8वें केंद्रीय वेतन आयोग के गठन की मांग पर केंद्र सरकार का जवाब चौंकाने वाला था। केंद्रीय मंत्री पंकज चौधरी ने स्पष्ट किया कि इस समय 8वें वेतन आयोग के गठन पर कोई विचार नहीं किया जा रहा है। इस फैसले से केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनरों में नाराजगी है, जो वेतन वृद्धि की उम्मीद लगाए बैठे थे।
भारत में केंद्रीय कर्मचारियों, जिनमें सशस्त्र बलों के जवान और अन्य सरकारी कर्मचारी शामिल हैं, के वेतन के मुद्दे पर पिछले कुछ वर्षों से चर्चा जारी है। कर्मचारियों की वेतन वृद्धि और बेहतर सुविधाओं के लिए 8वें केंद्रीय वेतन आयोग (CPC) के गठन की मांग लगातार उठ रही थी। लेकिन अब केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी के बयान ने इस मुद्दे पर पूरी तरह से कड़ी चुप्पी तोड़ी है, जिसमें उन्होंने स्पष्ट किया कि केंद्र सरकार के पास इस समय 8वें केंद्रीय वेतन आयोग के गठन का कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है।
8वें वेतन आयोग का गठन
केंद्रीय वेतन आयोग के गठन को लेकर लोकसभा में कई सांसदों ने सरकार से सवाल पूछे थे। लोकसभा सांसद जय प्रकाश, आनंद भदौरिया और वी. वैथिलिंगम ने सरकार से पूछा कि जब 7वां वेतन आयोग 28 फरवरी, 2014 को गठित किया गया था, तो अब तक 8वें वेतन आयोग के गठन में देरी क्यों हो रही है।
उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि जब जीवनयापन की लागत में अभूतपूर्व वृद्धि हो चुकी है, तो केंद्रीय कर्मचारियों की वेतन वृद्धि के बारे में सरकार की क्या योजना है। सांसदों ने यह भी पूछा कि क्या सरकार को केंद्रीय कर्मचारियों के बीच बढ़ते आक्रोश का आभास है और सरकार इस स्थिति से अवगत है।
केंद्रीय मंत्री पंकज चौधरी का बयान
केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने संसद में दिए गए बयान में स्पष्ट किया कि वर्तमान में केंद्र सरकार के पास केंद्रीय कर्मचारियों के लिए 8वें केंद्रीय वेतन आयोग के गठन का कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है। यह बयान सरकार की ओर से कर्मचारियों के लिए एक बड़े झटके के रूप में सामने आया है, क्योंकि लगभग 48 लाख कर्मचारी और 65 लाख पेंशनर्स को अब तक वेतन वृद्धि का कोई स्पष्ट रास्ता नहीं दिखाई दे रहा है।
केंद्रीय कर्मचारियों का आक्रोश और सरकार की चुप्पी
केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनरों के बीच इस घोषणा से निराशा और आक्रोश फैल गया है। सातवें केंद्रीय वेतन आयोग की सिफारिशें 2016 में लागू हुई थीं, और तब से अब तक सरकार के कर्मचारी अपनी सैलरी में सुधार की उम्मीद लगाए बैठे थे। लेकिन सरकार की ओर से किसी भी प्रकार का संकेत न मिलने के कारण कर्मचारियों में असंतोष बढ़ता जा रहा है। उनके जीवनयापन की लागत में वृद्धि और महंगाई के कारण, यह समस्या और गंभीर हो गई है।
क्या सरकार को कर्मचारियों के आक्रोश का पता है?
केंद्र सरकार ने इस सवाल का कोई स्पष्ट उत्तर नहीं दिया है कि क्या वह कर्मचारियों के आक्रोश से अवगत है। हालांकि, यह स्पष्ट है कि सरकार ने फिलहाल इस मुद्दे पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है, जिससे कर्मचारियों के बीच और भी गुस्सा पैदा हो सकता है। वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने अपने बयान में यह जरूर कहा कि वेतन आयोग का गठन किसी भी सरकार की प्राथमिकता नहीं है, और वर्तमान में कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है।
सरकार की प्रतिक्रिया और भविष्य की दिशा
इस स्थिति में, सरकारी कर्मचारियों को अब अपने वेतन सुधार के लिए लंबी प्रतीक्षा करनी पड़ सकती है। सरकार के इस निर्णय से कर्मचारियों में असंतोष का माहौल है, और वे इसके खिलाफ विरोध प्रदर्शन भी कर सकते हैं। वहीं, सरकार को यह समझना होगा कि कर्मचारियों का आक्रोश धीरे-धीरे एक बड़ा मुद्दा बन सकता है, जो आगामी चुनावों में असर डाल सकता है।