दिसंबर का आखिरी हफ्ता आ गया है और उत्तर प्रदेश में ठंड का असर तेज हो रहा है। घना कोहरा और पछुआ हवाओं से तापमान गिर रहा है, जिससे रबी की फसलें परेशानी में हैं। चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, कानपुर के कृषि विज्ञान केंद्र दिलीपनगर के वैज्ञानिक डॉ. खलील खान ने किसानों के लिए खास एडवाइजरी जारी की है। उनका कहना है कि आने वाले दिनों में कोहरे की चादर बिछ जाएगी, जो फसलों में कीटों और बीमारियों को न्योता दे सकती है। मौसम विभाग ने भी 42 जिलों में येलो अलर्ट दे दिया है।
लखनऊ के अमौसी सेंटर के वरिष्ठ वैज्ञानिक अतुल कुमार सिंह ने बताया कि अगले 2-3 दिन में थोड़ी राहत मिल सकती है, लेकिन उसके बाद ठंड फिर जोर पकड़ लेगी। ऐसे में गेहूं, सरसों, चना, राई, टमाटर-मिर्च जैसी फसलों को बचाना जरूरी है, वरना पैदावार पर बुरा असर पड़ेगा।
कोहरा और ठंड न सिर्फ फसलों की बढ़वार रोकते हैं, बल्कि नमी बढ़ने से फफूंदी और वायरस का खतरा भी बढ़ जाता है। पत्तियां पीली पड़ सकती हैं, जड़ें कमजोर हो सकती हैं और कीटों का प्रकोप तेज हो जाता है। कई किसानों का अनुभव है कि अगर समय पर कदम न उठाया तो नुकसान 20-30 प्रतिशत तक पहुंच जाता है। लेकिन सही सावधानियां बरतें तो फसल हरी-भरी रहेगी और अच्छी उपज मिलेगी। डॉ. खलील खान ने आसान और व्यावहारिक उपाय बताए हैं, जो हर किसान घर पर ही आजमा सकता है।
गेहूं की फसल को मजबूत बनाएं
गेहूं रबी की रीढ़ है, और अभी इसकी बुवाई के बाद पहली सिंचाई का समय आ गया है। वैज्ञानिकों की सलाह है कि बुवाई के 20-30 दिन के बीच हल्की सिंचाई जरूर करें, ताकि नमी बनी रहे और कोहरे का असर कम हो। अगर पौधों में जिंक की कमी के संकेत दिखें जैसे पत्तियां छोटी रहना या पीला पड़ना तो तुरंत कार्रवाई करें। 5 किलो जिंक सल्फेट और 16 किलो यूरिया को 800 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर छिड़काव करें। इससे पौधे मजबूत हो जाएंगे।
खरपतवारों से भी सावधान रहें। संकरी और चौड़ी पत्ती वाले खरपतवारों के लिए सल्फोसल्फ्यूरॉन 75 प्रतिशत और मेटासल्फ्यूरॉन मेथाइल 5 प्रतिशत डब्ल्यूजी का मिश्रण लें 40 ग्राम प्लस 1250 मिली सर्फेक्टेंट प्रति हेक्टेयर। या फिर मेट्रीब्यूजिन 70 प्रतिशत डब्लूपी की 250-300 ग्राम मात्रा को 500-600 लीटर पानी में मिलाकर पहली सिंचाई के बाद छिड़कें। फ्लैट फैन नोजल से छिड़काव करें तो असर और बेहतर होगा।
सरसों और राई में नाइट्रोजन का ख्याल रखें
सरसों-राई की फसल ठंड में अच्छी चलती है, लेकिन कोहरे से लीफ माइनर जैसे कीट सक्रिय हो जाते हैं। डॉ. खान की सलाह है कि नाइट्रोजन की टॉप ड्रेसिंग तुरंत करें – इससे पौधे हरे-भरे रहेंगे। अगर मिट्टी में नमी कम लगे तो हल्की सिंचाई कर दें, लेकिन ज्यादा पानी न डालें वरना जड़ें सड़ सकती हैं।
लीफ माइनर के लिए डाईमेथोएट 30 प्रतिशत ईसी की 650 मिली या कार्बोफ्यूरान 3 प्रतिशत सीजी की 66 ग्राम मात्रा को 300 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें। यह कीट पत्तियों को खोखला कर देता है, लेकिन समय पर दवा से नियंत्रण आसान है। कई किसान बता रहे हैं कि इस उपाय से उनकी फसल बची और पैदावार 10-15 प्रतिशत बढ़ी।
चने की फसल में कटुआ कीट से लड़ें
चना में ठंड के साथ कटुआ कीट का हमला बढ़ जाता है, जो पौधों को काटकर नुकसान पहुंचाता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि क्लोरपाइरीफॉस 20 प्रतिशत ईसी की 2.5 लीटर मात्रा को 500-600 लीटर पानी में मिलाकर प्रति हेक्टेयर छिड़काव करें। एक देसी नुस्खा भी है खेत में जगह-जगह सूखी घास के छोटे ढेर लगा दें। दिन में कटुआ की सूड़ियां इनमें छिप जाती हैं, सुबह इन्हें इकट्ठा करके जला दें। यह तरीका सस्ता और प्रभावी है।
सब्जियों जैसे टमाटर-मिर्च का खास ध्यान
टमाटर और मिर्च में कोहरे से वायरस रोग तेजी से फैलते हैं। पत्तियां मुड़ने या धब्बे दिखने लगें तो डाईमेथोएट या इमिडाक्लोप्रिड की 1 मिली प्रति लीटर पानी का घोल बनाकर छिड़काव करें। इससे वायरस का फैलाव रुक जाता है। पौधों को ढकने के लिए पॉलीथीन या जाली का इस्तेमाल करें, ताकि ठंडी हवा सीधा न लगे।
किसान भाइयों, डॉ. खलील खान और अतुल कुमार सिंह जैसे विशेषज्ञों की यह सलाह आपकी फसल को बचा सकती है। मौसम विभाग के अपडेट रोज चेक करें और खेत की निगरानी रखें।
