8th Pay Commission : जैसे-जैसे समय बीत रहा है। वैसे-वैसे कर्मचारियों के बीच आठवें वेतन आयोग को लेकर बेसब्री से इंतजार बढ़ता जा रहा है। आठवें वेतन आयोग के लागू होते ही कर्मचारियों की सैलरी में बंपर उछाल देखने को मिलेगा। अब कई कर्मचारियों (8th Pay Commission ) के मन में यह सवाल उठ रहे हैं कि आखिर सरकार का पैनल फिटमेंट फैक्टर को कैसे तय करता है तो आइए खबर में जानते हैं इस बारे में।
कर्मचारियों की चर्चाओं के बीच सबसे बड़ा सवाल यही है कि उनकी सैलरी में कितना इजाफा देखने को मिलेगा। कर्मचारियों के बीच यह चर्चा हो रही है कि पैनल किन बातों को देखकर तय करता है कि कर्मचारियों की सैलरी (employees’ salaries) में कितनी बढ़ोतरी होनी चाहिए। ऐसे में आइए खबर के माध्यम से जानते हैं कि कर्मचारियों की सैलरी केलकुलेशन का पूरा फॉर्मूला है।
कैसे बनता है पे कमीशन
केंद्र सरकार की ओर से वेतन आयोग (Pay Commission) का गठन किया जाता है। वित्त मंत्रालय की ओर से टर्म ऑफ रेफरेंस (Terms of Reference) जारी किया जाता है। इन टर्म ऑफ रेफरेंस में यह लिखा होता है कि आयोग को वेतन, भत्ते, पेंशन, और सरकारी कर्मचारियों का आर्थिक स्तर की रिपोर्ट देनी है। यानी देखा जाए तो आयोग के पास डेटा इकट्ठा करने, विश्लेषण करने और सिफारिश देने की जिम्मेदारी होती है।
किन बातों पर गौर कर तय होती है सैलरी
कर्मचारियों की सैलरी को तय करने के लिए महंगाई का मानदंड देखा जाता है यानी यह देखा जाता है कि पिछले सालों में महंगाई (Inflation / AICPI) कितनी बढ़ी, यह देखा जाता है। महंगाई पर इसलिए गौर किया जाता है ताकि सैलरी की असली वैल्यू बनी रहे। वहीं Minimum Pay Adequacy पर भी गौर किया जाता है यानी बेसिक वेतन जीवन-यापन के लिए पर्याप्त है या नहीं, इस पर भी गौर किया जाता है। ये जानकारी गरीब या निचले ग्रेड के कर्मचारी के लिए बेहद जरूरी है।
इसके अलावा Market Parity के मानदंड पर भी गौर किया जाता है यानी प्राइवेट सेक्टर में समान पद पर कितना पे कितना होगा। ये इसलिए जरूरी है ताकि सरकारी और प्राइवेट में ज्यादा फर्क न हो सकें और साथ ही Pension Impact मानदंड रिटायरमेंट (criteria retirement) और पेंशन पर क्या असर पड़ेगा, इस बात पर भीगौर किया जाता है ये दीर्घकालिक वित्तीय जिम्मेदारी के लिए बेहद जरूरी है। इसके साथ ही Fiscal Capacity इसलिए जरूरी है कि ताकि सरकार के पास भुगतान की कितनी क्षमता है, इसका सरकार के बजट पर कोई असर न पड़ें।
जानिए क्या होता है डीए
फिटमेंट फैक्टर (Fitment Factor) वो मल्टीपेयर होता है, जिससे पुराने बेसिक पे को केलकुलेट किया जाता है ताकि इससे कर्मचारियों का नया बेसिक निकल सके।
उदाहरण के तौर पर देखें तो सातवें वेतन आयोग (7th Pay Commission )में फिटमेंट फैक्टर 2.57 तय किया गया था। यानी अगर किसी का बेसिक पे 10,000 रुपये था तो कर्मचारियों का नया बेसिक 25,700 रुपये हुआ।
सैलरी को केलकुलेट करने का फॉर्मूला है- नया बेसिक = पुराना बेसिक × Fitment Factor
देखा जाता है DA प्रतिशत और सैलरी बढ़ौतरी का डेटा
सरकार का पैनल महंगाई भत्ते तय करने के लिए तीन बड़े बदम उठाता है। इसके लिए पहला कदम यह है कि पिछले सैलरी बदलाव से अब तक की महंगाई (CPI/AICPI Index), DA प्रतिशत और सैलरी बढ़ौतरी का डेटा (Data Collection) जुटाया जाता है। दूसरा यह भी देखा जाता है कि कर्मचारियों की न्यूनतम वेतन (Target Minimum Pay) से एक आम परिवार का खर्च निकल भी पा रहा है या नहीं निकल पा रहा है।
फिटमेंट फैक्टर (Fitment Calculation) को तय करने का फॉर्मूला है- Fitment Factor = Target Minimum Pay ÷ Current Minimum Pay अगर यह मकसद है कि कर्मचारियों का न्यूनतम वेतन 18,000 रुपये से बढ़कर 30,000 रुपये हो जाए, तो इकसे लिए फिटमेंट फैक्टर (Fitment Factor )= 30000 ÷ 18000 = 1.67 होगा। यानि देखा जाए तो कर्मचारियों की सैलरी में 67 प्रतिशत की बढ़ौतरी होगी।
सिर्फ महंगाई से नहीं होता फिटमेंट फैक्टर तय
सबसे पहले तो आप यह जान लें कि पैनल सिर्फ महंगाई या तुलना से कोई फैसला नहीं लेता है। बल्कि फैसला लेने से पहले यह भी देखता है कि सरकार का कुल सैलरी खर्च (salary bill) और GDP पर उसका असर कितना होगा, यह भी देखा जाता है। अगर ऐसे में बहुत बड़ा बोझ पड़ता है, तो फिस्कल बैलेंस बना रहे, इसके लिए फिटमेंट फैक्टर (Fitment Factor )थोड़ा कम रखा जाता है।
कैसे तय होता है फिटमेंट फैक्टर
फिटमेंट फैक्टर (fitment factor) को तय करने के लिए AICPI, महंगाई दर, वेतन वृद्धि का रिकॉर्ड (salary increase record) का सारा डेटा इकट्ठा किया जाता है और जीवनयापन लागत के हिसाब से बेसिक तय का मकसद तय किया जाना चाहिए। इस फॉर्मूले Target ÷ Current Minimum से Fitment निकालना चाहिए। इसके साथ ही बजट पर Fiscal Impact चेक करना। सभी डेटा और सुझावों के साथ ये सारा डेटा सरकार को सौपां जाता है और फिर सरकार की मंजूरी के बाद मंत्रिमंडल रिपोर्ट को मंजूरी देकर लागू किया जाता है।
ऐसे तय होती है कर्मचारियों की सैलरी
अब तक सातवें वेतन आयोग (7th Pay Commission ) के बाद तकरीबन 60 प्रतिशत तक cumulative inflation दर्ज हो चुकी है। इसर हिसाब से देखा जाए तो अगर महंगाई भरपाई के लिए ही सैलरी में बढ़ौतरी की जानी है तो फिटमेंट फैक्टर (Fitment Factor )1.6 होना चाहिए। लेकिन अगर कर्मचारियों का न्यूनतम वेतन 18,000 रुपये से बढ़ाकर 30,000 रुपये किया जाने का प्लान है तो इसके लिए फिटमेंट फैक्टर (Fitment Factor )1.67 होना चाहिए।
फिटमेंट फैक्टर से कितनी बढ़ेगी सैलरी
महंगाई के आधार पर पर अगर 1.6 फिटमेंट फैक्टर तय किया जाता है तो इससे कर्मचारियों की सैलरी में संभावना 60 प्रतिशत बढ़ोतरी हो सकती है। वहीं, महंगाई + Minimum Pay लक्ष्य के आधार पर 1.67 फिटमेंट फैक्टर के हिसाब से कर्मचारियों की अनुमानित सैलरी बढ़ोतरी 66–68 प्रतिशत हो सकती है। इसके साथ ही उच्च परिदृश्य (Parity & Fiscal cushion)के आधार पर 1.8 फिटमेंट फैक्टर के हिसाब से तकरीबन 80 प्रतिशत की बढ़ोतरी हो सकती है।
कितनी बढ़ेगी कर्मचारियों की सैलरी
पिछले आयोगों के पैटर्न पर गौर करें तो आठवें वेतन आयोग (8th Pay Commission ) का फिटमेंट फैक्टर (Fitment Factor ) 1.6 से 1.8 के बीच रहने के आसार है। यानि इस फिटमेंट फैक्टर से कर्मचारियों की बेसिक सैलरी में 60 प्रतिशत से 80 प्रतिशत तक इजाफा हो सकता है। हालांकि अभी यह पूरी तरह से डेटा और सरकार की वित्तीय क्षमता पर डिपेंड करेगा।
दरअसल, आपको बता दें कि वेतन आयोग (pay commission) की सिफारिशें ठोस आंकड़ों और रिपोर्ट पर बेसड होती हैं। कर्मचारियों की सैलरी (employees’ salaries) चार स्तंभों पर टिककर की जाती है। इन 4 स्तंभों में महंगाई, न्यूनतम वेतन की जरूरत, निजी क्षेत्र की तुलना और सरकारी वित्तीय क्षमता शामिल है।
