धान की फसल अपने पकने के अंतिम चरण में होती है, तब कई किसान जल्द से जल्द फसल तैयार करने की कोशिश में कुछ ऐसी गलतियां कर बैठते हैं जो पैदावार पर नकारात्मक असर डाल सकती हैं। कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि जल्दबाजी में किए गए कुछ उपाय फसल की उत्पादन क्षमता को आधा कर सकते हैं। इसलिए इन गलतियों से बचना अत्यंत आवश्यक है ताकि फसल से अधिकतम लाभ प्राप्त किया जा सके।
अत्यधिक उर्वरक का उपयोग हानिकारक
धान की फसल को जल्दी पकाने के लिए कई किसान अधिक मात्रा में यूरिया या अन्य उर्वरकों का उपयोग कर लेते हैं। इससे फसल की वृद्धि में तो कुछ बदलाव आ सकता है, लेकिन यह पैदावार के लिए हानिकारक साबित हो सकता है। अत्यधिक उर्वरक का उपयोग पौधों की प्राकृतिक वृद्धि को बाधित करता है, जिससे पैदावार कम हो सकती है।
स्नातकोत्तर महाविद्यालय, बलिया के मृदा विज्ञान और कृषि रसायन विभाग का कहना है कि फसल के अंतिम चरण में उर्वरकों का अधिक उपयोग फसल के पकने की प्रक्रिया को धीमा कर सकता है। इसके साथ ही, उर्वरकों के अत्यधिक प्रयोग से पौधों के पोषण तंत्र में असंतुलन पैदा हो सकता है, जिससे फसल की गुणवत्ता और उत्पादन दोनों में गिरावट आ सकती है।
बार-बार सिंचाई करना हो सकता है उत्पादन में नुकसान
धान की फसल के पकने के समय कई किसान बार-बार सिंचाई करते हैं ताकि पौधे स्वस्थ दिखें और जल्दी तैयार हो सकें। हालांकि, अत्यधिक सिंचाई का विपरीत प्रभाव पड़ सकता है। फसल में पानी की अधिकता से धान की गुणवत्ता और रंग दोनों प्रभावित हो सकते हैं। इस समय पर पौधों की आवश्यकता से अधिक सिंचाई करने से धान के दाने कम भरते हैं, जिससे उत्पादन में गिरावट आ सकती है।
जब फसल पकने के अंतिम चरण में होती है, तो उसे कम पानी की आवश्यकता होती है। इस समय पर फसल को नियंत्रित सिंचाई देना ही बेहतर होता है ताकि फसल की गुणवत्ता और मात्रा सही बनी रहे।
कीटनाशकों का अत्यधिक उपयोग से गुणवत्ता पर असर
फसल को कीड़ों से बचाने के लिए कुछ किसान अधिक मात्रा में कीटनाशक छिड़कते हैं, खासकर जब फसल पकने के करीब होती है। हालांकि, इस समय अत्यधिक कीटनाशकों का उपयोग न केवल फसल की गुणवत्ता को नुकसान पहुंचाता है, बल्कि मिट्टी की उर्वरता भी प्रभावित होती है। कीटनाशक अवशेष फसल में रह सकते हैं, जिससे उसका पोषण मूल्य और बाजार मूल्य दोनों घट सकते हैं।
विशेषज्ञों का सुझाव है कि फसल के पकने के अंतिम चरण में कम से कम कीटनाशकों का उपयोग किया जाए। इसके बजाय प्राकृतिक तरीकों से कीटों का नियंत्रण करना बेहतर होता है, जैसे जैविक कीटनाशकों का उपयोग या जैविक तरीकों से कीटों की रोकथाम।
जल्दी कटाई ,फसल के नुकसान का कारण
कई किसान मौसम की चिंता में फसल को जल्दी काट लेते हैं, लेकिन यह कदम पैदावार के लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है। यदि धान के दाने पूरी तरह से नहीं पके होते और आपने कटाई कर ली, तो इसका सीधा असर उत्पादन पर पड़ता है।
फसल को पूरी तरह से पकने देना आवश्यक है ताकि धान के दाने अच्छी तरह से भर सकें और उत्पादन अधिकतम हो सके। धान की सही पकाई का इंतजार करने से फसल की गुणवत्ता और मात्रा में वृद्धि होती है, जिससे किसान को बेहतर परिणाम मिलते हैं।