केंद्र सरकार के कर्मचारियों और पेंशनर्स को आठवें वेतन आयोग का इंतजार है। आयोग का गठन हो चुका है और इसके टर्म्स ऑफ रेफरेंस (ToR) को भी मंजूरी मिल गई है। अब कर्मचारी इस बात को जानने के लिए उत्सुक हैं कि वेतन कब और कितना बढ़ेगा। हालाँकि, रिपोर्ट तैयार होने, समीक्षा और मंजूरी की पूरी प्रक्रिया में अभी 2 से 3 साल लग सकते हैं।
सरकार पर होगा भारी वित्तीय असर — इकोनॉमिस्ट की चेतावनी
प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (EAC-PM) के सदस्य और प्रसिद्ध अर्थशास्त्री नीलकंठ मिश्रा ने चेताया है कि 8th Pay Commission लागू होते ही देश की पब्लिक फाइनेंस पर भारी दबाव पड़ सकता है।
उनके अनुसार —
- वेतन और पेंशन का वार्षिक खर्च: ₹4 लाख करोड़ से अधिक
- पाँच तिमाहियों का एरियर जोड़ें तो बोझ: करीब ₹9 लाख करोड़
उन्होंने कहा कि बजट निर्माण करते समय इस फ़ाइनेंशियल बर्डन को बड़े ध्यान से संभालना होगा, नहीं तो डेट-टू-GDP नियम प्रभावित हो सकते हैं।
सरकारी ट्रेजरी पर सीमित हो जाएगा विस्तार का अवसर
भारत 2027 से नई डेब्ट-टू-GDP ट्रेजरी पॉलिसी लागू करने की तैयारी में है। ऐसे में मिश्रा का कहना है कि—
- पहले से ही कम महंगाई दर एक चुनौती का संकेत देती है
- अगर वेतन आयोग लागू होता है, तो सरकार के पास खर्च बढ़ाने की गुंजाइश कम रह जाएगी
यानी — राजकोषीय नियंत्रण और आर्थिक विकास के बीच संतुलन बनाना कठिन हो सकता है।
पेंशन संशोधन पर अब खत्म हुई चिंता
ToR जारी होने के बाद पेंशनर्स ने सवाल उठाए थे कि क्या पेंशन सुधार को आयोग से बाहर रखा गया है?
क्योंकि पहले हर वेतन आयोग में इसका स्पष्ट उल्लेख रहा है।
इस पर सरकार ने राज्यसभा में स्पष्ट किया—
✔️ 8th Pay Commission वेतन, भत्ता और पेंशन सभी पर सिफारिश करेगा
✖️ फिलहाल DA और DR को बेसिक सैलरी में मर्ज करने की कोई योजना नहीं
इस स्पष्टीकरण से 69 लाख से अधिक पेंशनर्स को बड़ी राहत मिली है।
क्या इंतजार लंबा होगा?
पूरे प्रोसेस को देखें तो—
- रिपोर्ट तैयार + समीक्षा + मंजूरी = लगभग 18–36 महीने
- लागू होने के बाद भी भुगतान 1 जनवरी 2026 से रेट्रोस्पेक्टिव हो सकता है
निष्कर्ष
| पहलू | प्रभाव |
|---|---|
| सरकारी कर्मचारियों-पेंशनर्स की आय | बढ़ेगी |
| बाजार और उपभोग | सुधार संभव |
| सरकार का वित्तीय बोझ | अत्यधिक बढ़ेगा |
| DA-DR मर्जर | अभी नहीं |
| पेंशन संशोधन | आयोग में शामिल |
कुल मिलाकर —
8वें वेतन आयोग से वेतन-पेंशन बढ़ेगा तो आम आदमी की जेब भरेगी, लेकिन सरकार की जेब खाली होने का खतरा भी बढ़ जाएगा।
