8वें वेतन आयोग की सिफारिशें आने में अभी तकरीबन 18 महीने का समय बाकी है, और इसे लागू होते-होते अतिरिक्त 4–6 महीने लग सकते हैं। इसके बावजूद भारतीय रेलवे ने पहले ही आगामी वेतन बढ़ोतरी को ध्यान में रखते हुए अपनी वित्तीय रणनीति पर काम तेज कर दिया है। माना जा रहा है कि 8th Pay Commission लागू होने पर कर्मचारियों की सैलरी में उल्लेखनीय बढ़ोतरी होगी, जिसका सीधा असर रेलवे के कुल खर्च पर पड़ेगा।
रेलवे ने क्यों शुरू की तैयारी?
8वें वेतन आयोग की रिपोर्ट मंजूर होते ही रेलवे कर्मचारियों के वेतन और पेंशन का बोझ काफी बढ़ जाएगा। इस संभावित दबाव को संभालने के लिए रेलवे ने अभी से लागत कम करने और वित्तीय मजबूती बढ़ाने की दिशा में कई कदम उठाए हैं।
Times of India की रिपोर्ट के अनुसार:
- रेलवे रखरखाव (Maintenance)
- खरीद (Procurement)
- और ऊर्जा (Energy Management)
इन तीन बड़े क्षेत्रों में आक्रामक कॉस्ट-कटिंग लागू कर रहा है। लक्ष्य है—रिपोर्ट लागू होने से पहले वित्तीय स्थिति को इतना मजबूत बना लेना कि बढ़े हुए वेतन खर्च को आसानी से वहन किया जा सके।
8th Pay Commission रिपोर्ट: कब आएगी?
8वां वेतन आयोग जनवरी 2025 में गठित हुआ और 28 अक्टूबर 2025 को इसके Terms of Reference जारी किए गए। आयोग को अपनी सिफारिशें पेश करने के लिए 18 महीने का वक्त दिया गया है, यानी रिपोर्ट के जनवरी 2026 से पहले आने की संभावना है।
लगभग 50 लाख केंद्रीय कर्मचारी और 69 लाख पेंशनर्स इसकी सिफारिशों से प्रभावित होंगे—जिनमें रेलवे का बड़ा हिस्सा शामिल है।
पिछला यानी 7वां वेतन आयोग फरवरी 2014 में बना था, और इसकी सिफारिशें 1 जनवरी 2016 से लागू हुईं। इसी पैटर्न को देखते हुए माना जा रहा है कि 8वें वेतन आयोग का प्रभाव भी 1 जनवरी 2026 से लागू हो सकता है।
रेलवे की मौजूदा फाइनेंशियल हेल्थ कैसी है?
TOI की रिपोर्ट बताती है:
- FY 2024–25 में रेलवे का ऑपरेटिंग रेश्यो (OR): 98.90%
- शुद्ध आय (Net Revenue): ₹1,341.31 करोड़
- FY 2025–26 में OR का लक्ष्य: 98.42%
- अनुमानित Net Revenue: ₹3,041.31 करोड़
अर्थात—रेलवे अपनी कमाई और दक्षता दोनों में सुधार कर रहा है ताकि वेतन आयोग का प्रभाव झेल सके।
IRFC को भी कम करने होंगे खर्च
Railway Finance Corporation (IRFC) आने वाले वर्षों में अपने भारी-भरकम भुगतान घटाने की कोशिश करेगा। रेलवे अधिकारियों का कहना है कि:
“2027–28 में जब वेतन व्यय बढ़ेगा, तब तक फ्रेट रेवेन्यू में लगभग ₹15,000 करोड़ की वृद्धि हो चुकी होगी, जिससे वित्तीय बोझ संतुलित हो जाएगा।”
रेलवे का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि बढ़े हुए वेतन के बावजूद कैश फ्लो पर दबाव न पड़े।
फिटमेंट फैक्टर: सबसे बड़ी चुनौती
7वें वेतन आयोग में फिटमेंट फैक्टर 2.57 था।
अब कर्मचारी यूनियनें 2.86 फिटमेंट फैक्टर की मांग कर रही हैं।
यदि यह मांग मान ली जाती है, तो रेलवे के वेतन खर्च में:
👉 22% से अधिक की बढ़ोतरी हो सकती है।
इस कारण रेलवे अभी से वित्तीय तैयारी को प्राथमिकता दे रहा है।
निष्कर्ष: रेलवे कर्मचारियों के लिए संकेत सकारात्मक
हालांकि आयोग की अंतिम रिपोर्ट आने में अभी समय है, लेकिन रेलवे की तेज होती तैयारियां इस बात का स्पष्ट संकेत हैं कि वेतन बढ़ोतरी तय है और रेलवे इसे संभालने के लिए पूरी तरह तैयार हो रहा है।
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