सर्दी में अपनी फसल को बचाना चाहते हैं, तो चलिए बताते हैं मल्चिंग और लो टनल पर मिलने वाली सब्सिडी के बारे में, जिससे खर्च कम आएगा और फसल सुरक्षित रहेगी।
पाला से फसल बचाने के लिए क्या करें किसान
अगर किसान पाला से फसल को बचाना चाहते हैं और तापमान को नियंत्रित करना चाहते हैं, तो वे मल्चिंग का इस्तेमाल कर सकते हैं या फिर लो टनल विधि से खेती कर सकते हैं। मल्चिंग लगाने से मिट्टी का तापमान नियंत्रित रहता है और जड़ों तक ज्यादा ठंड नहीं पहुंच पाती है। इससे पाला का असर फसल पर नहीं पड़ता और फसल सुरक्षित रहती है। मल्चिंग में क्या होता है कि मिट्टी के ऊपर एक पॉलिथीन शीट बिछाई जाती है। इसके लिए पहले बेड बनाया जाता है, फिर शीट बिछाई जाती है और उसके बाद बीच-बीच में पौधे लगाए जाते हैं। इससे मिट्टी पर सीधी पाला नहीं गिरता है और न ही ज्यादा पानी अंदर जाता है।
वहीं लो टनल विधि से अगर खेती की जाए, तो पौधों के ऊपर एक पारदर्शी प्लास्टिक शीट लगाई जाती है, जिससे पाला और ठंड का असर फसल तक नहीं पहुंचता है। छोटी फसलों के लिए यह विधि वरदान साबित होती है। इससे एक छोटा पॉलीहाउस जैसा वातावरण बन जाता है। आइए जानते हैं कि इन पर कितनी सब्सिडी मिल रही है और किसान इस योजना का लाभ कैसे ले सकते हैं।
मल्चिंग और लो टनल पर कितनी सब्सिडी मिल रही है
मल्चिंग और लो टनल पर किसानों को भारी सब्सिडी दी जा रही है, जिससे वे सर्दियों में इन तकनीकों का आसानी से इस्तेमाल कर सकें। लो टनल पर किसानों को 14.50 रुपये प्रति वर्ग मीटर के हिसाब से सब्सिडी दी जा रही है। एक किसान योजना के तहत 10,000 वर्ग मीटर तक के लिए अनुदान ले सकता है। वहीं मल्चिंग की बात करें तो किसानों को ढाई एकड़ के लिए 16,000 रुपये सब्सिडी के तौर पर दिए जा रहे हैं, जिससे वे कम लागत में मल्चिंग का इस्तेमाल कर सकें।
मल्चिंग और लो टनल पर सब्सिडी कैसे मिलेगी
मल्चिंग और लो टनल पर सब्सिडी लेने के लिए हरियाणा के किसानों को “मेरी फसल मेरा ब्यौरा” पोर्टल पर जाकर पंजीकरण करना होगा। पंजीकरण के बाद किसानों को योजना का लाभ दिया जाएगा। इस योजना से कई किसान जुड़ रहे हैं, क्योंकि सर्दियों में लो टनल विधि से खेती करके किसान अच्छी फसल प्राप्त कर पा रहे हैं।
