मीठी मिर्च की खेती करके एक किसान ने बीते वर्ष करोड़ों रुपये की कमाई की है। खेती से यह बड़ी सफलता कैसे मिली, आइए जानते हैं।
शिमला मिर्च की खेती में कमाई
दरअसल किसान शिमला मिर्च की खेती कर रहे हैं, जिसे उनके क्षेत्र में मीठी मिर्च भी कहा जाता है। यह किसान उत्तर प्रदेश के इटावा जिले के रहने वाले हैं। वह करीब 15 एकड़ जमीन में शिमला मिर्च की खेती करते हैं। जिसमें किसान ने यह भी बताया कि एक एकड़ में कितने पौधे लगाते हैं, कितना उत्पादन मिलता है और बाजार में क्या भाव मिल रहा है। आइए जानते हैं कि वह किस तरीके से खेती कर रहे हैं।
किस तरीके से करें शिमला मिर्च की खेती
किसान का नाम आलोक प्रताप है। वह बताते हैं कि वह शिमला मिर्च की खेती वैज्ञानिक पद्धति से थोड़ा हटकर करते हैं। आमतौर पर वैज्ञानिक पद्धति में कहा जाता है कि एक एकड़ में 12 से 15 हजार पौधे लगाए जाएं, लेकिन आलोक प्रताप अपने खेत में करीब 20 हजार पौधे लगाते हैं। इसके बावजूद उन्हें अच्छा उत्पादन मिल रहा है।
किसान के अनुसार, एक एकड़ से करीब 50 टन तक उत्पादन मिल जाता है। बाजार में शिमला मिर्च का भाव 25 से 30 रुपये प्रति किलो तक रहता है, जिससे अच्छी कमाई हो रही है। उन्होंने कतार में शिमला मिर्च के पौधे लगाए हैं और मल्चिंग का भी इस्तेमाल किया है। इससे खरपतवार नहीं उगते, मिट्टी में नमी बनी रहती है और लागत भी कम आती है।
इसके अलावा किसान बताते हैं कि वह थोड़ी देर से पौध रोपाई करते हैं, जिससे उन्हें अच्छी गुणवत्ता वाली फसल मिलती है। वह पूरी तरह जैविक खेती करते हैं और केवल जैविक खाद का ही उपयोग करते हैं। सिंचाई ड्रिप विधि से की जाती है। किसान ने शिमला मिर्च की खेती से जुड़े प्रशिक्षण भी लिए हैं, जिससे उन्हें खेती की तकनीक की सही जानकारी मिली।
शिमला मिर्च की खेती का समय
शिमला मिर्च की खेती जून से जुलाई, अगस्त से सितंबर और नवंबर से दिसंबर के बीच की जा सकती है। रोपाई के बाद करीब 90 दिनों में फसल तैयार हो जाती है, मगर यह अलग-अलग किस्मों पर निर्भर करता है। अगर किसान हरी शिमला मिर्च उगाते हैं, तो 55 से 60 दिनों में फसल तैयार हो जाती है। वहीं लाल और पीली शिमला मिर्च के लिए 70 से 90 दिन का समय लगता है।
शिमला मिर्च की खेती के लिए बीज अंकुरण हेतु 20 डिग्री सेल्सियस तापमान और पौधों के अच्छे विकास के लिए 18 से 30 डिग्री सेल्सियस तापमान उपयुक्त माना जाता है। इसकी खेती के लिए रेतीली दोमट मिट्टी सबसे अच्छी होती है। पहले पौधों की नर्सरी तैयार की जाती है, उसके बाद खेत में रोपाई की जाती है। रोपाई के लिए 10 से 15 सेंटीमीटर ऊंचा पौधा अच्छा माना जाता है।
