8th Pay Commission : सरकार द्वारा जनवरी 2025 की शुरुआत में आठवीं वेतन आयोग को मंजूरी दी गई थी। अब केंद्र सरकार के कर्मचारी आठवें वेतन आयोग को लेकर बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। कर्मचारियों का कहना है कि उन्हें नए वेतन आयोग में DA मर्जर का लाभ मिलना चाहिए तथा 50% महंगाई भत्ते को बेसिक सैलरी में जोड़ा जाए। आइए खबर में जानते हैं आठवें वेतन आयोग से जुड़े इस अपडेट के बारे में पूरी जानकारी।
केंद्र सरकार की तरफ से आठवें वेतन आयोग को लेकर नए-नए अपडेट जारी किए जा रहे है। नया वेतन आयोग केंद्रीय कर्मचारियों के वेतन और भत्तों की समीक्षा करेगा। अब केन्द्रीय मंत्रिमंडल की तरफ आठवें वेतन आयोग से जुड़ा एक ओर बड़ा कदम उठाया गया है। आठवां वेतन आयोग, अस्थायी निकाय होगा। आठवां केंद्रीय वेतन आयोग, अस्थायी निकाय होगा। केंद्रीय कर्मचारी संगठनों का कहना है कि नोटिफिकेशन जारी होने के बाद ही स्थिति स्पष्ट हो पाएगी।
कर्मचारी संगठन की मांग
जेसीएम की तरफ से सरकार को ‘टर्म्स ऑफ रेफरेंस’ (Terms of Reference) में शामिल करने के लिए कई सुझाव दिए गए थे। उनमें से कितने सुझाव सरकार ने माने हैं, ये अभी तक पता नहीं है। अब यह तय है कि आठवें वेतन आयोग की सिफारिशें 2027 की दीवाली से पहले लागू नहीं हो पाएंगी। इसलिए, कर्मचारी संगठन (employee organization) सरकार से मांग करने की योजना बना रहे हैं कि कर्मियों के वेतन और पेंशनरों के DR में 50 प्रतिशत DA को मर्ज किया जाए। इतना ही नहीं, सभी कर्मियों और पेंशनरों को अंतरिम राहत भी प्रदान की जाए।
एआईडीईएफ के महासचिव सी. श्रीकुमार का कहना है कि आठवें वेतन आयोग के गठन (Constitution of the Eighth Pay Commission) में एक साल की देरी हो गई है। आयोग को अपनी सिफारिशें देने के लिए 18 महीने का समय दिया गया है। इसलिए, 2027 की दीवाली से पहले आयोग की सिफारिशें लागू होना मुश्किल है।
सरकार ने अभी तक आठवें वेतन आयोग के ‘टर्म्स ऑफ रेफरेंस’ की जानकारी नहीं दी है। ऐसे में कर्मचारियों के मन में कई तरह के सवाल खड़े हो रहे है जैसे की…
– पुरानी पेंशन बहाली पर सरकार की चुप्पी
– आठवें वेतन आयोग के गठन में OPS का जिक्र नहीं
– पुराने पेंशनरों को वेतन आयोग का लाभ मिलेगा या नहीं, इस पर संशय की स्थिति है।
TOR पर निर्भर
कर्मचारी नेता का कहना है कि आठवें वेतन आयोग के ‘टर्म्स ऑफ रेफरेंस’ पर बहुत कुछ निर्भर करता है। उम्मीद है कि एक सप्ताह के अंदर इसकी जानकारी मिल जाएगी। उन्होंने बताया कि 2014 में सातवें वेतन आयोग के गठन की घोषणा और लागू होने में 2 साल का समय लगा था, इस हिसाब से 2024 में आठवें वेतन आयोग का गठन होना चाहिए था। सरकार ने अब आठवें वेतन आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति की है, जल्द ही आयोग के कामकाज के लिए दफ्तर अलॉट होगा और मेमोरेंडम मांगे जाएंगे।
AIDEF आठवें वेतन आयोग के समक्ष 50% महंगाई भत्ते को मूल वेतन में मिलाना, अंतरिम राहत देना, राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (एनपीएस) को वापस लेना और ओपीएस को बहाल करने की मांग को जोरदार ढंग से उठाएगा। भले ही ये आधिकारिक संदर्भ शर्तों में शामिल न हों। श्रीकुमार ने कहा, हम एक विस्तृत ज्ञापन तैयार करेंगे। उसे आठवें वेतन आयोग के समक्ष जोरदार ढंग से रखा जाएगा।
केंद्रीय कर्मचारी संगठन ‘कॉन्फेडरेशन ऑफ सेंट्रल गवर्नमेंट एम्प्लाइज एंड वर्कर्स’ के महासचिव एसबी यादव ने बताया कि वर्तमान में डीए की दर 58% है और जल्द ही यह 60% या उससे अधिक हो सकती है। इसलिए, वे सरकार से मांग कर रहे हैं कि सरकार को 50 फीसदी डीए, मूल वेतन में मर्ज कर देना चाहिए। कर्मचारियों और पेंशनरों के लिए अंतरिम राहत भी जरुरी है।
आयोग की सिफारिशें लागू होने में समय
आठवें वेतन आयोग की सिफारिशें (Recommendations of the Eighth Pay Commission) लागू होने में अभी लंबा समय लग सकता है। आयोग को अपनी सिफारिशें देने के लिए 18 महीने का समय दिया गया है, लेकिन इतिहास को देखें तो सभी वेतन आयोगों ने अपनी रिपोर्ट देने के लिए कुछ न कुछ एक्सटेंशन मांगा है। अगर ये आयोग भी एक्सटेंशन लेता है तो फिर वेतन आयोग का फायदा (Benefits of Pay Commission) मिलने का इंतजार दो वर्ष तक पहुंच सकता है। इसलिए, हो सकता है कि आठवें वेतन आयोग की सिफारिशें 2027 के आखिर में या उसके बाद लागू हों।
सी. श्रीकुमार का कहना है कि सातवें वेतन आयोग (Seventh Pay Commission) का गठन मनमोहन सिंह सरकार ने 2014 में किया था। 2016 में इसके लागू होने से दो साल पहले ही आयोग का गठन कर दिया गया। वेतन और पेंशन संशोधन (Pay and Pension Revision) के लिए दस साल पहले से ही एक लंबी अवधि है। चौथे वेतन आयोग (Fourth Pay Commission) के बाद से, यह प्रथा रही है कि वेतन आयोग की सिफ़ारिशें (Recommendations of the Pay Commission) हर दस साल में लागू की जाती हैं। इस प्रक्रिया को और आगे बढ़ाना अनुचित है।
सी. श्रीकुमार ने आगे बताया कि सातवें वेतन आयोग (Seventh Pay Commission) की संदर्भ शर्तों में वेतन संरचना, भत्ते और प्रतिभाओं को आकर्षित करने और बनाए रखने, दक्षता सुनिश्चित करने और तकनीकी व आर्थिक बदलावों से निपटने से जुड़े लाभों के स्पष्ट सिद्धांत शामिल थे।
श्रीकुमार का कहना है कि , “हालांकि, आठवें वेतन आयोग (Eighth Pay Commission) की संदर्भ शर्तें, कर्मचारी कल्याण और उचित वेतन संशोधन (Fair Pay Revision) के बजाय पूरी तरह से आर्थिक स्थितियों और राजकोषीय बाधाओं पर केंद्रित लगती हैं।
