कामाख्या देवी मंदिर कहां है?
Kamakhya Temple Ke Bare Mein – माता कामाख्या का प्रसिद्ध मंदिर नीलाचल पहाडी के मध्य पर्यटक एवं तीर्थ दृष्टि से महात्वपूर्व तीर्थ स्थलीय क्षेत्र है, यह भारत में उत्तर-पूर्व के भाग में गुवाहाटी सिटी असम राज्य में स्थित है। माता कामाख्या को कामेश्वरी अर्थात इच्छा की शक्ति के रूप में जाना जाता है, जो सभी भक्तो की इच्छा पूर्ण करती है और तो और भारत में माता कामख्या के मंदिर को 51 शक्तिपीठ भी कहते है यह सबसे पवित्र माता मंदिर के रूप में जाना जाता है और साथ ही साथ भारत में सबसे प्राचीन मंदिर माता कामख्या देवीजी का है। आईये जानते है माता कामख्या मंदिर कैसे जाते है , कब जाते है, जाने के कौन-कौन से मार्ग है। माता के मंदिर में क्या प्रसाद चढाते है और माता के मंदिर में कौन से रहस्यमयी तत्व मौजूद है जिस कारण माता के मंदिर में चट्टान के आकार के रूप में बनी योनि अर्थात माता सती के शरीर के अंग जिससे रक्त का स्राव होता है, जिस कारण मंदिर की भारत में बहुत लोक प्रियता बहुत-ज्यादा प्रसिद्ध है।
माता कामाख्या मंदिर कैसे पहुंचें?
How To Reach Kamakhya Temple – माता कामाख्या का मंदिर असाम की गुवाहाटी राजधानी में स्थित है। यहां आने के लिये तीर्थयात्री तीन मार्गो का चयन कर सकते है। यह यात्री पर निर्भर करता है, वह कौन सा मार्ग चुनते है। आईये हम आप सभी यात्रीयों को तीनों मार्गो की जानकारी देने जा रहे। आप इस लेख को अंत तक ध्यान पूर्वक पढ़े …।
- हवाई मार्ग – सिटी गुवाहाटी में गोपी-नाथ वोरदोलोई अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट है जो भारत का अंतर्राष्ट्रीय हवाई एरयपोर्ट के नाम से जाना जाता है। यह विभिन्न अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट से जुड़ा हुआ है। यह एयरपोर्ट गुवाहाटीसिटी से लगभग बीस किमी दूर है। यहां आने के लिए टैक्सी या कैब या बस बुक कर सकते हैं।
- रेल मार्ग – माता कामाख्या के नाम से प्रसिद्ध रेलवे स्टेशन कामाख्या है जो गुवाहाटी सिटी का दूसरा सबसे बड़ा रेल्वे स्टेशन है और माता कामाख्या का देवस्थान से सबसे नजदीक है। गुवाहाटी रेल्वे स्टेशन यहा पर सबसे बड़ा रेलवे स्टेशन है । गुवाहाटी रेल्वे स्टेशन देश के सभी प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है। रेलवे स्टेशन से आप माता कामाख्या मंदिर टैस्की या बस से आसानी से पहुंचा जा सकता है।
- सड़क मार्ग – सड़क मार्ग में सिटी गुवाहाटी में आई.एस.बी.टी. बस स्टाप है, जो आसपास के शहरों से जुडा है और साथ ही साथ अन्य राज्यों से भी जुड़ा हुआ है। जैसे कुछ प्रमुख शहर पल्टन बाजार, अदबारी और आई.एस.बी.टी. बस स्टाप से प्रमुख तीन स्थान से जैसे असम और आसपास के शहरों एवं लोकल के गांव के लिए बस की सेवा उपलब्ध हैं। जिसके माध्यम से आप माता कामाख्या मंदिर पहुंच सकते हैं।
माता कामाख्या मंदिर का इतिहास
Kamakhya Temple History In Hindi – माता कामाख्या मंदिर का इतिहास पौणाणिक कथानुसार बहुत प्राचीन है, लेकिन बात करे आधुनिक समय की तो यहां माता कामख्या का मंदिर कभी मुगलो द्वारा नष्ट किया था और कभी प्रकृत्ति द्वारा अर्थात भूकंप द्वारा नष्ट हुआ था, लेकिन माता कामख्या के प्रिय भक्त राजा विश्व सिंग के उत्तराधिकारी महान राजा श्रीमान कोच जिनको नर नारायण अर्थात श्री विष्णु के नाम से जाना जाता था। उन्होंने ने सन 1556 को मंदिर का निर्माण करवाने के लिये प्रजा को प्रेरित किया और पुन: निमार्ण कर मंदिर की रक्षा करने का दायित्व स्वंय लिया था। इसके पश्चात लगभग सन 1700 में राजा अहोम ने मंदिर का निर्माण विभिन्न प्रकार के पत्थरों से मंदिर का निर्माण कराया, जिसका प्रमाण आज मंदिर के प्राचीन दिवालों पर दिखता है। यहां महात्वूपर्ण शिलालेख एवं तांबे से बनी चादरे मंदिरों की दिवालों में लगी मिलती है। जिस समय प्राकृत्ति आपदा ने भी मंदिर का बहुत ज्यादा नुकसान किया। उस समय माता के मंदिर की मरम्मत के लिये सन 1897 में कोच बिहार के राजा मंदिर के बचाव के लिये राजकोष से मंदिर निर्माण के भारी मात्रा में दान किया और मंदिर के रखरखाब के साथ मंदिर के संरक्षण की जिम्मेदारी अपने परिवार को सौंपी थी।
कामाख्या मंदिर कब जाना चाहिए?
When Should One Visit Kamakhya Temple – गुवाहाटी पर्यटकों के लिए बहुत लोकप्रिय स्थान हैं और यहाँ पर्यटक व तीर्थयात्री साल भर आते है लेकिन सिटी गुवाहाटी आने के लिए सबसे अच्छा माह अक्टूबर-मार्च का होता है। इस मौसम में घुमना अच्छा होता क्योंकि यहां गर्मी नहीं होती है। मौसम ठंडा बना रहता है, जिससे घूमने में पर्याटकों व तीर्थयात्रीयों को आनंद आता है।
माता कामख्या की पौराणिक कथा
Kamakhya Temple Story In Hindi – आदिनाथ शिवशंकर का विवाह माता सती से हुआ था। जिसका उल्लेख पौराणिक कथाओं में मिलता है, परंतु माता सती के विवाह से माता सती के पिता जी बहुत क्रोधित हुये थे क्योंकि राजा दक्ष उन्हें विल्कुल पसंद नहीं करते थे। उनके पिता जी को हिमालय के राजा कहते थे हिमालय के राजा दक्ष। माता सती के पिताजी श्री दक्ष ने यज्ञ का आयोजन किया तो उन्होनें अपने दामाद भगवान शिव को यज्ञ में आमंत्रित नही किया। उन्होंने अपनी पुत्री अर्थात माता सती को भी नही बुलाया। माता सती अपने पति की आज्ञा के पालन किये बिना अपने पिताजी के घर पहुंच गईं। वहां उनके पिता ने भगवान शिव अर्थात महादेव का बहुत ज्यादा अपमान किया। जिस कारण माता सती भगवान शिव का अपमान सहन नहीं कर पायीं और अपने प्राण देकर अपने आप को अग्नि के हवाले कर आत्मदेह कर लिया। इसकी जानकारी जैसे ही भगवान महादेव को लगी वे वहां पर पहुंचे और माता सती की देह लेकर बहुत ज्यादा क्रोधित हुऐ और तांडवनृत्य करने लगे। यह देखकर सभी देवी देवता डर के मारे कापने लगे और भगवान श्री हरि विष्णु की शरण गये एवं उनसे यह वाक्य सुनाये की सृष्टि का नास हो जायेगा, प्रभु कुछ उपाये करे। तब उन्हें रोकने के लिए भगवान श्री हरि विष्णु ने सुदर्शन चक्र से मातासती का देह अर्थात माता सती के शरीर के 51 अंग काट दिये थे। जो धरती के विभिन्न स्थानों पर जा गिरे। जिससे माता सती की योनि अर्थात गर्भ जिस स्थान पर गिरा, वहीं पर माता कामाख्या मंदिर का निर्माण हुआ था।
सती के यज्ञ में आत्मदाह के बाद शिवजी जब समाधि में चले गए, तब तारकासुर नामक दैत्य ने ब्रह्मा की घोर तपस्या की और उनसे असीम शक्तियां प्राप्त कर लीं और तीनों लोकों में अन्याय और अत्याचार मचाने लगा। देवता ब्रम्हाजी के पास गए उनसे तारकासुर से बचाने की प्रार्थना की, तो ब्रह्माजी ने कहा केवल शिव का पुत्र ही इस दैत्य का संहार कर सकता है।
शिवजी उमानंद पर्वत पर समाधी में लीन थे। शिवजी की समाधि भंग करने का काम कामदेव को सौंपा गया। कामदेव ने शिवजी पर बाण चलाया।शिवजी की समाधि भंग तो हुई,किंतु अचानक समाधि टूटने से शिवजी क्रोधित हो गया उन्होंने तीसरी आँख खोल कर कामदेव को भस्म कर गया।
कामदेव की पत्नी रति एवं अन्य देवी-देवताओं ने शिव से कामदेव को पुनः जीवित करने की प्रार्थना की। तब तक शिवजी का क्रोध शांत हो चूका था। शिव ने कामदेव को जीवनदान दिया, लेकिन कामदेव का सुन्दर रूप वापस नहीं आया।कामदेव एवं रति ने शिवजी से पुन: याचना की हे भोलेनाथ इस सौंदर्यहीन जीवन से तो अच्छा हम बिना शरीर के ही रहे। शिव ने कामदेव एवं रति की प्रार्थना स्वीकार की और कामदेव से शर्त रखी तुम्हें तुम्हारा पुराना रूप प्राप्त जायेगा। नीलांचल पर्वत पर सती के जनन अंग गिरा हैं, उस पर एक भव्य मंदिर का निर्माण करना होगा। कामदेव ने शिवजी की शर्त को मान्य किया और नीलाचल पर्वत पर मंदिर का निर्माण किया।तभी से यह मंदिर कामरूप एव कामाख्या नाम से प्रसिद्द हुआ।
कामाख्या मंदिर का रहस्य
Mystery Of Kamakhya Temple – माता कामाख्या का मंदिर भारत में स्थित अन्य मंदिरों से विभिन्न है। यह विश्व का एक मात्र ऐसा मंदिर है जिसकी विशेषता, यह है कि जब माता कामाख्या मासिकचक्र चलता हैं तो उस जल में पानी की जगह रक्त का रिसाव होता है जैसे कि घटना किसी अन्य महिला के साथ होती है। इसी प्रकार माता कामाख्या मंदिर की यह प्रसिद्धि है कि जब तक माता रजस्वला होती हैं, तब मंदिर में प्रवेश वर्जित रहता है। मंदिर के कपाट बंद होने के पहले यहां एक सफेदसूती वस्त्र बिछाया जाता है और जब मंदिर के कपाट खुलते है तो यह वस्त्र लाल रक्त से सनाहुआ रहता है। इस लाल कपड़े वस्त्र को अंबुबाची मेले में आये सभी भक्तो को प्रसाद के रूप में बाँटा जाता है। मंदिर प्रांगण में योनि रूपी की एक समतल चट्टान है जिसकी आराधना व पूजा की जाती है। माता कामाख्या मंदिर में जब भक्तो की मनोकामना पूरी हो जाती है तो भक्तगण माता को पशुओं बलि देते है, लेकिन यहा एक रोचक बात यह भी है कि यहां मादा पशुओं की बलि नहीं दी जाती है।
शक्तिपीठ माता कामाख्या मंदिर के विशेष तत्व
Special Features Of Shaktipeeth Maa Kamakhya Temple – माता कामख्या मंदिर दस अवतारो के लिये बहुत प्रचलित है जैसे की माता भैरवी, माता धूमावती, माता मातंगी, माता कमला, माता काली, माता तारा, माता भुवने श्वरी, माता त्रिपुरा, माता सुंदरी, माता बगुला मुखी, माता छिन्न मस्ता, सभी मातेश्वरी को समर्पित है।
यहां भगवान महादेव के पांच मंदिर आदि भगवान अघोरा, भगवान केदारेश्वर, भगवान अमरत्सोस्वरा भगवान कामेश्वर, भगवान सिद्धेश्वरा मंदिर स्थित है।
Ambubachi Mela 2023
माता कामख्या का प्रसिद्ध अंबुबाची का मेला लगता है जो चार दिनों तक चलता है। यह मेला भारत देश भर बहुत ही लोकप्रिय है और इस मंदिर विभिन्न प्रकार की विशेषता है। यह माता कामाख्या के मासिक धर्म के कारण प्रसिद्ध है। माना जाता है कि आषाढ़ माह महीने के 7 वे दिन माता कामाख्या के मासिक धर्म शुरू होत है और जब माता के मासिक धर्म खत्म होते है तो इस मेले आयोजन किया जाता है। माता मंदिर की उचाई 1 किमी की है, जहां सभी भक्त माता की पूजा आराधना करने के लिए जाते है। माता कामाख्या देवी मंदिर में जब मेले का आयोजन किया जाता है तब देशभर के तांत्रिक इस मेले में भाग लेने पहुंचते हैं।
माता कामाख्या मंदिर के पास रुकने के स्थान
Where To Stay In Kamakhya Temple – माता कामाख्या का दर्शन करने जाने वाले भक्तों के लिए मंदिर के पास में रूकने की व्यवस्था है। जैसे की माता कामाख्या का विश्राम ग्रह भक्तों को रुकने के लिए उपलब्ध है । ATDC का ललिता कान्ता यात्री निवास भी है। आप सभी लोग यहां आराम से रुक सकते हैं और साथ ही साथ इसके अलावा अन्य जगह में भी रूकने के लिये जैसे माता कामाख्या धाम, सिटी गुवाहाटी में ही रानी भवन, चक्रेश्वर भवन, माता कामाख्या नामक विश्राम ग्रह सहित कई अन्य जगहों पर सुविधाएं उपलब्ध हैं। यहां रूकने का लगभग 300 रू से 500 रू तक का चार्ज लगता है। जिससे आपको सभी को सभी प्रकार की सुविधा उपलब्ध रहती है। जैसे – गाडी पार्क व भोजन की सुविधा।
गुवाहाटी रेल्वे स्टेशन के नजदीक ATDC ( Assam tourism development corporation) का Prashanti Tourist Lodge है। उसमे रूम ऑनलाइन भी बुक कर सकते है।
कामाख्या मंदिर दर्शन समय 2023
Kamakhya Devi Temple Darshan Timings – पूरी आस्था एवं विधि विधान से माता कामाख्या की अराधना व पूजा प्रात: 05:30 प्रारंभ होती है। इस समय मंदिर सेवकों द्वारा माताजी को स्नान कराया जाता है और उसके पश्चात प्रात 06:00 बजे नियमित आरती पूजा होती है। फिर पुन: प्रात: 8:00 बजे माता के मंदिर के दरवाजे भक्तो के दर्शन के लिऐ खोल दिये जाते है उसके पश्चात दोपहर 01:00 मंदिर के कपाट बंद कर दिये जाते है और माताजी को भोगप्रासादी लगाकर समस्त भोगप्रसाद भक्तों में बांट दिया जाता है। लगभग पुन: दोपहर 2:30 बजे तक मंदिर का कपाट दुबारा से भक्तों के लिए खोला दिये जाते है और शाम 7:00 बजे माता जी की आरती के पश्चात मंदिर के कपाट बंद कर दिये जाते है, तब माताजी विश्राम करने लगती है।
कामाख्या मंदिर कब बंद रहता है?
Kamakhya Temple Closing Days – कामाख्या मंदिर में हर साल आषाढ़ महीने में यानी लगभग 22 जून से 26 जून तक अंबुबाची उत्सव या मेला मनाया जाता है। इन दिनों में देवी मां रजस्वला होती हैं, इस कारण अंबुबाची उत्सव के दौरान कामाख्या मंदिर का कपाट बंद कर दिया जाता है।
कामाख्या मंदिर जाने का रास्ता
माता कामाख्या मंदिर गुवाहाटी से 7 किमी की दूरी पर नीलाचल पहाड़ी पर स्थित है। मंदिर जाने के लिए कर बस आटो टैक्सी आसानी से मिल जाती है। कामाख्या देवी रेलवे स्टेशन जाने के लिए गुवाहाटी रेलवे स्टेशन से ट्रेन भी जाती है।
कामाख्या देवी दर्शन कैसे करें?
Kamakhya Devi Darshan – सबसे पहले हम माता कामाख्या मंदिर गेट पर पहुचते है। यहाँ से माता कामाख्या मंदिर 3 किमी दूर है मंदिर के पास जूता स्टैंड, मोबाइल स्टैंड आदि बने है। यहाँ से कुछ सीढियां चढ़ने पर मंदिर के प्रवेश द्वार पर पहुच जाते है। मंदिर का परिसर बहुत बड़ा है, जिसे हम बाद में घूमेंगे। मंदिर में दर्शन करने के दो तरीके है एक साधारण लाइन और दूसरा VIP पास। साधारण लाइन से 2-3 घंटे का समय लगता है, VIP पास 501 रूपये का आता है, जिसमे आधा घंटे में दर्शन हो जाता है। सबसे पहले हम मंदिर के शिखर का दर्शन करेंगे फिर हम लाइन में लग जाते है और जय माँ कामाख्या देवी का जाप करते हुए आगे बढ़ते जायेंगे। मंदिर के अंदर माता की कोई प्रतिमा नहीं है, यह माता का सर्वोच्च शक्तिपीठ है। यहाँ माता का योनी अंग गिरा था, इसलिए यहाँ उनके योनी अंग की पूजा की जाती है। यहाँ से दर्शन करके बाहर आ जाइये।
माता मंदिर के परिसर में दीप प्रज्वलित करने के स्थान है, जहाँ आप दीप दान कर सकते है। मदिर के परिसर में शीतला माता का मंदिर भी है, वहाँ आप दर्शन कर सकते है। मंदी के परिसर में मंदिर का संगहालय है, जहाँ आप कई कई पुरानी वस्तुओं को देख सकते है। यदि मंदिर के परिसर में सौभाग्य कुण्ड भी है, जहाँ कई लोग दर्शन करने से पहले स्नान भी करते है, आप वहाँ का जल आपने ऊपर छिड़क सकते है। मंदिर के परिसर में VIP गेट के पास घंटियाँ बंधने का स्थान है, जहाँ लोग अपनी मनोकामना पूर्ति के लिए घंटी बाँधते है। मंदिर के आखरी सिरे पर कमजोर दिल वाले लोग न जाएँ, यहाँ बकरे की बलि दी जाती है। हम इस बलि प्रथा का समर्थन नहीं करते है
माता कामाख्या मंदिर में भोजन प्रसादी
Maa Kamakhya Temple Prasad – माता मंदिर से लगभग 2०० मीटर दूर कामाख्या देवालय अन्न प्रसाद बना हुआ है। जहाँ पर माता को भोग लगाया हुआ अन्न प्रसाद मिलता है। यह निशुल्क है, यहाँ भोजन प्रसाद वितरण का समय दोपहर के 12 बजे से 3 बजे तक है।
मंदिर के बाहर कई होटल और रेस्टोरेंट बने है जहाँ आप 50-100 रूपये प्रति थाली में अच्छा भोजन कर सकते है
कामाख्या में घूमने के स्थान एवं गुवाहाटी के पर्यटन स्थल में घूमने की जानकारी
गुवाहाटी पर्यटकों के लिए बहुत लोकप्रिय स्थान हैं और यहाँ घूमने में पर्याटकों व तीर्थयात्रीयों को आनंद आता है। आईये जानते कुछ गुवाहाटी टूरिस्ट प्लेस के बारे में–
उमानंद मंदिर दर्शनीय क्षेत्र, गुवाहाटी, असम
Umananda Temple Guwahati – गुवाहाटी का प्रसिद्द मंदिर मानसरोवर से बहने वाली ब्रह्मपुत्र नदी के किनारे स्थित उमानंद का मंदिर है, जो एक-छोटी पहाड़ी पर स्थित है। जिसे भस्मकुटा व भस्मकला कहते हैं। यह मंदिर देवो के देव महादेव जी को समर्पित है, इसलिये इस मंदिर का नाम उमानंद पड़ा हैं। उमानंद नाम 2 शब्दों से मिलकर बना है जैसे उमा+आनंद। उमा शब्द भगवन महादेव की पत्नि के नाम पर हैं जिनको उमापावर्ती के नाम से जानते है।
चिड़िया पार्क, गुवाहाटी, असम
Guwahati Zoo – गुवाहाटी के दर्शनीय स्थल कहलाने वाला चिडिया पार्क गुवाहाटी सिटी में स्थित है। असम राज्य का चिड़िया पार्क वनस्पति उद्यान बहुत ज्यादा प्रचलित है क्योकि यह पार्क लगभग चारसो तीस एकड में फैला हुआ है। जिसे घूमने के लिये पर्यटक उत्साहित रहते है एवं इस चिडिया पार्क का आनंद उठाते है।
गुवाहाटी सिटी का संग्रहाल, गुवाहाटी, असम
Assam State Museum Guwahati – गुवाहाटी में घूमने वाली जगह गुवाहाटी सिटी का संग्रहालय पर्यटकों को बहुत अधिक लुभाता है क्योंकि यहॉ प्राचीन संस्क़ृति व चित्रकला व वास्तुकलाओं का अनुभव करने को मिलता है। यह संग्रहालय गुवाहाटी सिटी के बीचों बीच स्थित है। यह संग्रहालय पर्यटकों को अनुभव कराता है कि आपस में कैसे मिल- जुलकर रहना चाहिये।
इस्कॉन मंदिर, गुवाहाटी, असम
ISKCON Temple, Guwahati, Assam – गुवाहाटी सिटी का इस्कॉन मंदिर का पूरा नाम इस्कॉन अंर्तराष्ट्रीय सोसाइटी फॉर दा श्री कृष्णा है। यह मंदिर गौर चैतनया महाप्रभु को समर्पित है। इस मंदिर में प्रभु श्री कृष्णा का महामंत्र का जाप होता है। जिससे सभी भक्त अपने जीवन में शान्ति प्राप्त करते है और अपने पापों का नाश कर देते है। यहां भागवत गीता अर्थात् यर्थात गीता का पाठ सिखाते है और सच्चाई के मार्ग पर चलने की शिक्षा देते है। यहां लाखो विदेशी व भारतवासी महामंत्र का जाप करते है । यह मंत्र को सोडस मंत्र कहते है जिसमें श्री कृष्णा एवं श्रीराम जी का नाम का उच्चारण 108 बार करते है जैसे की हरे कृष्णा हरे कृष्णा, कृष्णा कृष्णा हरे हरे । हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे का जाप मृदंग को बजा कर करते है। इसके संस्थापक श्री प्रभुपाद जी है जो जगननाथ पुरी से संबंधित है।
काजीरंगा नेशनल पार्क, गुवाहाटी, असम
Kaziranga National Park, Guwahati, Assam – गुवाहाटी में देखने लायक जगह काजीरंगा नेशनल पार्क एक सींग वाले गेंडा हाथीयों के लिये प्रसिद्ध है। यहाँ इन पशुओं की आवादी लगभग एक तिहाई है। कांजीरंगा नेशनल पार्क को विश्व विरासत की धरोहर के रूप में जाना जाता हैं। जिसे दुनिया में लोग किताबों में तो पडते ही है और साथ ही साथ परीक्षा में जनरल नालेज का प्रश्न बना रहता है। इस अभयारण को अंग्रेजी में वाइल्ड लाइफ के नाम से जाना जाता है। यह मुख्य गुवाहाटी शहर से लगभग 25 से 30 किमी की दूरी पर स्थित है। यहां कई प्रकार की विभिन्न पशुओं व वन्यजीव की प्रजाति पायी जाती है।
ऋषि वशिष्ठ जी का आश्रम, गुवाहाटी, असम
Vashistha Ashram Guwahati – ऐसा कोई ही व्यक्ति होगा जिसने ऋषि वशिष्ठ जी का नाम न सुना हो। माना जाता है कि ऋषि वशिष्ठ जी ने अपने अंतिम क्षण अर्थात मृत्यु के उपरांत अपना आश्रम यही बनाया हुआ था। जिन्होंने प्रभु श्रीराम को अपना शिष्य स्वीकार किया था। इसकी जानकारी वाल्मिकी रामायण में मिलती है इसलिए यह आश्रम पर्यटक व तीर्थयात्रीयों के लिये अति लोकप्रिय हो जाती है। यह सिटी गुवाहाटी की बहुत विशेष जगह मानी जाती है।
माता भुवनेस्वरी का मंदिर, गुवाहाटी, असम
Temple Of Mata Bhuvaneshwari Guwahati – गुवाहाटी के दर्शनीय स्थलों में शामिल माता भुवनेस्वरी मंदिर गुवाहटी रेलवे स्टेशन से लगभग ऑठ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह मंदिर गुवाहटी की नीलाचल पहाड़ियों के कारण बहुत प्रचलित है। यह मात कामाख्या मंदिर से थोड़ी अधिक उचाई पर स्थित हैं।
पांडु नगरी, गुवाहाटी, असम
Pandunath Temple, Pandu, Guwahati – सिटी गुवाहाटी में पांडु नगरी की जानकारी महाभारत ग्रंथ से मिली है। यह पाण्डवो के पिताजी के महाराज पांडु के नाम से जानी जाती है। यह स्थल हिल्स टीला के नाम से प्रसिद्ध है। पांच पांडवो ने यहां गणेश जी आराधना की थी माना जाता हैं कि अज्ञात वास के समय पांचों पण्डव ने यहा छुपने की शरण ली थी।
हाजो, गुवाहाटी, असम
Hajo, Guwahati, Assam – गुवाहाटी का दर्शनीय स्थल हाजो एक प्राचीन तीर्थ क्षेत्र है। यह स्थान सभी धर्मो के गुरूओं अर्थात शिष्य व अनुयाईयों के लिए लोकप्रीये स्थान के हैं। यह स्थान भगवान श्री हरि विष्णु, महादेव भगवान गौतम बुद्ध, के अलावा प्रमुख मुस्लिम सुफी संतो के लिये जाना जाता है। यह सिटी गुवाहटी से लगभग 25 से 26 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैं।
गुवाहाटी सिटी में खरीदी व घूमने प्रसिद्ध दुकाने व मॉल
Guwahati Famous Things For Shopping – आईये जानते है कि पर्यटकों व तीर्थयात्रीयों कहा शॉपींग करना चाहिये।
माटी केंद्र – माटी सेंटर अनिवार्य रूप से एक बाज़ार है जहां क्षेत्रीय कला और संस्कृति की पहुंच फैलाने के लिए क्षेत्र के स्वतंत्र और युवा कारीगरों के उत्पादों को बढ़ावा दिया जाता है। हलचल भरे शहर गुवाहाटी के अपेक्षाकृत शांत कोने में स्थित, माटी केंद्र उत्तर पूर्व भारत की अपनी यात्रा के दौरान हर जगह से स्थानीय लोगों और यात्रियों का सबसे पसंदीदा अड्डा रहा है। खरीदने के लिए चीजें: हथकरघा उत्पाद, जूट संग्रह, सुगंध, और जैविक सुगंध उत्पाद, चमकता हुआ मिट्टी के बर्तनों के शिल्प, कागज से बने झुमके, उत्तम हस्तनिर्मित पेंटिंग और बहुत कुछ। समय: हर दिन सुबह 11:00 बजे से शाम 08:00 बजे तक। स्थान: 10, लैम्ब रोड, दिघोली पुखुरी पूर्व, उज़ान बाज़ार, गुवाहाटी, असम 781001
प्रागज्योति असम एम्पोरियम – प्रागज्योति असम एम्पोरियम गुवाहाटी में एक हस्तशिल्प बाजार है जो असम सरकार द्वारा चलाया और बनाए रखा जाता है। शोरूम असम के ग्रामीण जिलों की संस्कृतियों से प्रभावित कुछ सबसे खूबसूरत क्षेत्रीय कला और शिल्प का घर है। खरीदने के लिए चीजें: जनजातीय कलाकृति, शिल्प, हस्तनिर्मित शिल्प, बांस की वस्तुएं और हथकरघा शिल्प। समय: रविवार को छोड़कर हर रोज सुबह 10:00 बजे से शाम 07:00 बजे तक। स्थान: जीएनबी रोड, अंबारी, गुवाहाटी, असम 78100
सिल्कलय – सिल्कले गुवाहाटी में खरीदारी के लिए सबसे बड़ा और सबसे लोकप्रिय अड्डा है। जैसा कि नाम से पता चलता है, सिल्कालय लगभग बेजोड़ गुणवत्ता की रेशम साड़ियों में माहिर है। इन साड़ियों में असम की परंपरा और संस्कृति का सूक्ष्म प्रतिबिंब है। एक अन्य विशिष्ट उत्पाद एक स्थानीय पोशाक है जिसे ‘मेखला चादर’ के नाम से जाना जाता है, जो स्थानीय लोगों के साथ-साथ यात्रियों द्वारा असम में सबसे प्रतिष्ठित उत्पादों में से एक है। सिल्कले भारत के सिल्क मार्क संगठन का एक पंजीकृत सदस्य है, और प्रमाणित, शुद्ध रेशम से बुने हुए शिल्प उत्पाद हैं। खरीदने के लिए चीजें: सिल्क साड़ी समय: रविवार को छोड़कर हर रोज सुबह 10:30 बजे से शाम 08:30 बजे तक। स्थान: कमला टॉवर, जीएस रोड, गणेशगुरी, गुवाहाटी, असम 781005
पान बाजार – फैंसी बाजार और पलटन बाजार के करीब स्थित, पान बाजार गुवाहाटी में खरीदारी के लिए प्रसिद्ध एक और स्थान है। आप विभिन्न किताबों की दुकानों और उपन्यास, अकादमिक किताबें, और प्रसिद्ध स्थानीय साहित्य बेचने वाले सड़क विक्रेताओं के ले सकते हैं। ऐसी कई दुकानें हैं जो स्थानीय असमिया पोशाक बेचती हैं जिन्हें मेख के नाम से जाना जाता है।
Best Mall in Guwahati
सोहम एम्पोरिया शॉपिंग मॉल, राजीव भवन के पास जीएस रोड एबीसी स्वागोटा स्क्वायरबंद मंगलवार सुबह 9:30 बजे खुलता है व रात 10:00 बंद हो जाता है।
हब मॉल शॉपिंग मॉल जीएस रोड बंद मंगलवार सुबह 10 बजे खुलता है।
सिनेमा वाला किफ़ायती शॉपिंग कॉम्प्लेक्स अनिल प्लाजा शॉपिंग मॉल जीएस रोड बंद मंगलवार सुबह 10 बजे खुलता है व लगभग रात 10:00 बंद हो जाता है।
डाइनिंग और नाइटलाइफ़ वाला शॉपिंग मॉल – गुवाहाटी सेंट्रल शॉपिंग मॉल प्लॉट 191, आरजी बरुआ रोड, श्रद्धांजलि पार्क के पास।
रुद्राक्ष मॉल – शॉपिंग मॉलमेघा प्लाजा, जीएस रोड बंद मंगलवार सुबह 10:30 बजे खुलता है ।
शहर का केंद्र- शॉपिंग मॉल जीएस रोड बंद मंगलवार सुबह 11:00 बजे खुलता है ।
डीएमएफजेन शॉपिंग मॉल- गुवाहाटी रेलवे स्टेशन प्लेटफार्म ओवरब्रिज बंद मंगलवार सुबह 9 बजे खुलता है।
टाइम्स स्क्वायर मॉल – शॉपिंग मॉल लेन नंबर 1 बंद मंगलवार सुबह 11:00 बजे खुलता है।
सिटी सेंटर मॉल- कपड़ों की दुकान मार्क्स एंड स्पेंसर रिलायंस इंडिया प्राइवेट लिमिटेड सिटी सेंटर मॉल, ग्राउंड फ्लोर कैफे 2, जीएस रोड बंद मंगलवार सुबह 10 बजे खुलता है।
डोना प्लैनेट मल्टीप्लेक्स और मॉल – आउटलेट मॉललेन संख्या 2 द्वारा बंद मंगलवार सुबह 10 बजे खुलता है।
ग्रेस लिमिटेड शॉपिंग मॉल – शॉपिंग मॉल गुवाहाटी रिफाइनरी रोड बंद मंगलवार सुबह 9 बजे खुलता है। मुक्तादिर आर्केड, अदाबारी, गुवाहाटी। शॉपिंग मॉल2, असम ट्रंक रोडबंद मंगलवार सुबह 9 बजे खुलता है।
व्ही टू मॉल – शॉपिंग मॉल आरजी बरुआ रोड बंद मंगलवार सुबह 9 बजे खुलता है टेरेस- वोल्फू स्टोमच हर्ट्स मॉल, गुवाहाटी।
आउटलेट मॉल – गुवाहाटी रेलवे स्टेशन प्लेटफार्म ओवरब्रिज आईआईटी गुवाहाटी शॉपिंग कॉम्प्लेक्स- शॉपिंग मॉल बंद मंगलबार सुबह 10 बजे खुलता है।
शॉपर्स पॉइंट शॉपिंग मॉल- हेम बरुआ रोड बंद मंगलबार सुबह 10 बजे खुलता है।
एफबीबी मॉल – गुवाहाटी चिड़िया घर रोड- शॉपिंग मॉल आरजी बरुआ रोड, नेक्सा शोरूम ।