नोएल टाटा को रतन टाटा के उत्तराधिकारी के रूप में चुना गया है, जो टाटा ट्रस्ट्स के नए अध्यक्ष बने हैं। यह नियुक्ति रतन टाटा के निधन के बाद हुई है, जिसने टाटा ग्रुप के भविष्य की दिशा को प्रभावित किया है। इस लेख में हम इस महत्वपूर्ण बैठक और नोएल टाटा की भूमिका पर चर्चा करेंगे।
नोएल टाटा का चयन
बैठक का महत्व
टाटा ट्रस्ट्स की बोर्ड बैठक मुंबई में आयोजित की गई थी, जिसमें नोएल टाटा को सर्वसम्मति से अध्यक्ष चुना गया। यह निर्णय रतन टाटा की लंबी और प्रभावशाली अध्यक्षता के बाद आया है, जो पिछले तीन दशकों से इस पद पर थे। रतन ने अपने उत्तराधिकारी का नाम नहीं रखा था, जिससे यह नियुक्ति और भी महत्वपूर्ण हो गई है.
नोएल टाटा का परिचय
नोएल टाटा, जो रतन टाटा के आधे भाई हैं, पहले से ही टाटा ट्रस्ट्स के ट्रस्टी थे। वह 67 वर्ष के हैं और उनके पास टाटा ग्रुप में कई महत्वपूर्ण पद हैं, जैसे कि टाटा स्टील और टाइटन कंपनी में उपाध्यक्ष। उनकी मां, सिमोन टाटा, एक फ्रेंच-स्विस नागरिक हैं और रतन टाटा की सौतेली मां हैं.
नेतृत्व की परंपरा
टाटा ट्रस्ट्स की अध्यक्षता हमेशा पारसी समुदाय के सदस्यों द्वारा की जाती रही है। यह परंपरा इस बात को सुनिश्चित करती है कि ट्रस्ट्स का नेतृत्व उन लोगों द्वारा किया जाए जो समूह की सांस्कृतिक जड़ों से जुड़े हों। नोएल का चयन इस परंपरा को बनाए रखता है और यह सुनिश्चित करता है कि एक परिवार का सदस्य ट्रस्ट्स का नेतृत्व करे.
नोएल की योजनाएँ
नोएल ने कहा कि उनका उद्देश्य रतन टाटा और टाटा ग्रुप के संस्थापकों की विरासत को आगे बढ़ाना है। उन्होंने अपने नए पद को लेकर कहा कि वह “गर्वित और विनम्र” महसूस कर रहे हैं[2]. उनका लक्ष्य सामाजिक परियोजनाओं को आगे बढ़ाना और समूह के विकास में योगदान देना होगा।
टाटा ग्रुप का प्रभाव
टाटा ट्रस्ट्स, जो कि भारत के सबसे बड़े सार्वजनिक चैरिटेबल फाउंडेशन में से एक है, टाटा संस में 66% हिस्सेदारी रखता है। यह समूह विभिन्न सामाजिक पहलों का संचालन करता है, जैसे कि स्वास्थ्य देखभाल, शिक्षा और ग्रामीण विकास। रतन टाटा ने अपनी अध्यक्षता में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए थे, जिनमें से एक था सायरस मिस्त्री को हटाना.
नोएल टाटा का चयन न केवल उनके लिए बल्कि पूरे टाटा ग्रुप के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ है। उनकी नियुक्ति से यह स्पष्ट होता है कि समूह की पारिवारिक विरासत को बनाए रखने की दिशा में कदम उठाए गए हैं। अब देखना होगा कि वह किस प्रकार से रतन टाटा की विरासत को आगे बढ़ाते हैं और समूह को नई ऊंचाइयों पर ले जाते हैं।