New Pay Commission :देश के लाखों कर्मचारियों में आठवें वेतन आयोग को लेकर इंतजार बढ़ता ही जा रही है, लेकिन अब आठवें वेतन आयोग के लागू होने का फायदा 2.5 करोड़ कर्मचारियों को मिलने वाला है। आठवें वेतन आयोग (New Pay Commission) के लागू होने पर इन कर्मचारियों की सैलरी में बंपर उछाल देखने को मिलेगा। आइए खबर में जानते हैं सैलरी हाइक से जुड़े केलकुलेशन के बारे में।
जैसे-जैसे समय बीत रहा है। वैसे-वैसे 8वें वेतन आयोग को लेकर कार्य तेज हो गया है। आठवें वेतन आयोग के लागू होने का फायदा एक नहीं बल्कि 2.5 करोड़ कर्मचारियों को मिलने वाला है। आठवें वेतन आयोग (8th Pay Commission) के तहत सैलरी हाइक को लेकर भी केलकुलेशन सामने आया है। ऐसे में आइए खबर के माध्यम से जानते हैं कि सैलरी हाइक का पूरा केलकुलेशन क्या है।
कितनी बढ़ेगी कर्मचारियों की सैलरी
जानकारी के मुताबिक 8वें वेतन आयोग के लागू होते ही कर्मचारियों की बेसिक सैलरी (Basic salary of employees) और पेंशन में 20 से 25 प्रतिशत तक का इजाफा हो सकता है, जिसका सीधा फायदा देश के करीब 2.5 करोड़ कर्मचारियों को सीधे तौर पर मिलेगा। वैसे तो आठवें वेतन आयोग का फायदा तकरीबन 50 लाख केंद्रीय कर्मचारी और 65 लाख केंद्रीय पेंशनर को मिलेगा, लेकिन असली आंकड़ों राज्यों का है, जहां लगभग 1.85 करोड़ कर्मचारी इस दायरे में शामिल जोने वाले हैं। यानी की इतनी बड़ी आबादी की आय में 25 प्रतिशत की बढ़ौतरी होगी। बताया जा रहा है कि केंद्र और राज्य सरकारों को जोड़कर हर साल करीब 3.7 से 3.9 लाख करोड़ रुपये का खर्च आ सकता है।
राज्य सरकारों के पास है जयादा कर्मचारी
रिपोर्ट के मुताबिक आठवें वेतन आयोग (eighth pay commission) के लागू होने में सोमैया विद्याविहार यूनिवर्सिटी के असिस्टेंट प्रोफेसर और आईआईपीएस की असिस्टेंट प्रोफेसर की ओर से इस लागत का एक विस्तृत खाका (detailed cost plan) तैयार किया है। उनकी रिपोर्ट के मुताबिक, सैलरी आयोग की सिफारिशें के लागू होने पर केंद्र सरकार के बजट पर सालाना 1.4 लाख करोड़ रुपये का भार पड़ सकता है।
वहीं, दूसरी ओर राज्य सरकारों के पास केंद्र के मुकाबले कर्मचारियों की संख्या ज्यादा है, इस वजह से उन पर इसका असर भी ज्यादा होगा। जानकारी के मुताबिक राज्यों का कुल खर्च 2.3 से 2.5 लाख करोड़ रुपये सालाना तक आने के आसार है। केंद्र और राज्यों के इस खर्च को जोड़ें दें तो यह आंकड़ा 3.7 से 3.9 लाख करोड़ रुपये प्रति सालाना तक पहुंच सकता है।
क्या होगा जीडीपी पर असर
सबसे पहले तो आप यह जान लें कि सरकार का खर्च बढ़ने के साथ ही इसका असर पूरी अर्थव्यवस्था पर देखने को मिलता है। बता दें कि अभी फिलहाल तो केंद्र सरकार का वित्तीय घाटा (Fiscal Deficit) जीडीपी का 4।4 प्रतिशत है। जानकारों के मुताबिक वेतन आयोग (new pay commission updates) के लागू होते ही यह बढ़कर 5 प्रतिशत तक जा सकता है।
कई राज्यों की सैलरी (State Employees salaries) और पेंशन बिल पहले ही 9 से 10 लाख करोड़ रुपये सालाना के करीब है। अगर 70 प्रतिशत राज्य में भी 8वें वेतन आयोग को अपनाया जाता है तो इससे उनका वित्तीय घाटा 3 प्रतिशत की सुरक्षित सीमा को क्रॉस कर 3.7 प्रतिशत तक पहुंच जाएगा। यानी की राज्यों के पास सड़कों, अस्पतालों और स्कूलों जैसे विकास कार्यों पर लागत के लिए पैसों की कम बचत होगी।
सरकारों के पास खर्च की आजादी कम
8वां वेतन आयोग में सिर्फ कर्मचारियों की सैलरी (employees’ salaries) पर ही जोर नहीं दिया जाएगा, बल्कि यह देश की आर्थिक स्थिती से जुड़ा भी एक बेहद जरूरी मुद्दा है। उम्मीद है कि 2025-26 तक सैलरी ओर पेंशन का कुल खर्च 5.7 लाख करोड़ रुपये हो सकता है। ऐसे में जब सैलरी में 20-25 प्रतिशत का इजाफा होगा तो सरकारों के पास खर्च करने की आजादी बेहद कम रह जाएगी।
अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा नकरात्मक प्रभाव
अर्थव्यवस्था के जानकारों का कहना है कि यह स्थिति सरकार पर इस बात का दबाव डाल सकती है कि खर्च की भरपाई (reimbursement of expenses) के लिए या तो टैक्स बढ़ाया जाए या फिर सरकार को मार्केट से उधार लेना पड़े। अगर प्रोडक्टिविटी में भी उसी रेश्यो में इजाफा नहीं होता है तो लंबी अवधि में यह अर्थव्यवस्था पर नैगेटिव इफेक्ट डाल सकता है।
