आज धान की एक ऐसी वैरायटी के बारे में बात करने जा रहे हैं, जिससे किसान को एक एकड़ में लाखों रुपये का मुनाफा हुआ है। खास बात यह है कि यह धान शुगर-फ्री भी है, जिसकी वजह से बाजार में इसकी मांग और कीमत दोनों अधिक हैं।
धान की ज्यादा मुनाफा देने वाली वैरायटी कौन-सी है
धान की कई वैरायटी हैं, जो अच्छा उत्पादन देती हैं। लेकिन यहां आपको एक ऐसी खास वैरायटी की जानकारी देने जा रहे हैं, जो सेहत के लिए बहुत ज्यादा फायदेमंद मानी जाती है। इसी कारण इसकी कीमत भी बाजार में ज्यादा मिल रही है। इस समय धान की फसल तैयार हो चुकी है और किसान इसकी बिक्री भी कर रहे हैं। यहां जिस धान की वैरायटी की बात की जा रही है, उसकी कीमत 100 से 150 रुपये प्रति किलो तक मिल रही है। किसान बताते हैं कि इस वैरायटी से उन्हें एक एकड़ में करीब 2.25 लाख रुपये का मुनाफा हुआ है।
अगर किसान खेत में पानी की समस्या से जूझ रहे हैं, तो यह वैरायटी उनके लिए काफी अच्छी साबित हो सकती है। इस धान का नाम लाल धान है, जो सेहत के लिए बेहद फायदेमंद माना जाता है। आइए जानते हैं इसकी खासियतें।
लाल धान की खासियत क्या है
लाल धान की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह शुगर-फ्री माना जाता है। जैसा कि आप जानते हैं, डायबिटीज के मरीजों को आमतौर पर चावल खाने से मना किया जाता है, लेकिन शुगर के मरीज इस लाल धान का सेवन कर सकते हैं। इसके अलावा जिन किसानों को पानी की कमी की समस्या रहती है, उनके लिए भी यह वैरायटी अच्छी है। यह फसल कम समय में तैयार हो जाती है और इसमें लागत भी कम आती है।
इस धान की खेती जैविक तरीके से की जाती है। किसान इसमें जैविक खाद का उपयोग करते हैं, जिससे रासायनिक खाद पर होने वाला खर्च बच जाता है। बता दें कि झारखंड के पलामू जिले के किसानों ने इस लाल धान की खेती की थी, जिससे उन्हें अच्छा फायदा हुआ। किसानों के अनुसार, यह फसल 70 से 80 दिनों में तैयार हो जाती है। लगभग 15 पंचायतों के किसानों को जोड़कर एक समूह बनाया गया था और सामूहिक रूप से लाल धान की जैविक खेती की गई। अब आइए जानते हैं कि बीज कहां से मिला और इसकी कीमत कितनी थी।
लाल धान की खेती से कितना उत्पादन मिलेगा
लाल धान की खेती कम उपजाऊ जमीन में भी की जा सकती है। एक एकड़ में इसकी खेती करने पर लगभग 15 क्विंटल तक उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है। एक एकड़ में खेती के लिए करीब 2 किलो बीज की जरूरत होती है। बीज की कीमत लगभग 400 रुपये प्रति किलो पड़ी थी। यह बीज असम से मंगवाया गया था, जो अच्छी वैरायटी का था और इससे बेहतर उत्पादन मिला।
किसानों ने इस खेती में किसी भी तरह के रासायनिक खाद या कीटनाशक का इस्तेमाल नहीं किया, जिससे उनका खर्च काफी कम रहा। इसके बजाय उन्होंने जैविक खाद, जैसे वर्मी कंपोस्ट, का उपयोग किया। वर्मी कंपोस्ट एक अच्छी गुणवत्ता की खाद होती है, जिससे फसल को बेहतर पोषण मिलता है और उत्पादन भी अच्छा होता है।
