केंद्र सरकार ने नवंबर की शुरुआत में 8वें केंद्रीय वेतन आयोग (8th Pay Commission) को आधिकारिक रूप से अधिसूचित कर दिया। इसके साथ ही न्यायमूर्ति रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय समिति का गठन भी कर दिया गया है, जिसे देश के एक करोड़ से ज्यादा केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के लिए नई वेतन संरचना तैयार करनी है।
सरकार को इस आयोग की Terms of Reference (ToR) जारी करने में लगभग 10 महीने लग गए, जिसके बाद से कर्मचारी संगठनों ने इन शर्तों पर नाराजगी जतानी शुरू कर दी है। कई यूनियनों का कहना है कि ToR में ऐसे कई बिंदु हैं जो कर्मचारियों और पेंशनर्स दोनों के लिए चिंता का विषय हैं।
कर्मचारी संगठनों की बढ़ती चिंता—क्या है पूरा मामला?
अखिल भारतीय रक्षा कर्मचारी महासंघ (AIDEF) ने पहले सरकार को पत्र लिखकर ToR में कई कमियों की ओर ध्यान दिलाया था। अब केंद्रीय सरकारी कर्मचारी एवं श्रमिक परिसंघ (CCGEW)—जो डाक, आयकर, लेखा-परीक्षा, सर्वेक्षण, CGHS, CPWD, जनगणना, BSI, GSI, ISRO सहित 130 विभागों के लगभग 8 लाख कर्मचारियों का प्रतिनिधित्व करता है,—ने भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र भेजकर गंभीर आपत्तियां दर्ज की हैं।
संगठन का कहना है कि ToR को कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के व्यापक हित में संशोधित करने की जरूरत है।
1. पेंशनर्स पूरी तरह से ‘ToR’ से बाहर?—सबसे बड़ा सवाल
CCGEW ने अपने पत्र में कहा है कि:
- विभिन्न पेंशन योजनाओं के अंतर्गत पेंशन और पेंशन लाभों की समीक्षा का उल्लेख ToR में नहीं है।
- “Non-Contributory Pension Schemes की Unfunded Cost” जैसे शब्दों को ToR में शामिल करना पेंशनर्स के लिए चिंताजनक है।
- पुरानी पेंशन (OPS), एकीकृत पेंशन योजना और NPS के तहत आने वाले 69 लाख पेंशनभोगियों के पेंशन संशोधन, समानता, या कम्यूटेशन की बहाली पर कोई स्पष्ट दिशा नहीं दी गई है।
यही वजह है कि कर्मचारी संगठनों में यह आशंका बढ़ गई है कि 8वें वेतन आयोग में पेंशनर्स को वह स्थान नहीं दिया गया, जो 7th CPC में दिया गया था।
2. पेंशन सुधारों की मांग—क्या-क्या जोड़ा जाए ToR में?
संघ का कहना है कि आयोग को निम्नलिखित विषयों की भी समीक्षा करनी चाहिए:
- पेंशन में समानता (Parity)
- कम्यूटेड पेंशन की बहाली 11 वर्ष बाद
- संसदीय समिति की सिफारिश के अनुसार हर 5 वर्ष में पेंशन/पारिवारिक पेंशन की वृद्धि
- पेंशनभोगियों के लिए स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार
- CGEGIS (केंद्र सरकार कर्मचारी समूह बीमा योजना) की समीक्षा और बदलाव
3. AIDEF की तीखी प्रतिक्रिया—”69 लाख पेंशनर्स के साथ अन्याय”
AIDEF ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को भेजे गए अपने पत्र में कहा कि:
- 8th CPC के ToR में पेंशनर्स के लिए पेंशन संशोधन का स्पष्ट उल्लेख न होना “अनुचित और दुर्भाग्यपूर्ण” है।
- यह भी आरोप लगाया गया कि ToR से ऐसा संकेत मिलता है कि सरकार 10 साल बाद वेतन आयोग लागू करने की पुरानी परंपरा को बदल सकती है।
- 7th Pay Commission की ToR में प्रभावी तिथि (1 जनवरी 2016) साफ लिखी हुई थी, लेकिन 8th CPC के ToR में यह स्पष्ट नहीं किया गया है।
4. ToR में तारीख का उल्लेख न होना भी बड़ी चिंता
AIDEF के अनुसार:
- यह परंपरा रही है कि हर 10 वर्षों में वेतन आयोग की सिफारिशें लागू होती हैं।
- ToR में “1 जनवरी 2026” को प्रभावी तिथि के रूप में शामिल किया जाना चाहिए था।
- स्पष्ट तारीख न होने से कर्मचारियों और पेंशनर्स में भ्रम बढ़ रहा है कि 8th CPC कब लागू होगा और एरियर मिलेगा या नहीं।
निष्कर्ष: क्या पेंशनर्स को 8th CPC का पूरा लाभ मिलेगा?
कर्मचारी संगठनों का कहना है कि जब तक ToR में स्पष्ट रूप से पेंशनभोगियों के अधिकार नहीं जोड़े जाते, तब तक यह आशंका बनी रहेगी कि 69 लाख से अधिक पेंशनर्स को 8th Pay Commission में अपेक्षित लाभ नहीं मिल पाएगा।
सरकार द्वारा ToR में संशोधन किए जाने की मांग तेजी से उठ रही है—अब देखना होगा कि केंद्र इन चिंताओं का समाधान कैसे करता है।
