीरिक थकान: लंबे समय तक हाथ उठाए रखने से शारीरिक थकान होती है, लेकिन संतोष ने कभी हार नहीं मानी।
– सामाजिक उपेक्षा: शुरुआत में लोगों ने उनका मजाक उड़ाया, लेकिन धीरे-धीरे उनकी मेहनत और दृढ़ता ने लोगों का ध्यान आकर्षित किया।
संतोष यादव की कहानी हमें यह सिखाती है कि अगर किसी कार्य के प्रति दृढ़ संकल्प हो, तो कोई भी कठिनाई हमें रोक नहीं सकती। उनके जैसे लोग समाज में बदलाव लाने की क्षमता रखते हैं, बशर्ते वे अपने लक्ष्य की ओर निरंतर आगे बढ़ते रहें। संतोष यादव का जीवन एक प्रेरणा है कि कैसे हम अपनी छोटी-छोटी क्रियाओं से बड़े बदलाव ला सकते हैं।