अब पशुओं के इलाज के लिए न अस्पताल जाना पड़ेगा, न घंटों इंतज़ार करना! बस एक टोल-फ्री नंबर पर करें कॉल और मोबाइल वेटरनरी यूनिट पहुँचेगी आपके दरवाज़े पर – जानें पूरी प्रक्रिया।
ग्रामीण भारत के पशुपालकों के लिए एक आसान और सस्ती सुविधा उपलब्ध हो गई है। सिर्फ दो रुपये की कॉल से आपके पशु का पूरा इलाज घर के दरवाजे पर हो सकता है। यह योजना पशु स्वास्थ्य को मजबूत बनाने के उद्देश्य से शुरू की गई है, जो किसानों की मेहनत को बचाती है।
योजना की शुरुआत और उद्देश्य
सरकार ने पशुपालन क्षेत्र में बड़ा कदम उठाया है। दूरस्थ गांवों में पशु अस्पतालों की कमी को दूर करने के लिए मोबाइल चिकित्सा इकाइयां तैनात की गई हैं। इनका लक्ष्य समय पर इलाज देकर पशुओं की जान बचाना और किसानों को आर्थिक नुकसान से बचाना है। पहले पशु बीमार होने पर घंटों का सफर करना पड़ता था, अब सब कुछ घर पर ही संभव है।
कॉल कैसे करें और प्रक्रिया
सिर्फ 1962 नंबर डायल करें। कॉल कनेक्ट होते ही अपना नाम, गांव का नाम, पशु का प्रकार और बीमारी के लक्षण बताएं। कॉल सेंटर वाले आपकी जानकारी नोट करके नजदीकी टीम को संदेश भेज देंगे। डॉक्टर, सहायक स्टाफ और दवाओं से लैस वाहन एक घंटे के अंदर आपके पास पहुंचेगा। पूरी सेवा मुफ्त है, सिर्फ कॉल का मामूली शुल्क लगता है।
सेवा का समय और कवरेज
यह सुविधा सुबह 8 बजे से शाम 5 बजे तक चलती है। कई राज्यों में सैकड़ों मोबाइल यूनिट्स सक्रिय हैं, जो गाय, भैंस, बकरी जैसे सभी पशुओं का इलाज करती हैं। आपातकाल में प्राथमिकता मिलती है, जैसे पेट दर्द, चोट या बुखार। ग्रामीण इलाकों में यह वरदान साबित हो रही है, जहां सड़कें खराब होने पर भी टीम पहुंच जाती है।
किसानों को बड़े फायदे
पशु मरने से होने वाला नुकसान अब इतिहास बन गया। समय पर दवा मिलने से दूध उत्पादन बढ़ता है और आय स्थिर रहती है। छोटे किसान भी इसका फायदा उठा सकते हैं। विभाग ने जागरूकता अभियान चलाया है ताकि हर गांव तक यह खबर पहुंचे। लाखों पशुओं का सफल इलाज हो चुका है।
सावधानियां और सलाह
कॉल करते समय लक्षण स्पष्ट बताएं, जैसे उल्टी, लंगड़ापन या भूख न लगना। व्यस्त समय में दोबारा ट्राई करें। स्वच्छता रखें और टीकाकरण करवाते रहें। यह योजना पशुधन को स्वस्थ रखने की दिशा में मील का पत्थर है। ज्यादा जानकारी के लिए स्थानीय पशु चिकित्सालय से संपर्क करें।
