8th Pay Commission : आठवां वेतन आयोग सरकारी कर्मचारियों के लिए कई सौगातें ला सकता है। कर्मचारी संगठनों ने सरकार को जो टर्म्स ऑफ रेफरेंस (ToR) का प्रस्ताव दिया है, उसमें कर्मचारियों को कम से कम 3 प्रमोशन देने है…. और हर 5 साल पर पेंशन में बढ़ोतरी करने और अन्य कई लाभ शामिल हैं-
आठवां वेतन आयोग सरकारी कर्मचारियों के लिए कई सौगातें ला सकता है। कर्मचारी संगठनों ने सरकार को जो टर्म्स ऑफ रेफरेंस (ToR) का प्रस्ताव दिया है, उसमें कर्मचारियों को कम से कम 3 पदोन्नति देने, हर 5 साल पर पेंशन में बढ़ोतरी करने और अन्य कई लाभ शामिल हैं। (Employees News)
Terms of reference का प्रस्ताव बनाकर सरकार को दिया-
नेशनल काउंसिल ऑफ जॉइंट कंसल्टेटिव मशीनरी (National Council of Joint Consultative Machinery) ने हाल ही में आठवें वेतन आयोग (8th pay commission) के लिए प्रस्तावित टर्म्स ऑफ रेफरेंस (ToR) कार्मिक व प्रशिक्षण विभाग (DoPT) को भेजे हैं। इस प्रस्ताव में सरकारी कर्मचारियों के मौजूदा सैलरी स्ट्रक्चर (salary structure), भत्तों, पेंशन, पदोन्नति और सेवा शर्तों में बड़े सुधार की मांग की गई है। NC-JCM, जो सरकारी कर्मचारियों के एक बड़े वर्ग का प्रतिनिधित्व करता है, का लक्ष्य है कि इन सुधारों से लाखों कर्मचारियों और पेंशनधारकों को महत्वपूर्ण लाभ मिल सके।
50 लाख से ऊपर कर्मचारियों को किया गया शामिल-
यह रिपोर्ट केंद्रीय कर्मचारियों की मुख्य मांगों पर प्रकाश डालती है, विशेष रूप से आठवें वेतन आयोग से संबंधित। इस आयोग में केंद्र सरकार के औद्योगिक और गैर-औद्योगिक कर्मचारी, अखिल भारतीय सेवाओं के अधिकारी, रक्षा और अर्धसैनिक बलों के जवान, ग्रामीण डाक सेवक, केंद्र शासित प्रदेशों के कर्मचारी, भारतीय लेखा एवं लेखा परीक्षा विभाग के अधिकारी, सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) के कर्मचारी, संसद द्वारा गठित नियामक संस्थाओं के सदस्य (RBI को छोड़कर), और केंद्र सरकार के स्वायत्त संस्थानों के कर्मचारी शामिल होंगे।
1. नया सैलरी स्ट्रक्चर बनाना-
सभी लेवल के कर्मचारियों के लिए 1 जनवरी 2026 से नया सैलरी पैकेज (salary package) तय करने का प्रस्ताव है। इसके साथ ही NC-JCM ने जोर दिया है कि न्यूनतम सैलरी तय करते समय सुप्रीम कोर्ट (supreme court) के विभिन्न फैसलों को भी ध्यान में रखा जाए ताकि जीवनयापन बेहतर ढंग से हो सके। इसके अलावा साल 1957 के Dr. Aykroyd formula को वर्तमान आर्थिक हालात के मुताबिक अपडेट करने की बात कही गई है।
साथ ही 3.6 कंजम्शन यूनिट प्रति परिवार का फॉर्मूला (formula) अपनाने का सुझाव दिया है, जैसा कि श्रम मंत्रालय की 2019 की रिपोर्ट में उल्लेख था। कर्मचारी संगठनों ने Pay Matrix के Level 1, 2 और 3 को क्रमशः 4, 5 और 6 लेवल में मर्ज करने की सिफारिश भी की है ताकि असमान वेतन ढांचे को ठीक किया जा सके।
2. कम से कम 3 प्रमोशन होने चाहिए-
सरकारी सेवा के दौरान कम से कम 3 प्रमोशन सुनिश्चित करने की मांग कर्मचारी यूनियनों ने की है। साथ हीModified Assured Career Progression (MACP) योजना को प्रमोशन आधारित सिस्टम में बदले जाने की सिफारिश की है।
3. महंगाई भत्ते को वेतन में मर्ज करना-
महंगाई भत्ते (DA/DR) के वर्तमान प्रतिशत को वेतन और पेंशन (pension) में मिलाना। इसके अतिरिक्त, 8वें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू होने से पहले कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को तुरंत राहत देने का प्रस्ताव भी किया गया है। इसका उद्देश्य आगामी वेतन आयोग की रिपोर्ट आने तक उन्हें वित्तीय सहायता प्रदान करना है।
4. सातवें वेतन आयोग की शर्तें बदलें और हर 5 साल में पेंशन बढ़े-
स्टाफ साइड द्वारा उठाई गई 7वें वेतन आयोग की कई विसंगतियों को अब तक नहीं सुलझाया गया है। 8वें आयोग से उम्मीद की जा रही है कि वह इन मुद्दों को स्थायी रूप से हल करेगा। इसके अलावा Pension, Family Pension, Gratuity जैसे रिटायरमेंट बेनिफिट में सुधार का प्रस्ताव किया गया है। Commuted Pension की बहाली 15 साल की बजाय 12 साल में और संसद की समिति की अनुशंसा के मुताबिक हर 5 साल में पेंशन में बढ़ोतरी की जाए। साथ ही 1 जनवरी 2004 के बाद नियुक्त कर्मचारियों को पुरानी पेंशन योजना का फायदा देने की मांग की गई है।
5. इलाज के लिए कैशलेस इलाज की सुविधा-
मेडिकल फेसिलिटी को सरल, कैशलेस और सभी पेंशनभोगियों (डाक विभाग समेत) के लिए सुलभ बनाने की मांग की गई है।Fixed Medical Allowance (FMA) में भी बढ़ोतरी की सिफारिश रखी है।
6. बच्चों के एजुकेशन अलाउंस में संशोधन-
Children Education Allowance और Hostel Subsidy को PG लेवल तक बढ़ाने की सिफारिश की है। इसके अलावा बंद किए गए एडवांस (जैसे कंप्यूटर, विवाह, स्कूटर लोन आदि) को बहाल करने की बात।
7. रेलवे और रक्षा कर्मचारियों के लिए Risk Allowance-
भारतीय रेल कर्मचारियों ने 24×7 और साल भर जोखिम भरे माहौल में काम करने के लिए रिस्क अलाउंस (Risk Allowance) की मांग की है। उनके काम में जान-माल के नुकसान का खतरा रहता है। इसी तरह, रक्षा कर्मचारियों ने भी हथियार, गोला-बारूद, एसिड और केमिकल बनाने जैसे जोखिम भरे कामों के लिए रिस्क अलाउंस के साथ-साथ बीमा और विशेष मुआवजे की मांग की है।