केंद्रीय कर्मचारियों के संगठन कॉन्फेडरेशन ऑफ सेंट्रल गवर्नमेंट एम्प्लाइज एंड वर्कर्स ने 8th Central Pay Commission (8th CPC) की Terms of Reference (ToR) में व्यापक बदलाव की मांग करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को औपचारिक पत्र भेजा है।
यह पत्र सोमवार को प्रधानमंत्री, कैबिनेट सचिव, वित्त सचिव और DOPT सचिव को भेजा गया। संगठन ने कहा है कि पेंशनभोगियों के हितों को आयोग की समीक्षा में साफ़ तौर पर शामिल किया जाए और ToR में मौजूद “unfunded cost” जैसी शब्दावली हटाई जाए, क्योंकि यह पुरानी पेंशन योजनाओं (OPS) के हितों को नुकसान पहुंचा सकती है।
1. कॉन्फेडरेशन की बड़ी मांग: पेंशनर्स को 8th CPC में स्पष्ट रूप से शामिल किया जाए
कॉन्फेडरेशन के महासचिव एस.बी. यादव ने अपने पत्र में कहा कि 8th CPC की वर्तमान ToR में पेंशन सुधारों का कोई स्पष्ट उल्लेख नहीं है।
संघ का कहना है कि—
- पेंशनभोगियों और परिवार पेंशनरों को आयोग की समीक्षा में शामिल किया जाए
- विभिन्न पेंशन योजनाओं में संशोधन भी ToR का हिस्सा बने
- “गैर-अंशदायी पेंशन योजनाओं की अवित्तपोषित लागत” जैसे शब्द हटाए जाएं
- OPS से जुड़े संशोधनों को ToR में जोड़ा जाए
संगठन का तर्क है कि इन बिंदुओं की अनदेखी से 69 लाख केंद्रीय पेंशनरों के हितों पर असर पड़ेगा।
2. 130 विभागों और 8 लाख कर्मचारियों का प्रतिनिधित्व
कॉन्फेडरेशन ने बताया कि वह देशभर के करीब 8 लाख केंद्रीय कर्मचारियों का प्रतिनिधित्व करता है, जिनमें शामिल हैं—
- डाक विभाग
- आयकर
- लेखा परीक्षा
- केंद्रीय स्वास्थ्य सेवा
- सीपीडब्ल्यूडी
- सर्वेक्षण विभाग
- जनगणना
- भारतीय रिजर्व बैंक
- इसरो
- और अन्य 130 विभाग
संगठन का कहना है कि 8th CPC की ToR में सुधार ज़रूरी है, ताकि कर्मचारियों और पेंशनभोगियों दोनों के हित सुरक्षित रह सकें।
3. 8th CPC को 1 जनवरी 2026 से लागू करने की मांग
कॉन्फेडरेशन ने यह भी कहा कि पिछले सभी वेतन आयोग एक ही पैटर्न पर लागू हुए हैं:
- 4th CPC – 01.01.1986
- 5th CPC – 01.01.1996
- 6th CPC – 01.01.2006
- 7th CPC – 01.01.2016
इसलिए तर्कसंगत रूप से 8th CPC को 01.01.2026 से लागू किया जाना चाहिए।
संगठन चाहता है कि यह प्रावधान ToR में स्पष्ट रूप से जोड़ा जाए।
4. 69 लाख पेंशनरों के हित अधर में?
कॉन्फेडरेशन ने चिंता जताई कि ToR में—
- पुरानी पेंशन (OPS)
- एकीकृत पेंशन
- NPS
- पारिवारिक पेंशन
इन सभी योजनाओं में सुधार का कोई स्पष्ट उल्लेख नहीं है, जबकि पेंशनरों की संख्या 69 लाख है।
संगठन ने पीएम मोदी से आग्रह किया कि—
- पेंशन का पुनरीक्षण
- पेंशन समानता
- कम्यूटेड पेंशन की बहाली अवधि
- अन्य सेवानिवृत्ति लाभ
इन सबको ToR में शामिल किया जाए।
5. “Unfunded Scheme” शब्द पर आपत्ति — पेंशन कोई उपहार नहीं
कर्मचारियों ने ToR में शामिल शब्द “unfunded cost of non-contributory pensions” पर कड़ा ऐतराज जताया है।
संगठन के अनुसार—
- यह शब्द पेंशन को वित्तीय बोझ की तरह दर्शाता है
- पेंशन संवैधानिक अधिकार है, उपहार नहीं
- सुप्रीम कोर्ट के कई फैसले यह स्पष्ट कर चुके हैं कि पेंशन “समाज कल्याण का हिस्सा” है
DS Nakara, Devkinandan Prasad और अन्य मामलों का हवाला देते हुए कॉन्फेडरेशन ने कहा कि OPS और पेंशन लाभों को ‘अनफंडेड’ बताना गलत है।
6. OPS की बहाली: 26 लाख कर्मचारियों की मुख्य मांग
कॉन्फेडरेशन ने पीएम से यह भी मांग की कि—
- 1 अप्रैल 2004 के बाद नियुक्त 26 लाख कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना (OPS) बहाल की जाए।
- अब तक केवल 1 लाख कर्मचारी ही NPS से UPS में शिफ्ट हुए हैं।
- अधिकांश कर्मचारी UPS से भी असंतुष्ट हैं और OPS की मांग कर रहे हैं।
7. 8th CPC के दायरे का विस्तार और 20% अंतरिम राहत
संगठन का कहना है कि—
- 8th CPC के लाभ स्वायत्त संस्थानों, सांविधिक निकायों और ग्रामीण डाक सेवकों (GDS) को भी मिलें।
- आयोग के लागू होने में देरी हो रही है, इसलिए तुरंत 20% Interim Relief दी जाए।
इससे 1.2 करोड़ से अधिक कर्मचारियों का मनोबल बढ़ेगा।
8. CGHS और स्वास्थ्य सुविधाओं की भी समीक्षा आवश्यक
कॉन्फेडरेशन ने CGHS में बड़े बदलाव की मांग की है:
- जिला स्तर पर नए CGHS वेलनेस सेंटर खोले जाएं
- कर्मचारियों और पेंशनरों को कैशलेस, परेशानी-मुक्त इलाज मिले
- स्वायत्त संस्थानों के कर्मचारियों को भी CGHS लाभ में शामिल किया जाए
निष्कर्ष
8th Central Pay Commission को लेकर कर्मचारी संगठनों की मांगें अब पहले से अधिक तेज़ हो गई हैं।
कर्मचारियों और पेंशनभोगियों का कहना है कि—
- ToR में OPS, पेंशन संशोधन और unfunded scheme जैसी विवादित शब्दावली हटाई जाए
- 8th CPC को 01.01.2026 से लागू किया जाए
- पेंशनभोगियों का हित स्पष्ट रूप से जोड़ा जाए
अब सभी की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि क्या केंद्र सरकार ToR में संशोधन करेगी या नहीं?
