New Criminal Laws: 1 जुलाई से लागू हो रहे तीन नए कानून! अब इन लोगो की नही होगी खेर
सोमवार 1 जुलाई से भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की जगह भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस), दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) और साक्ष्य अधिनियम की जगह भारतीय साक्ष्य अधिनियम (बीएसए) लागू हो गया है। तीनों नए कानूनों के क्रियान्वयन के लिए मध्य प्रदेश पुलिस ने पूरी तैयारी कर ली है।
प्रदेश के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों का कहना है कि इन तीनों कानूनों का उद्देश्य विभिन्न अपराधों और उनकी सजा को परिभाषित कर देश में आपराधिक न्याय प्रणाली को पूरी तरह से बदलना है। नए कानून के लागू होने से भारत की न्याय प्रणाली आईपीसी के तहत अंग्रेजों द्वारा बनाए गए औपनिवेशिक कानूनों से मुक्त हो जाएगी।
इस संबंध में रविवार शाम पुलिस मुख्यालय भोपाल में प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की गई, जिसमें एडीजी कानून व्यवस्था जयदीप प्रसाद ने विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने कहा कि यह कानून सजा नहीं बल्कि न्याय केंद्रित है। नए आपराधिक कानूनों के क्रियान्वयन के लिए मध्य प्रदेश पुलिस ने भी तैयारी कर ली है। सोमवार को प्रदेश के सभी थाना क्षेत्रों और जिला मुख्यालय स्तर पर कार्यक्रम आयोजित कर नए कानूनों का क्रियान्वयन किया जाएगा।
कार्यक्रम में जिले के पुलिस अधीक्षक, जनप्रतिनिधि और जिले के बुद्धिजीवियों को आमंत्रित किया जाएगा। कुछ स्थानों पर पुलिसकर्मियों ने ढोल-नगाड़ों के साथ स्वागत की भी तैयारी की है। कार्यक्रम थाना क्षेत्र में किसी उपयुक्त स्थान पर आयोजित किया जाएगा। इसमें सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारियों, महिलाओं, बुजुर्गों और स्कूल-कॉलेज के विद्यार्थियों को आमंत्रित किया जाएगा। कार्यक्रम के दौरान सभी उपस्थित लोगों को नए कानूनों के बारे में जागरूक किया जाएगा।
60 हजार पुलिस अधिकारी-कर्मचारी प्रशिक्षित
नए कानूनों को लेकर पूरे प्रदेश में 60 हजार से अधिक पुलिस अधिकारी-कर्मचारियों को प्रशिक्षित किया जा चुका है। उन्हें बदलावों के बारे में बताया गया है। इसके अलावा पुलिसकर्मियों को सॉफ्टवेयर में एंट्री कैसे करनी है, साक्ष्य कैसे एकत्रित करने हैं, इन सभी बिंदुओं पर भी जानकारी दी गई है।
प्रदेश पुलिस ने 31 हजार से अधिक विवेचकों को प्रशिक्षित किया है। इसके साथ ही सीसीटीएनएस में भी नए कानूनों से जुड़े बदलाव किए गए हैं, जो 30 जून की रात 12 बजे से लागू हो गए हैं। सभी जिलों में क्राइम एंड क्रिमिनल ट्रैकिंग नेटवर्क एंड सिस्टम (सीसीटीएनएस) का संचालन करने वाले पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों को यह भी बताया गया है कि सीसीटीएनएस में रोजाना की रिपोर्ट कैसे दर्ज करनी है।
नए कानूनों में महिलाओं और बच्चों के लिए खास प्रावधान
नए कानूनों में महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों के लिए सख्त सजा का प्रावधान किया गया है। प्रस्तावित भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 में पहला अध्याय अब महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों से जुड़े दंड के प्रावधानों से जुड़ा है।
इन प्रावधानों के मुताबिक, बच्चों से अपराध करवाना और उन्हें आपराधिक कृत्यों में शामिल करना दंडनीय अपराध होगा, वहीं नाबालिग बच्चों की खरीद-फरोख्त जघन्य अपराधों में शामिल होगी। नाबालिग से सामूहिक दुष्कर्म करने पर आजीवन कारावास या मौत की सजा का प्रावधान है। नए कानूनों के मुताबिक, पीड़िता का बयान अभिभावक की मौजूदगी में ही दर्ज किया जा सकेगा। इसी तरह, महिलाओं के खिलाफ अपराधों को लेकर भी नए कानूनों में बेहद सख्ती बरती गई है।
सामूहिक बलात्कार के लिए सख्त सजा
इसके तहत महिला से सामूहिक बलात्कार करने पर 20 साल और आजीवन कारावास की सजा होगी, यौन संबंध बनाने का झूठा वादा करना या पहचान छिपाना भी अब अपराध होगा।
साथ ही पीड़िता के घर पर महिला अधिकारी की मौजूदगी में बयान दर्ज करने का प्रावधान है। इस प्रकार नए कानून में महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराध करने वालों के खिलाफ विभिन्न धाराओं के तहत सख्त सजा का प्रावधान है।
अब 60 दिनों के भीतर आरोप तय किए जाएंगे और ट्रायल खत्म होने के 45 दिनों के भीतर फैसला देना होगा।
लोक सेवकों के खिलाफ मामलों में 120 दिनों के भीतर फैसला देना अनिवार्य होगा। भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 के तहत मामलों में जांच, सुनवाई और बहस पूरी होने के 30 दिनों के भीतर तय समय के भीतर फैसला देने का प्रावधान है।
इसी तरह छोटे और कम गंभीर मामलों के लिए समरी ट्रायल अनिवार्य होगा। नए कानूनों में पहली बार अपराध पर हिरासत अवधि कम रखने और सजा का एक तिहाई पूरा होने पर जमानत देने का प्रावधान है। साथ ही किसी भी शिकायतकर्ता को 90 दिनों के भीतर जांच रिपोर्ट देना अनिवार्य होगा और गिरफ्तार व्यक्ति की जानकारी भी सार्वजनिक करनी होगी।
नए कानूनों के लाभ ई-एफआईआर के मामले में शिकायतकर्ता को तीन दिनों के भीतर थाने पहुंचकर एफआईआर की कॉपी पर हस्ताक्षर करने होंगे। नए बदलावों के तहत जीरो एफआईआर को कानूनी रूप से अनिवार्य कर दिया गया है। एफआईआर और बयान से जुड़े दस्तावेज शिकायतकर्ता को देने का प्रावधान है।
शिकायतकर्ता चाहे तो पुलिस द्वारा आरोपी से पूछताछ के बिंदु भी ले सकता है। यानी वह अपने बयान की कॉपी पेन ड्राइव में ले जा सकेगा। इस प्रकार नए कानूनों में आम लोगों को कई लाभ दिए गए हैं।