Madurai Tourist Places In Hindi
तमिलनाडु का दूसरा सबसे बड़ा शहर मदुरई वैगई नदी के किनारे स्थित है। मदुरई तमिलनाडु का व्यावसायिक, सांस्कृतिक और आवागमन का केंद्र है। मदुरई अति प्राचीन शहर है और यहाँ का मीनाक्षी अम्मन मंदिर भारत के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। अति प्राचीन मीनाक्षी मंदिर को इस शहर को विश्व के नये 7 आश्चर्य के लिए नामित किया गया है। महात्मा गाँधी ने इसी शहर से पैन्ट पहनना छोड़ कर धोती पहनने की शुरुवात की थी। मदुरई शहर के कमल के आकर में दिखने के कारण इसे लोटस सिटी भी कहा जाता है। अगर आप रामेश्वरम और कन्याकुमारी घूमने जा रहे है। तो मदुरई को अवश्य शामिल करें क्योकि ये दोनों शहर मदुरई से अत्यंत निकट है।
मदुरई कैसे पहुँचे?
मदुरई में एयरपोर्ट, ट्रेन और बस तीनो सुविधाएँ उपलब्ध है।
वायुमार्ग से मदुरई कैसे पहुँचे?
मदुरै एयरपोर्ट के जाने के लिए आपको भारत के सभी मुख्य शहरों से फ्लाइट मिल जाएगी। अगर आपके शहर से मदुरै के लिए डायरेक्ट फ्लाइट नहीं है तो पहले चेन्नई एयरपोर्ट आ जाइये। वहाँ से आप बस, टैक्सी या ट्रेन के माध्यम से मदुरई पहुँच सकते है।
ट्रेन के ज़रिए
मदुराई जाने के लिए ट्रेन का सफर सबसे उपयुक्त है। मदुरई के लिए 100 से ज्यादा ट्रेन चलती है। आपके शहर या निकटवर्ती रेलवे जंक्शन से आसानी से मदुरई के लिए डायरेक्ट ट्रेन मिल जाएगी। आप यहां से ऑटो या टैक्सी के माध्यम से मात्र 10 मिनट में मीनाक्षी मंदिर जा सकते हैं।
बस के ज़रिए
मदुरई भारत के सभी सड़क मार्गों से अच्छी तरह से जुड़ा है। आप अपने स्टेट बस टर्मिनल से गवर्नमेंट या प्राइवेट बस से मदुरई आ सकते हैं। अगर मदुरई के लिए डायरेक्ट बस नहीं है तो आप अपने शहर से कोयांबेडू (Koyambedu) स्थित चेन्नई सीएमबीटी बस स्टैंड तक आ जाइये। वहाँ से आपको मदुरई के लिए डायरेक्ट बस मिलेगी । मदुरई पहुंचकर आप मट्टुथवानी (Mattuthavani) बस स्टैंड उतर जाएं। यहां से ऑटो या टैक्सी लेकर आप मात्र 20 मिनट में मीनाक्षी मंदिर पहुँच सकते हैं।
मदुरई जाने का उचित समय
मदुरई में मार्च से जून तक अत्यधिक गर्मी पड़ती है। वहाँ का तापमान 28 डिग्री सेल्सियस से 42 डिग्री सेल्सियस के बीच रहता है। बारिश के मौसम में आप घूमने का आनंद नहीं के पाएंगे। इसलिए बारिश का मौसम जाने बाद सितम्बर से फरवरी के मध्य जाना ही सही होगा।
मदुरई में कहाँ ठहरें ?
मदुरई में कई सारी प्रायवेट होटल, धर्मशालाएं उपलब्ध है। मिनाक्षी मंदिर से पास कुछ अच्छी धर्मशालाएं उपलब्ध है। जहाँ ठहरने से मंदिर आने जाने में आसानी होती है। आप होटल के AC और NON AC रूम ऑनलाइन वेबसाइट से बुक कर सकते है। मदुरई में रूम एडवांस में बुक करना उचित होगा क्योकि ठण्ड के मौसम में यहाँ बहुत भीड़ होती है।
Dharamshala In Madurai
मदुरै मीनाक्षी में धर्मशालाओं की जानकारी, अच्छी सुविधा कम किराये में
मदुरई शहर का भव्य इतिहास
मदुरई शहर का शानदार इतिहास है। मदुरई शहर का निर्माण कमल के रूप में किया गया है। समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और स्थापत्य वैभव के कारण, मदुरई को अक्सर ‘पूर्व का एथेंस’ कहा जाता है। 10वीं शताब्दी से पहले मदुरई पर पंड्या राजाओं का अधिकार था, फिर चोल राजाओं ने 13 शताब्दी के अंत तक राज्य किया। 1311 में दिल्ली के शासक अलाउद्दीन खिलजी के सेनापति मलिक काफूर ने कीमती पत्थरों, रत्नों और अन्य दुर्लभ खजानों के लिए मदुरई में बहुत लूटपाट की। 1323 में पंड्या साम्राज्य के अंत के बाद मदुरई दिल्ली साम्राज्य के अधीन आ गया। 1371 में मदुरई विजयनगर साम्राज्य के राजा कृष्णदेव राय के शासन में आया। 1623 से 1659 के मध्य थिरुमलाई नायक मदुरई सबसे लोकप्रिय राजा थे। उन्होंने मदुरई शहर और उसके आसपास मीनाक्षी अम्मन मंदिर का राजा गोपुरम, पुडु मंडपम और थिरुमलाई नायक का महल जैसे कई अद्भुद निर्माण किये। जिसके कारण उन्हें आज भी मदुरै के लोगों द्वारा याद किया जाता है।
मदुरई की पौराणिक कथा
मदुरई में भगवान शिव को सुंदरेश्वर और माता पार्वती को मीनाक्षी कहा जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार मदुरई के पाण्ड्य राजा मलयध्वज की संतान विहीन थे। उन्होंने संतान प्राप्ति के लिए भगवान शिव की घोर तपस्या करके उन्हें प्रसन्न किया, तब माता पार्वती ने उनके घर पुत्री के रूप में जन्म लिया। वे अत्यंत सुन्दर थी, उनका नाम मीनाक्षी रखा गया। मीनाक्षी देवी से विवाह करने के लिए भगवान शिव ने सुंदरेश्वर के रूप में जन्म लिया। व्यस्क होने पर मीनाक्षी देवी राज्य का शासन संभाल लिया। भगवान शिव ने उनके सामने विवाह की इच्छा व्यक्त की, जिसे मीनाक्षी देवी ने सहर्ष स्वीकार कर लिया। उनका विवाह अतिसुन्दर, मनोहक और भव्य था। तीनो लोकों के समस्त यक्ष, गन्धर्व, देवी और देवता इस विवाह में सम्मलित होने के लिए एकत्रित हुए। भगवान विष्णु भी बैकुंठ से विवाह का संचालन के लिए आ रहे थे। देवराज इंद्र के कारण उन्हें कुछ समय अधिक लग गया। तब स्थानीय देवता कूडल अझघ्अर के द्वारा विवाह का सञ्चालन करवाया गया। भगवान विष्णु जी ने आने तक विवाह संपन्न हो चुका था। भगवान विष्णु इस घटना से रुष्ट होकर नगर की सीमा से ही लगे पर्वत अलगार कोइल में चले गये। तदोपरांत उन्हें सभी देवताओं ने मनाया, फिर वापस आकर उन्होंने मीनाक्षी-सुन्दरेश्वरर का पाणिग्रहण संस्कार कराया। इस विवाह का सम्पन्न होना एवं भगवान विष्णु को शांत करने की प्रक्रिया, इन दोनों धटनाओं को मदुरई के सबसे बडे़ त्यौहार के रूप में मनाया जाता है।
मीनाक्षी मंदिर की अद्भुत संरचना
मिनाक्षी मंदिर 14 एकड़ में फैला हुआ भव्य और विशाल मंदिर लगभग 3500 वर्षों से भी अधिक प्राचीन है। पुराणों के अनुसार इस मंदिर की स्थापना देवराज इंद्र द्वारा की गयी थी। मंदिर के बाहर से 4 विशाल टावर चारो दिशा में बने है। चारो टावर पर अनेक कलात्मक शिल्प बने है। यह मंदिर हमले से बचने के लिए बनाई ऊँची ऊँची दीवारों से घिरा हुआ है। इस मंदिर में लगभग 40 मीटर उंचे कुल 12 प्रवेश द्वार हैं जिन पर देवी देवताओं की अद्भुद चित्रकारी अंकित की गई हैं। मंदिर में कुल कुल 14 गोपुरम और 985 स्तंभ हैं। मंदिर के आठ खम्बों पर देवी लक्ष्मी जी की भी प्रतिमाएं उकेरी गई हैं। इस परिसर में निर्मित विभिन्न मंदिर हैं। दो मुख्य मंदिर मीनाक्षी माँ और भगवान सुन्दरेश्वर के बने है इसके आलावा भगवान गणेश, मुरुगन देवी, माता लक्ष्मी, रुक्मिणी जी, माँ सरस्वती एवं अन्य देवताओं सुन्दर मंदिर भी हैं। यहां प्रति शुक्रवार को मीनाक्षी देवी तथा सुन्दरेश्वर भगवान की स्वर्ण प्रतिमाओं को झूले में झुलाते हैं।
मीनाक्षी मंदिर दर्शन और पूजन का समय
भक्तों के दर्शन हेतु मंदिर प्रातः काल 5:00 बजे खुलते हैं और दोपहर 12:30 बजे बंद किये जाते हैं। फिर शाम को 4:00 बजे से रात्रि 9:30 तक दर्शन के लिए मंदिर खुले होते हैं। आप स्पेशल दर्शन या सेवा के लिए मीनाक्षी सुन्दरेश्वर मंदिर की वेबसाइट https://www.maduraimeenakshi.org/services.html पर जाकर एडवांस बुकिंग करा सकते है। इससे आपको दर्शन करने में आसानी होगी।
मीनाक्षी मंदिर में सुबह 5:00 बजे से 6:00 बजे तक थिरुवनंदल पूजा की जाती है, उसके बाद 7:15 बजे तक अन्य पूजाएं और विधियां की जाती है। फिर 10:30 से 11:15 तक थ्रिकालसंधि पूजा की जाती है और अंत में रात्रि को 9:30 से 10:00 बजे दैनिक अंतिम पूजा की जाती है।
मीनाक्षी-सुंदरेश्वर मंदिर दर्शन
सबसे पहले अपना मोबाइल और जूते आदि मंदिर के गेट पर जमा कर दीजिये। मंदिर के भीतर ही प्रसाद की दुकाने है। आप यहाँ से प्रसाद ले सकते है। मंदिर के सामान्य दर्शन लाइन में या VIP दर्शन लाइन में लग जाइये। VIP टिकट दो प्रकार के होते है 50 रु. के VIP टिकट में माँ मीनाक्षी देवी मंदिर के VIP दर्शन कर सकते है। 100 रु. में माता मीनाक्षी मंदिर और सुंदरेश्वरम मंदिर के VIP दर्शन कर सकते है। VIP टिकट मंदिर के अन्दर मिल जायेगा। लाइन में लगने के बाद धीरे धीरे आगे बढ़ते जाइये। मंदिर के अन्दर विशाल स्तम्भ, स्तम्भ पर अद्भुद कलाकारी, मंदिर की छत की रंगीन चित्रकारी सौन्दर्य, चारों तरफ की मनमोहक नक्काशी आपके मन में जिन्दगी भर की यादों के रूप में बस जाती है। मंदिर के अंदर एक स्वर्ण कलश दिखाई देगा, इसकी परिक्रमा करने बाद माँ मीनाक्षी का दर्शन किया जाता है। मीनाक्षी माता के गर्भगृह के बहार एक विशाल स्तम्भ बना है, इसे प्रणाम करके गर्भग्रह में प्रवेश करें। अन्दर जाने पर स्वर्ण वस्त्रों और आभूषणों के श्रंगार से सजी मीनाक्षी माता के दर्शन होंगे। माता के स्वरूप को अपने मन में बसा लीजिये। मीनाक्षी माता के आँखे मत्स्य की तरह हमेशा खुली होती है। वे अपने भक्तों पर हमेशा कृपा रखती है, उन पर किसी ही प्रकार का कोई संकट नहीं आने देती। अब हम भगवान सुंदरेश्वर का दर्शन करने के लिए गर्भग्रह के बाहर लाइन में लग जाते है। गर्भग्रह के अन्दर जाने पर आप देखेंगे कि शिवलिंग चारों तरफ दिये जले है। दियों की रौशनी में चमकते शिवलिंग को देखकर ह्रदय को अत्यंत सुख का अनुभव होता है।
मीनाक्षी मंदिर का कला संग्रहालय
मीनाक्षी मंदिर के परिसर में एक बड़ा संग्रहालय बना है। यह संग्रहालय द्रविड़ मूर्ति कला का उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत करता है। आप 10 रु. का टिकट लेकर प्रवेश कर सकतें है, अन्दर एक 1000 स्तम्भ पर एक हाल बना है, जिसमें नटराज की मूर्ति सुशोभित है, हर स्तम्भ पर शिल्प बने है, कई चित्र और कांच के बॉक्स में हजारों वर्ष पुरानी मूर्तियाँ रखी है। इस मंडप से बाहर आने पर पच्छिम की तरफ संगीत के स्तंभ बने है। स्तंभ में कान लगाकर थाप देने से संगीत सुनाई देता है। संगीत स्तंभ मंडप के पास कल्याण मंडप है। यहाँ शिव और पार्वती के विवाह का चित्राई महोत्सव हर वर्ष अप्रैल के मध्य चैत्र मास के महीने में मनाया जाता है।
थिरुमलाई नायक पैलेस
थिरुमलाई नायक पैलेस 1636 में मदुरै शहर के राजा थिरुमलाई नायक द्वारा बनवाया गया था। द्रविड़ियन और राजपूत शैलियों में बनाया गया थिरुमलाई नायक पैलेस, राजा थिरुमलाई नायक का निवास स्थान था। आज महल जितना बड़ा दिखता है, उस समय उससे लगभग चार गुना बड़ा था। इस महल में कुल 248 विशाल स्तंभ हैं। मुख्य महल को दो भागों में विभाजित किया गया है, जिनका नाम स्वर्गविलासा और रंगविलासा है। इन दो भागों में शाही निवास, शाही बैंडस्टैंड, अपार्टमेंट, शस्त्रागार, थिएटर, धर्मस्थल, तालाब और बगीचे हैं। आप थिरुमलाई नायक महल में एक शानदार लाईट और साउंड शो का आनंद ले सकते हैं। यह मदुरई में नायक राजवंश द्वारा बनाया गया सबसे भव्य स्मारक माना जाता है।
प्रवेश का समय – सुबह 9 से 5 बजे
एंट्री टिकट – रू.10/-
मोबाइल या कैमरा के लिए – रू.30/-
साउंड और लाइट शो का समय – इंग्लिश में शाम 6.30 बजे, तमिल में शाम 8 बजे
साउंड और लाइट शो एंट्री टिकट – रु.50/-
मदुरई का प्राचीन कूडल अल्ज़गर मंदिर
कूडल अल्ज़गर मंदिर दक्षिण भारत के मीनाक्षी मंदिर जितना ही प्राचीन और प्रसिद्ध मंदिर है। यह वैष्णव मंदिर शहर के बीच में मुख्य बस स्टैंड के पास स्थित है। यह मंदिर 5 मंजिल ऊँचा है। इस मंदिर के अन्दर भगवान विष्णु जी की तीन प्रतिमाएं है पहली भगवान विष्णु की बैठी हुई, दूसरी खड़ी और तीसरी लेटी हुई मुद्रा में हैं। मंदिर के अंदर भगवान राम के राज्याभिषेक समारोह का द्रश्य लकड़ी की सुन्दर नक्काशी के द्वारा दर्शाया गया है। इस मंदिर में नौ ग्रह देवताओं की मूर्तियाँ भी स्थापित हैं आप मदुरई की यात्रा करते समय इस मंदिर में अवश्य दर्शन करें।
गाँधी संग्रहालय
मीनाक्षी मंदिर से चार कि.मी. दूरी पर स्थित गांधी संग्रहालय का उद्घाटन 1959 में किया गया था। नायक राजवंश की रानी मंगलम ने 1670 में 13 एकड़ ज़मीन पर ऐतिहासिक तमुकम महल बनवाया था। इसी महल को गाँधी स्मारक के रूप में परिवर्तित कर दिया गया। जब महात्मा गांधीजी को गोली लगी थी, उस समय उन्होंने जो धोती पहनी थी, वह खून से सनी धोती इस संग्रहालय का मुख्य आकर्षण है। आप इस संग्रहालय में गांधीजी के कपड़े, घड़ी, बर्तन, उपयोग की वस्तुएं, उनके द्वारा लिखे गए कई पत्रों की तस्वीरें, पेंटिंग, मूर्तियां, पांडुलिपियां और फोटोस्टेट प्रतियां देख सकते हैं। यहाँ के खुले थियेटर में सांस्कृतिक कार्यक्रम, फिल्मों की स्क्रीनिंग और गांधी जी पर सभाएं आयोजित की जाती हैं।
प्रवेश का समय :- सुबह 10 से 1 बजे, दोपहर 2 से शाम 5.45 बजे तक
अवकाश का दिन :- गुरुवार
एंट्री फी :- फ्री (मोबाइल / कैमेरा के लिए रू.50/-)
अलागर कोविल मंदिर (अजगर कोइल)
मदुरई से 21 किमी की दूरी पर अलागर पहाड़ियों की तलहटी में स्थित अजगर भगवान का अलागर कोविल मंदिर मदुरई के प्रमुख स्थलों में से एक है। पौराणिक कथा के अनुसार भगवान सुंदरेश्वर और देवी मीनाक्षी का दिव्य विवाह भगवान विष्णु के आगमन से पहले हो गया था। जिससे भगवान विष्णु रुष्ट होकर यहाँ भगवान अजगर के रूप में बस गये थे। यह मंदिर के आसपास की प्राकृतिक सुन्दरता और अद्भुद वास्तुकला का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। यहाँ जाने के लिए सबसे उचित समय चिथिरई महोत्सव है, जब भगवान अलागर देवी मीनाक्षी और भगवान सुंदरेश्वर की शादी के लिए मदुरई जाते हैं। अलागर कोविल से मदुरई तक भव्य जुलूस का आयोजन किया जाता है।
प्रवेश का समय :- सुबह 6 बजे से 12.30 बजे, दोपहर 3.30 से शाम 8 तक