Kashi Vishwanath Jyotirlinga In Hindi – विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग नवम ज्योतिर्लिंग है, जो उत्तरप्रदेश के वाराणसी जनपद के काशी नगर में स्थित है। कहते है तीनों लोकों में न्यारी नगरी काशी है, जो भगवान शिव के त्रिशूल पर विराजती है। विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग दो भागों में विभाजित है। ज्योतिर्लिंग के दायें भाग में माँ पार्वती और बाएं भाग में भगवान भोलेनाथ सुन्दर रूप में विराजमान है। गंगा नदी के किनारे बसे काशी को मुक्ति का धाम कहा गया है।
काशी विश्वनाथ मंदिर का इतिहास

विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग गंगा नदी के पश्चिमी तट पर स्थित है। विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग को काशी विश्वनाथ भी कहकर संबोधित किया जाता है। ये एक ऐसा ज्योतिर्लिंग है जहॉं माता पार्वती जी का भी वास है। क्योंकि कहा जाता है कि यहॉंं भगवान शिव जी माता पार्वती जी के साथ निवास करते थे। काशी ज्योतिर्लिंग के मंदिर को कई मुगल शासकों द्वारा तुड़वा दिया था और फिर हिन्दू राजाओं द्वारा इसका पुननिर्माण कराया गया। औरंगजेब ने सन 1669 में एक फरमान जारी कर काशी विश्वनाथ मंदिर को ध्वस्त करके मस्जिद का निर्माण कराने का आदेश दिया था। औरंगजेब ने मंदिर का अधिकांश हिस्सा तुड़वाकर एक ज्ञानवापी मस्जिद बनवाई थी। इसके बाद महारानी अहिल्याबाई होल्कर ने इस मंदिर का निर्माण सन 1780 में कराया था। बाद में महाराजा रणजीत सिंह ने 1000 किलोग्राम सोना इस मंदिर को दान कर दिया था।
विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग मंदिर जाने का अच्छा समय

वैसे तो विश्वनाथ ज्याेतिर्लिंग के दर्शन के लिए आप साल के किसी भी महीने में जा सकते हैं। परन्तु आप अगर काशी विश्वनाथ मंदिर के साथ वाराणसी के दूसरे पर्यटन स्थल भी घूमना चाहते हैं तो नवंबर से फरवरी के बीच का समय वाराणसी जाने का सबसे अच्छा समय होता है। बारिश के मौसम के समय में गंगा का जलस्तर बढ़ने के कारण घाट और सीढ़ियां डूब जाती हैं जिससे आप वहां का मनमोहक दृश्य नहीं देख सकेंगे। जबकि वाराणसी में मार्च से लेकर सितंबर माह तक गर्मी और उमस भी खूब होती है।इस वजह से काशी विश्वनाथ मंदिर दर्शन के लिए जाने का सही समय नवंबर से फरवरी तक है।
काशी विश्वनाथ मंदिर जाने का रास्ता

हवाई मार्ग द्वारा
विश्वनाथ मंदिर से लगभग 27 किलोमीटर दूर बाबतपुर में स्थित लाल बहादुर शास्त्री हवाई अड्डा वाराणसी का मुख्य एयरपोर्ट है। दिल्ली और मुंबई जैसे मेट्रो शहरों से यह एयरपोर्ट जुड़ा हुआ है। वाराणसी हवाई अड्डा पर आने के बाद आप एयरपोर्ट के बाहर से आप ऑटो रिक्शा, टैक्सी या कैब से विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग मंदिर जा सकते हैं।
रेल मार्ग द्वारा
वाराणसी में कई रेलवे स्टेशन हैं। वाराणसी सिटी स्टेशन से मंदिर मात्र 2 किलोमीटर की दूरी पर है, हालांकि वाराणसी जंक्शन 6 किलोमीटर दूरी पर है और मंडुआडीह स्टेशन विश्वनाथ मंदिर से 4 किलोमीटर पर है। वाराणसी के ये सभी स्टेशन भारत के राज्यों के प्रमुख रेलवे स्टेशनों से अच्छी तरह जुड़े हैं, जहां आप वहां चलने वाली ट्रेनों से आसानी से पहुंच सकते हैं। वाराणसी रेलवे स्टेशन पहुँचने के बाद आप टैक्सी या ऑटो रिक्शा से विश्वनाथ मंदिर पहुंच सकते हैं।
सड़क मार्ग द्वारा
भारत के कई राज्यों से सरकारी और निजी परिवहन बसें वाराणसी जाती हैं। वाराणसी बस अड्डे पर पहुंचने के बाद आप टैक्सी, ऑटो रिक्शा या कैब बुक करके श्री काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग मंदिर पहुंच सकते हैं।
काशी विश्वनाथ मंदिर के पास कहां रुकें?

काशी विश्वनाथ मंदिर के पास धर्मशाला – वाराणसी में रुकने के लिए कई जगहें जैसे धर्मशालाएंं, सस्ती होटल है। वाराणसी के किसी भी पर्यटन स्थलों के पास ही आपको रुकने की उत्तम जगह मिल जाएगी। भारत सेवाश्रम संघ, जयपुरिया धर्मशाला वाराणसी, अन्नपूर्णा तेलवाला धर्मशाला, सरदार वल्लभभाई पटेल धर्मशाला, बैद्यनाथ भवन, बरनवाल सेवा सदन वाराणसी आदि कुछ धर्मशालाएं जहां आपको आपके बजट में अच्छे कमरे मिल सकते हैं।
काशी विश्वनाथ का रहस्य
विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग मंदिर गंगा नदी के तट पर स्थित है। ऐसा कहा जाता है कि यहां श्रद्धालु गंगा नदी में स्नान करके ज्योतिर्लिंग के दर्शन करता है तो उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। यहां शिव जी विश्वेश्वर या विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग के रूप में विराजमान है। ऐसा प्रचलित है कि शिवजी यहां मरने वाले के कान में स्वयं तारक-मंत्र कहते हैं, जिससे उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने से भक्तों का जीवन धन्य होता है और उनकी मनोकामना पूरी होती है। मान्यता है कि कोई भक्त बाबा विश्वनाथ ज्योरतिर्लिंग के दर्शन करता है तो उसे बार-बार जन्म के चक्र से मुक्ति मिल जाती है।
विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग मंदिर के बारे में कुछ तथ्य

काशी के ज्योतिर्लिंग को विश्वेश्वर और विश्वनाथ कहा गया है यानि संंपूर्ण विश्व के ईश्वर।
विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग मंदिर के ऊपर सोने का गुंबद लगे होने के कारण इस मंदिर को स्वर्ण मंदिर या सोने का मंदिर भी कहा जाता है। ऐसा कहते है कि सिख महाराजा रणजीत सिंह ने इस मंदिर के लिए सोना दान दिया था।
यहॉं आप ज्योतिर्लिंग के साथ – साथ गंगा माता के दर्शन करते हैं।
विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग चॉंदी के आयताकार वेदी में स्थापित है।
विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग मंदिर में पॉंच बार आरती होती है।
कई प्रमुख संत जैसे आदि गुरु शंकराचार्य, रामकृष्ण परमहंस, स्वामी विवेकानंद, बामाख्यापा, गोस्वामी तुलसीदास, स्वामी दयानंद सरस्वती, सत्य साईं बाबा और गुरुनानक सहित इस स्थल पर आये थे।
काशी विश्वनाथ के दर्शन कैसे करें?

विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग करने ले लिये सुबह 9 बजे से पहले मंदिर पहुचें, यदि आप 9 बजे के बाद मंदिर पहुचते है तो आपको दर्शन करने में बहुत अधिक समय लग जाता है।
मंदिर में दर्शन करने ले लिए दशाश्वमेध घाट के तरफ से आप गंगा द्वार से जाएंगे ताे आपको विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग के मंदिर का शिखर दिखेगा, ये शिखर सोने का बना है। गंगा द्वार से भक्तों की लाइन लगती है। यहाँ कुछ नकली पंडित जल्दी दर्शन करवाने का झांसा देते है। आप उनसे सावधान रहे यदि जल्दी दर्शन करना है तो आप समय बचाने के लिए VIP दर्शन का टिकट ले सकते है काशी विश्वनाथ मंदिर शीघ्र दर्शन (VIP) टिकट मूल्य का मूल्य 300/- है। सुरक्षा व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए मंदिर परिसर में सेलफोन, कैमरा, धातु की वस्तुएं, सिगरेट और लाइटर आदि ले जाने की अनुमति नहीं है।
VIP दर्शन
ऑनलाइन बुकिंग कराने वाले श्रद्धालुओं को आम श्रद्धालु से अलग नीलकंठ द्वार गेट नंबर तीन से प्रवेश दिया जाता है। मंदिर में बनाए गए हेल्प डेस्क् पर तैनात मंदिर प्रशासन के कर्मचारी ऑनलाइन बुकिंग टिकट दिखाने पर क्यूरआर कोड को स्कैनर से चेक करेंगे। चेकिंग के बाद दर्शनार्थी को एक पंडित मंदिर के उत्तरी गेट से गर्भगृह में प्रवेश कराके दर्शन-पूजन कराएगा। दर्शन,पूजा के बाद पश्चिमी गेट से दर्शनार्थी को बाहर निकाला जाएगा। ऑनलाइन VIP दर्शन और आरती पूजा टिकट बुकिंग के लिए वेबसाइट लिंक :- https://www.shrikashivishwanath.org है।
सामान्य दर्शन
सामान्य दर्शन के लिए दर्शन की लाइन में लग जाइये। मन ही नाम जय काशी विश्वनाथ का जाप करते रहे। थोड़ी देर में आप विश्वनाथ मंदिर के गर्भगृह पहुच जायेंगे। आपको दर्शन करने के लिए कुछ ही सेकेण्ड का समय मिलेगा। आप अपनी नजरे बाबा विश्वनाथ पर जमाये रखें, उनकी छबि अपने अंतर्मन में उतार लें और मंदिर से बाहर आ जाइये।
काशी विश्वनाथ मंदिर दर्शन समय

मंगला आरती: – 3.00 से 4.00 बजे।
भोग आरती: – 11.15 से 12.20 बजे।
संध्या आरती: – 7.00 से 8.15 बजे।
शृंगार आरती: – 9.00 से 10.15 बजे।
शयन आरती: – 10.30 से 11.00 बजे।
विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग मंदिर सुबह-सुबह 2 बजकर 30 मिनट पर खुलता है। फिर 3 बजे मंगला आरती होती है। और आरती बाद सुबह 4 बजे से 11 बजे तक मंदिर भक्तों के लिए खोल दिया जाता है। 11:15 से 12:20 बजे के बीच भोगी आरती होती है और मंदिर के गर्भग्रह का दरवाजा बंद कर दिया जाता है। फिर दो बजे के बाद मंदिर फिर से खुलता है। 7 बजे से 8:15 बजे तक सप्त ऋषि या सांध्य आरती होती है, 9बजे से 10:15 बजे तक श्रृंगार आरती होती है और 10:30 बजे से 11 बजे के बीच शयन आरती होती है। फिर रात ग्यारह बजे मंदिर बंद हो जाता है।
विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग मंदिर के आसपास में स्थापित मंंदिर
Kashi Visiting Places In Hindi
माँ अन्नपूर्णा मन्दिर
विश्वनाथ ज्याेतिर्लिंग मंदिर के निकट अन्न की देवी माता अन्नपूर्णा का मंदिर बना है।
संकठा मन्दिर
सिंधिया घाट के निकट देवी संकटा का एक महत्वपूर्ण मंदिर स्थित है। जहां पर शेर की एक विशाल प्रतिमा भी है। इसके साथ ही यहां पर नव ग्रहों के नौ मंदिर भी हैं।
कालभैरव मंदिर
भगवान कालभैरव वाराणसी के कोतवाल के रूप में जाने जाते है। रविवार को इनके दर्शन का विशेष महत्व माना जाता है।
मृत्युंजय महादेव मंदिर
भगवान शिव का यह मंदिर कालभैरव मंदिर के पास ही दारानगर के रास्ते पर स्थित है। इस मंदिर के बारे में कहा जाता है, कि इसका पानी कई रोगों को नष्ट करने के लिए उत्तम है। जो कई भूमिगत धाराओं का मिश्रण है।
तुलसी मानस मंदिर
यह मंदिर 1964 में बनाया गया था। वाराणसी का यह मंदिर भगवान राम का मंदिर है। यह मंदिर उस स्थान पर बना है, जहां तुलसीदास जी रहते थे और जहां उन्होंने रामायण महाकाव्य लिखा था।
संकटमोचन मंदिर
दुर्गा मंदिर के रास्ते पर असी नदी धारा के निकट भगवान हनुमान का प्रसिद्ध मंदिर स्थित है। यह मंदिर गोस्वामी तुलसीदास द्वारा स्थापित किया गया है।
दुर्गा मंदिर
यह मंदिर लाल रंग का है। यहाँ पर माँ दुर्गा कुष्मांडा स्वरूप में विराजमान हैं। मंदिर के निकट एक प्राचीन कुंड है। जिसका नाम “दुर्गाकुंड” है। यह मंदिर 18 वीं सदी में बंगाल की रानी ने बनवाया था।
भारत माता मंदिर
महात्मा गांधी द्वारा इस मंदिर का उद्घाटन सन 1936 में किया था। यहां संगमरमर से बनाया गया भारत माता का मानचित्र है। यह मंदिर भारत माता को समर्पित किया गया है।
अन्नपूर्णा प्रसादालय में निशुल्क भोजन प्रसाद
मंदिर से बाहर आने पर 2 मिनिट की दूरी पर अन्नपूर्णा प्रसादालय मिलेगा काशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट के द्वारा अन्नपूर्णा प्रसादालय की भी व्यवस्था कराई गई है। जहां पर आप निशुल्क भोजन प्रसाद ग्रान कर सकते है।
वाराणसी में घूमने की जगहें और वाराणसी के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल
दशाश्वमेध घाट, वाराणसी

Banaras Tourist Places In Hindi – वाराणसी के पर्यटन स्थलों में खास है दशाश्वमेध घाट। इस घाट का नाम दशाश्वमेध घाट इसलिए पड़ा क्याेंकि यहां पर भगवान ब्रह्मा ने दसा अश्वमेध यज्ञ किया था। जिसमे उन्होंने 10 अश्वों की बलि दी थी। हर दिन शाम को घाट पर गंगा आरती होती है, जिससे यहां पर लोगों की बहुत ज्यादा भीड़ एकत्र हो जाती है। गंगा आरती का बहुत महत्व होता है। दशाश्वमेध घाट पर गंगा आरती का नजारा बहुत अद्भुुत प्रतीत होता है। जब भी आप वाराणसी जाये तो दशाश्वमेध घाट की गंगा आरती में जरूर सम्मिलित होये।
अस्सी घाट, वाराणसी

Places To Visit In Kasi In Hindi – वाराणसी का खूबसूरत पर्यटन स्थल है अस्सी घाट। अस्सी नदी और गंगा नदी के संंगम से अस्सी घाट की उत्पत्ति हुई है। यहीं पर तुलसीदास जी रहे थे और यहीं अस्सी घाट पर उन्होंने रामचरितमानस महाकाव्य की रचना की थी। यहां पर श्रद्धालुजन भगवान शिव जी की आराधना करते हैं। यहां पर मेला भी लगता है। अस्सी घाट पर आप गंगा आरती का गंगा आरती देखने का एक अलग ही आनंद होता है। यहां पर आप योग शिविर में भी भाग ले सकते हैं।
मणिकर्णिका घाट, वाराणसी

Places To Visit In Varanasi In Hindi – वाराणसी के प्रसिद्ध घाटों में प्रसिद्ध घाट है मणिकिर्णिका घाट। इस घाट पर चिताए जलती है। ऐसा कहा जाता है जिसकी इस घाट पर चिता जलती है उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। 24 घंंटे इस घाट पर चिता जलती है। कहा जाता है कि शाम को अंतिम संस्कार नही किया जाता है पर यहां पर शाम को भी अंतिम संस्कार किया जाता है। इस घाट के आसपास मंंदिर ही मंदिर है।
सारनाथ मंदिर, वाराणसी

वाराणसी के सबसे आकर्षक पर्यटक स्थलों में एक सारनाथ मंदिर है। सारनाथ मंदिर भगवान बौद्ध के तीर्थस्थलों मे से एक है। यहीं पर भगवान बुद्ध ने अपना पहला उपदेश दिया था। आप जब यहां पर जाएंगें तो आपको यहां शान्ति का अनुभव होगा। यहां पर धमेख स्तूप,अशोक स्तंभ, मूलगंध कुटी विहार मंदिर,चौखंडी स्तूप आदि बने हैं।
रामनगर किला और संग्रहालय, वाराणसी

Banaras Tourist Spot In Hindi – वाराणसी के प्रमुख आकर्षणों में है रामनगर किला और संग्रहालय। यह किला बहुत ही प्राचीन है। काशी के महाराजा बलवंत सिंह ने इस किले का निर्माण 1750 में करवाया था। यह स्थान वाराणसी के तुलसी घाट के सामने बना है। रामनगर किले में संग्रहालय बना हुआ है। इस संग्रहालय में आपको प्राचीन वस्तुएं देखने को मिलेगी।
चुनार का किला, वाराणसी

Places To Visit In Banaras In Hindi – वाराणसी के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से है चुनार का किला। गंगा नदी के किनारे पर चुनार का किला बना है। चुनार का किला वाराणसी शहर से 24 किलोमीटर दूर दक्षिण पश्चिम में मिर्जापुर जिले में है। इस किले पर कई महान शासकों का कब्जा रहा है आज भी इनके कुछ सैनिकों की कब्रें इस जगह पर हैं।
आलमगीर मस्जिद, वाराणसी

Banaras Places To Visit In Hindi – आलमगीर मस्जिद वाराणसी का खूबसूरत पर्यटन स्थल है । आलमगीर मस्जिद औरंगज़ेब द्वारा निर्मित करवाई गई मस्जिद है इसलिए इसे औरंगज़ेब की मस्जिद भी कहा जाता है। यह मस्जिद पंचगंगा घाट के ऊपर स्थित है। गैर-मुसलमान इस मस्जिद में प्रवेश नहीं कर सकते है।
नेपाली मंदिर, वाराणसी

Places To Visit In Kashi In Hindi – वाराणसी के लोकप्रिय स्थलों में से एक है नेपाली मंदिर। नेपाल के राजा राणा बहादुर शाह ने मंदिर को बनवाया था इसलिए यह मंदिर नेपाली मंदिर कहलाता है। यह मंदिर नेपाली वास्तुशैली का है। 19 वीं सदी में बनवाया गया यह मंदिर के प्रमुख देवता भगवान शिवजी है। वाराणसी के शिव मंंदिरों में इनकी गिनती होती है। इस मंदिर में नेपाल की लकड़ियों का प्रयोग किया गया था।
भारत कला भवन, वाराणसी

Varanasi Tourist Spot In Hindi – वाराणसी का भारत कला भवन वाराणसी में पर्यटन का प्रमुख स्थान है। भारत कला भवन हिंदू विश्वविद्यालय में स्थित हैं। यह पूरे एशिया का सबसे बड़ा विश्वविद्यालय संग्रहालय है। इस संग्रहालय के अन्दर पेंटिंग्स, मानसिक शिल्प, हाथी दांत के सामान,मिट्टी के बर्तन, आभूषण, टेराकोटा के मोती और गुजराती, राजस्थानी और पहाड़ी लघु चित्रों का दुर्लभ संग्रह आदि को देखा जा सकता है।
बनारस सिल्क एम्पोरियम, वाराणसी

Varanasi Famous Places In Hindi – वाराणसी में घूमने की अच्छी जगह है बनारस सिल्क एम्पोरियम। वाराणसी बनारसी वस्त्रों के लिए फेमस है। बनारस सिल्क एम्पोरियम में वाराणसी के एक प्रमुख निर्माता और थोक व्यापारी हैं, जो बनारसी के पारंपरिक वस्त्रों का स्वयं निर्माण करते है। जब भी आप यहां आये तो बनारस सिल्क एम्पोरियम में जरूर जाएं और खरीददारी करें।
वाराणसी में रेस्तरां और स्थानीय भोजन

वाराणसी के पर्यटन स्थलों के पास ही आपको कई खाने की दुकाने, स्टॉल, होटल आदि मिल जाएंगे। जहांं वाराणसी के प्रसिद्ध व्यंजनों का मजा ले सकते है जैसे पूरी सब्जी, कचौरी, लॉन्ग लत्ता, जलेबी आदि यहां फेमस खाने की चीजें है। यहां का बनारसी पान बहुत फेमस है। आप उसका भी मजा ले सकते हैं। आप यहां स्थानीय भोजन के साथ अलग-अलग तरह के भोजन का मजा ले सकते हैं।
वाराणसी में शॉपिंग

वाराणसी में आपको शाॅपिंग करने के लिए कई दुकाने मिल जाएंगी जहां आप कुछ भी खरीद सकते हैं। वाराणसी में कुछ प्लेसेस ऐसे जहां की वस्तुएं फेमस है। जैसे वाराणसी का गोदौलिया मार्केट से आप दैनिक जरूरत के सामन से लेकर कांच की चूड़ियाँ आदि खरीद सकते हैं। आप बनारसी वस्त्र भी खरीद सकते हैं। यहां छोटी-छोटी दुकानें है जहां से आप यादगार के तौर पर कुछ भी समान और जरुरत की चीजें भी खरीद सकते हैं।
काशी में मोक्ष की प्राप्ति – मुक्ति भवन वाराणसी
ऐसा कहा जाता है कि कोई इन्सान हो या प्राणी काशी में मृत्यु होने से उसे मुक्ति मिल जाती है। और भगवान शिव मरते हुए प्राणी के कान में तारक-मंत्र उच्चारण करते हैं, जिससे उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। काशी में 1958 में डालमिया चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा काशी लाभ मुक्ति भवन नाम संस्था की शुरुआत की गयी थी। आखरी घडी गिन रहे लोगो को इस संस्था में प्रवेश दिया जाता है। जिन लोगी की इच्छा होती है कि उनकी मृत्य काशी में हो और उनका अंतिम संस्कार काशी में हो उन लोगो को 15 दिन तक मुक्ति भवन में रहने की अनुमति दी जाती है। उनके साथ में किसी एक परिजन को भी मुक्ति भवन में रहने देते है। मुक्ति भवन द्वारा अंतिम संस्कार करने में भी मदद की जाती है। मुक्ति भवन संस्था में लगभग 15 हजार से ज्यादा लोगो को मोक्ष मिल चुका है। और अगर 15 दिन में उनकी मृत्य नहीं होती है तो उनको मुक्ति भवन को छोड़ कर जाना पड़ता है।
काशी लाभ मुक्ति भवन का पता -गीता मंदिर रोड के पास, गिरजा घर रोड, मिशीर पोखरा, वाराणसी, उत्तर प्रदेश 221001
