ग्रामीण डाक सेवक (Gramin Dak Sevaks – GDS) भले ही डाक विभाग का महत्वपूर्ण हिस्सा हों, लेकिन उन्हें केंद्रीय सरकारी कर्मचारी का दर्जा प्राप्त नहीं है। यही कारण है कि वे 7वें वेतन आयोग की सिफारिशों के दायरे में नहीं आते। GDS गांवों में छोटे ब्रांच पोस्ट ऑफिस चलाते हैं और डाक वितरण, मनी ऑर्डर, बैंकिंग सेवाओं, आधार कार्य और सरकारी योजनाओं को लागू करने जैसे अहम काम संभालते हैं।
इस बीच लंबे इंतजार के बाद सरकार ने आखिरकार 8th Pay Commission के ToR (Terms of Reference) जारी कर दिए हैं। इससे केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनर्स में उत्साह है, क्योंकि आयोग अब वेतन, बोनस, ग्रेच्युटी और परफॉर्मेंस से जुड़े इंसेंटिव की समीक्षा कर अपनी रिपोर्ट तैयार करेगा। जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय टीम को गठन की तारीख से 18 महीने के भीतर रिपोर्ट सौंपनी है। जरूरत पड़ने पर अंतरिम रिपोर्ट भी जारी की जा सकती है।
GDS को वेतन आयोग में शामिल करने की बड़ी मांग
सांसद अंबिका जी. लक्ष्मीनारायण वाल्मीकि ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर 2.75 लाख ग्रामीण डाक सेवकों को 8वें वेतन आयोग में शामिल करने की मांग की है।
उनका कहना है कि GDS ग्रामीण भारत में उतनी ही महत्वपूर्ण सेवाएं प्रदान करते हैं, जितनी शहरी क्षेत्रों में कार्यरत डाक कर्मचारी करते हैं। फिर भी हर बार सरकार GDS की सैलरी और सेवा शर्तें तय करने के लिए अलग समिति बनाती है—जिसके चलते उन्हें वेतन आयोग के बड़े लाभ नहीं मिल पाते।
GDS को केंद्रीय कर्मचारी का दर्जा क्यों नहीं मिलता?
वर्तमान नियमों के अनुसार:
- GDS को केंद्रीय सरकारी कर्मचारी नहीं माना जाता, बल्कि “अतिरिक्त-विभागीय कर्मचारी” के रूप में देखा जाता है।
- उनका वेतन और भत्ते विभागीय समितियों द्वारा तय किए जाते हैं—not Pay Commission द्वारा।
- यही वजह है कि उन्हें 7वें या 8वें वेतन आयोग की सिफारिशों से सीधे कोई लाभ नहीं मिलता।
8th Pay Commission अपनी रिपोर्ट कब देगा?
आयोग ने दस्तावेज तैयार करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है और संबंधित पक्षों से सुझाव भी लिए जा रहे हैं।
नियोजित समय सीमा के अनुसार:
- आयोग अपनी अंतिम रिपोर्ट अप्रैल 2027 तक सौंप सकता है।
- हालांकि आवश्यकता पड़ने पर रिपोर्ट इससे पहले भी प्रस्तुत की जा सकती है।
रिपोर्ट जमा होने के बाद सरकार उसकी समीक्षा करेगी और फिर कर्मचारियों के लिए नए वेतन संशोधन लागू होंगे।
GDS को आयोग में शामिल किया गया तो क्या बदलेगा?
अगर सरकार GDS को 8th Pay Commission का हिस्सा बनाती है, तो:
- उन्हें नियमित कर्मचारियों की तरह बेहतर वेतन संरचना
- भत्ते, पेंशन, प्रमोशन और अन्य सुविधाएं
मिलने का रास्ता साफ हो जाएगा।
अभी विभागीय समिति द्वारा तय किया गया वेतन केंद्रीय कर्मचारियों की तुलना में काफी कम होता है। ग्रामीण इलाकों में काम करने वाली इस बड़ी कार्यबल की मांग है कि उन्हें समान待遇 दिया जाए।
अगर यह बदलाव लागू किया गया, तो लाखों GDS परिवारों की आर्थिक स्थिति में बड़ा सुधार देखने को मिलेगा।
सरकार अलग समिति क्यों बनाती है?
हर वेतन आयोग के बाद GDS के लिए एक विशेष समिति बनाई जाती है, जिसका नेतृत्व सेवानिवृत्त अधिकारियों के हाथ में होता है।
यह प्रक्रिया:
- लंबी हो जाती है
- और लाभ भी अपेक्षाकृत कम मिलते हैं
सांसद का कहना है कि यह “पैरलल सिस्टम” ठीक नहीं है और GDS को मुख्यधारा में शामिल करना आवश्यक है क्योंकि वे पोस्टल विभाग की रीढ़ हैं।
आयोग की रिपोर्ट से पहले क्या उम्मीद की जाए?
8वें वेतन आयोग के पास अंतरिम रिपोर्ट भेजने का भी विकल्प है। GDS यूनियन सक्रिय रूप से अपनी मांगें उठा रही है, जिससे सरकार पर दबाव बढ़ रहा है।
अगर केंद्र सरकार सकारात्मक रुख अपनाती है और GDS को वेतन आयोग में शामिल किया जाता है, तो यह पहली बार होगा जब ग्रामीण डाक सेवक Pay Commission का हिस्सा बनेंगे—और यह उनके लिए ऐतिहासिक कदम साबित होगा।
